एआई से दोस्ती कर रहे किशोर सोचने की क्षमता हो रही खत्म

  • याददाश्त और मानसिक ताकत को सुस्त कर रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम।
बेंगलुरु की एक 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जब यह महसूस हुआ कि वह धीरे-धीरे चीजें भूलने लगी हैं, तो उसने इसे गंभीरता से लिया। उसने डॉक्टर से कहा- मुझे लगता है मैं मानसिक रूप से सुस्त होती जा रही हूं। ना सिरदर्द, ना कोई न्यूरोलॉजिकल दिक्कत, फिर भी वह खुद को पहले जैसी तेज, जिज्ञासु और आत्मविश्वासी नहीं महसूस कर रही थी। इस महिला की हालत उस मानसिक थकावट (कॉग्निटिव बर्नआउट) का उदाहरण है, जो आजकल एआई टूल्स के अत्यधिक उपयोग से उभर रहा है। रिपोट्र्स और विशेषज्ञों का कहना है कि जब हम लगातार अपने सोचने, याद रखने और निर्णय लेने के काम को तकनीक के हवाले कर देते हैं, तो हमारा दिमाग धीरे-धीरे निष्क्रिय होता जाता है। ठीक वैसे ही जैसे व्यायाम ना करने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
दिमाग की निष्क्रियता का खतरा
यह बदलाव धीरे-धीरे होता है। यह ऐसा नहीं कि कोई रास्ता भूल जाए या अपना जन्मदिन याद न रहे। बल्कि यह इस तरह प्रकट होता है।
बिना रिमाइंडर के काम भूल जाना
बात करते हुए विचार का तार टूट जाना
किसी बात को दोहराने की जरूरत महसूस होना
किसी विषय पर केंद्रित न हो पाना
डॉ. प्रभाष प्रभाकरण, जो इस विषय पर शोध कर रहे हैं, कहते हैं, अब कई युवा यह कहने लगे हैं कि मुझे अपने दिमाग पर भरोसा नहीं रहा।
यह बीमारी नहीं, चुपचाप जलना है
शारीरिक थकावट की तरह नहीं होती यह स्थिति। यह एक मौन मानसिक धुंध की तरह होती है।
छोटी-छोटी बातों के लिए रिमाइंडर की जरूरत
जो पढ़ा वह तुरंत भूल जाना
दिमागी फ्लैटनेस यानी भावशून्यता
जटिल सोच या विश्लेषण में अरुचि
यह समस्या अब सिर्फ दफ्तरों या कोडिंग लैब्स में नहीं, बल्कि घरों और क्लासरूम तक पहुंच गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई का प्रयोग पूरी तरह बंद करने की जरूरत नहीं, बल्कि उसे सोचने के विकल्प की बजाय सहयोगी उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की जरूरत है। कैलकुलेटर ने गणित को समाप्त नहीं किया, उसी तरह एआई सोच को खत्म नहीं करना चाहिए।
याददाश्त कमजोर क्यों हो रही है?
हमारा दिमाग गहराई से सोचने, याद रखने और समस्याएं हल करने के लिए बना है। हर बार जब हम इन क्षमताओं का उपयोग करते हैं, हमारे न्यूरल नेटवर्क मजबूत होते हैं। यह न्यूरोप्लास्टिसिटी कहलाता है, यानी दिमाग को जितना इस्तेमाल करो, वह उतना सक्षम होता जाता है। लेकिन जब हम हर छोटी-बड़ी बात के लिए एआई टूल्स पर निर्भर होने लगते हैं। जैसे कि ईमेल लिखवाना, विचार सुझाना, नोट्स बनवाना, तो ये मानसिक श्रम खुद नहीं करते। परिणामस्वरूप, दिमाग के वो हिस्से निष्क्रिय हो जाते हैं जो स्वतंत्र सोच, ध्यान केंद्रित करने और स्मृति से जुड़े होते हैं। विशेष रूप से युवाओं में, जिनका मस्तिष्क अब भी विकसित हो रहा होता है, यह प्रभाव और भी गहरा हो सकता है।

Related Articles