
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बड़े शराब ठेकदारों की चल रही मॉनोपाली अब सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। यही वजह है कि अब तक आबकारी महकमा 17 जिलों में शराब ठेकों की नीलामी नहीं कर सका है। दरअसल बड़े ठेकेदार मिलकर इन ठेकों के लिए तय की गई रिजर्व प्राइस को कम करने की मांग पर अड़े हुए हैं। यही वजह है कि अब तक छह दौर में की गई नीलामी प्रक्रिया के बाद भी 45 फीसदी ही ठेकों की नीलामी हो सकी है। इसकी वजह से अब विभाग को रिजर्व प्राइस से 9 फीसदी कम पर आये टेंडरों को स्वीकृति देने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जिन ग्रुपों के ठेकों को मंजूरी दी गई है उनमें सात जिलों के दस ग्रुप शामिल हैं। यह बात अलग है कि इनमें भी भोपाल और इंदौर का कोई ग्रुप शामिल नहीं हैं। इधर, बड़े शराब कारोबारियों द्वारा रिजर्व प्राइस 15 फीसदी तक कम करने की मांग अब भी जारी है। उधर, विभाग के अफसरों का कहना है कि अगर शासन इस तरह का निर्णय लेता है तो अधिकांश ग्रुप के ठेके हो जाएंगे। अब सबकी नजर शासन के अगले निर्णय पर है। दरअसल, विभाग की तरफ से शासन को रिजर्व प्राइस कम करने के लिए प्रस्ताव दिया गया था। इस पर विभाग को सहत देते हुए छठवें चरण तक आई सर्वोच्च बोली के प्रस्तावों को स्वीकार करने की अनुमति राज्य शासन द्वारा दे दी गई थी। इसकी वजह से ही बैतूल का एक ग्रुप, खंडवा के दो ग्रुप, दतिया का एक ग्रुप, विदिशा के दो ग्रुप,देवास के दो ग्रुप, सिंगरौली का एक ग्रुप और जबलपुर का एक ग्रुप नीलाम हो सका है।
भोपाल में अब भी 58 दुकानों को ठेके का इंतजार
भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। इस दौरान 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25 फीसदी रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। यह घाटे का सौदा है। लिहाजा, वे ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यही कारण है कि 23 मार्च तक छह दौर की नीलामी होने के बावजूद 65 फीसदी ठेके नीलाम नहीं हो सके हैं। ठेकेदारों का कहना है कि रिजर्व प्राइस 15 फीसदी कम किया जाना चाहिए। इस राशि ठेकेदार ग्रुप नहीं ले पाएंगे।
यह जिले बने हुए हैं मुसीबत
नई नीति के तहत प्रदेश के जिन 17 जिलों में सिंगल की जगह छोटे-छोटे ग्रुप में दुकानों के टेंडर दिए जा रहे हैं, उनमें भोपाल, राजगढ़, इंदौर, खंडवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, रीवा, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड और मुरैना जिले शामिल हैं। 2000-21 और 2021-22 में यह सिंगल ठेके की व्यवस्था थी। यानी एक ही ठेकेदार जिले की दुकानों का संचालन करते थे। 2022-23 के लिए 3-3 दुकानों के ग्रुप बना दिए गए हैं।