लोकायुक्त ने दर्ज किया ठेकेदार सहित 14 अफसरों पर मामला
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सालों की जांच के बाद आखिरकार लोकायुक्त संगठन पुलिस ने उक्त ठेकेदार के साथ मिलकर सरकार को करीब पौने दो करोड़ रुपए की चपत लगाने के मामले में ठेकेदार सहित 14 अफसरों पर मामला दर्ज किया है। इस बीच दस आरोपी अफसर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। दरअसल यह पूरा मामला बैतूल के बाकुड़ जलाशय के निर्माण में अनियमितता का है। आरोपी अधिकारियों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए शासन को एक करोड़ 74 लाख रुपए की चपत लगाई थी। जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें 11 इंजीनियर हैं। दस अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि तीन अधिकारी अभी विभाग में सेवारत हैं। लोकायुक्त संगठन पुलिस की भोपाल इकाई ने यह कार्रवाई जांच के बाद की है। यह पूरी गड़बड़ी साल 2004-05 में की गई थी। बैतूल जिले के मुलताई में बाकुड़ जलाशय का निर्माण कराया गया था। निर्माण के लिए विभाग के अधिकारियों ने टेंडर जारी किया था। जलाशय के निर्माण का कार्य सतीश नागपाल की कंपनी को मिला था। वर्क आर्डर मिलने के बावजूद काफी दिनों तक काम रुका हुआ था। काम नहीं करने के लिए दलील यह दी गई थी कि जलाशय निर्माण के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उसके एवज में किसानों को भुगतान नहीं किया गया है। जांच में पता चला कि किसानों को भुगतान पहले कर दिया गया था और टेंडर उसके बाद जारी किया गया था। नागपाल और उनकी कंपनी को तय समय सीमा में काम करना था, लेकिन जानबूझ कर काम में देरी की थी। समय सीमा समाप्त होने के महज एक महीने पहले कंपनी ने असमर्थता जताकर काम छोड़ दिया था।
नागपाल ने खुद आवेदन देकर टेंडर समाप्त करने का अनुरोध किया था। मजेदार बात तो यह कि विभाग के अधिकारियों ने नए सिरे से टेंडर जारी किया और दूसरी बार फिर टेंडर नागपाल की कंपनी को दिया गया। दूसरे टेंडर में लागत राशि बढ़ा दी गई थी। दूसरी बार टेंडर मिलने के बाद नागपाल ने काम शुरू किया और उसके बाद कंपनी के काम करने की तय समय सीमा में चार बार वृद्धि की गई थी। खास बात यह कि लागत राशि बढ़ाने और समय सीमा में काम पूरा नहीं होने पर कंपनी को अतिरिक्त समय दिए जाने का प्रावधान पहले टेंडर में भी था। ऐसे में दूसरा टेंडर जारी करने की आवश्यकता नहीं थी। जांच में पता चला कि अफसरों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए शासन को एक करोड़ 74 लाख रुपए की हानि पहुंचाई थी।
इन पर दर्ज हुआ मामला
इस मामले में जिन अफसरों को आरोपी बनाया गया उनमें डीजी पाटीदार तत्कालीन अधीक्षण यंत्री होशंगाबाद, एमएल रघुवंशी तत्कालीन सचिव एवं लेखाधिकारी भोपाल, पीके तिवारी तत्कालीन प्रमुख अभियंता, भोपाल, एनआर खरे तत्कालीन मुख्य अभियंता भोपाल, आरसी राठौर तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बैतूल, जेएस ठाकुर तत्कालीन मुख्य अभियंता भोपाल, आरपी खरे तत्कालीन कार्यपालन यंत्री होशंगाबाद, आरके शर्मा तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बैतूल, बरन सिंह तत्कालीन लेखाधिकारी भोपाल, केआर धारे तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, डब्ल्यूडी गव्हाड़े , एलएस घोषी तत्कालीन उप यंत्री, जीपी दक्ष तत्कालीन अधीक्षक, होशंगाबाद और ठेकेदार सतीश नागपाल शामिल हैं।
इन पर दर्ज हुआ मामला
इस मामले में जिन अफसरों को आरोपी बनाया गया उनमें डीजी पाटीदार तत्कालीन अधीक्षण यंत्री होशंगाबाद, एमएल रघुवंशी तत्कालीन सचिव एवं लेखाधिकारी भोपाल, पीके तिवारी तत्कालीन प्रमुख अभियंता, भोपाल, एनआर खरे तत्कालीन मुख्य अभियंता भोपाल, आरसी राठौर तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बैतूल, जेएस ठाकुर तत्कालीन मुख्य अभियंता भोपाल, आरपी खरे तत्कालीन कार्यपालन यंत्री होशंगाबाद, आरके शर्मा तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बैतूल, बरन सिंह तत्कालीन लेखाधिकारी भोपाल, केआर धारे तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, डब्ल्यूडी गव्हाड़े , एलएस घोषी तत्कालीन उप यंत्री, जीपी दक्ष तत्कालीन अधीक्षक, होशंगाबाद और ठेकेदार सतीश नागपाल शामिल हैं।