
- प्रदेश भाजपा लगातार कर रही है सोशल मीडिया पर ताकत बढ़ाने का प्रयास
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। टीम वीडी ने प्रदेश में भले ही पार्टी को हाईटेक बनाने में सफलता पा ली है, लेकिन पार्टी के चंदे को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। यह चंदा पार्टी के समर्पण निधि अभियान के तहत लिया जा रहा है। समय के साथ संगठन और कार्यकर्ताओं को तकनीकी रूप से समृद्ध और प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश संगठन का पूरा अब टेक्नोलॉजी पर बना हुआ है। यही वजह है कि अब पार्टी द्वारा मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित किए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इस बीच प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा 11 फरवरी से शुरू किए समर्पण निधि अभियान को लेकर अब जिलाध्यक्षों में नाराजगी देखी जा रही है। इसकी वजह है जिलों का दिया गया लक्ष्य। लक्ष्य देते समय प्रदेश संगठन द्वारा खराब काम करने वाले जिलों को तो राहत दी गई है, जबकि इस मामले में बीते सालों में अच्छा काम करने वाले जिलों पर निधि का भार डाल दिया गया है। दरअसल प्रदेश संगठन ने इस बार पार्टी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में डेढ़ सौ करोड़ रुपये की सहयोग निधि जुटाने का बड़ा लक्ष्य तय किया है।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए संगठन ने हर जिले के लिए सहयोग निधि का अलग-अलग लक्ष्य तय किया है। यही लक्ष्य अब पार्टी में अंसतोष और विवाद की वजह बन रहा है। प्रदेश संगठन द्वारा तय किए गए लक्ष्य में भोपाल जैसे महानगर वाले जिले को महज चार करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य दिया गया है, जबकि कई छोटे-छोटे जिलों को इससे अधिक राशि जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसकी वजह से छोटे जिलों में नाराजगी का आलम है। कई जिलाध्यक्ष और संगठन पदाधिकारी सहयोग निधि के लक्ष्य को अधिक मान रहे हैं। ऐसे जिलों के जिलाध्यक्षों व संगठन के जिम्मेदारों का मानना है कि राजधानी होने के नाते भोपाल को जब चार करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया तो छोटे-छोटे जिलों को भी लक्ष्य कम दिया जाना था।
इस मामले में महानगरों में भी दबे स्वरों में असंतोष की बात सामने आ रही है। दरअसल संगठन ने इंदौर को 15 करोड़ रुपए का भारी भरकम टारगेट दिया गया है। इसमें शहर के लिए दस करोड़ तो ग्रामीण इकाई के लिए 5 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया है। इस मामले में दूसरे नंबर पर जबलपुर जिला है। इस जिले को 11 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया है। अगर अन्य जिलों को दिए गए लक्ष्य को देखें तो रीवा और सागर जैसे जिलों को भी चार करोड़ का लक्ष्य दिया गया है।
यही नहीं छिंदवाड़ा को आठ और उज्जैन को छह करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसी तरह से अन्य जिलों में शामिल छतरपुर को 2 करोड़, रतलाम को 2 करोड़, गुना को डेढ़ करोड़ और खंडवा जिले को 1 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि, पार्टी ने सभी विधायक-सांसद और मंत्रियों की भी ड्यूटी सहयोग निधि एकत्र करने में लगाई है। केंद्रीय मंत्रियों से भी कहा गया है कि वे आजीवन सहयोग निधि के एकत्र करने में मदद करें। प्रदेश के मंत्रियों को गृह जिले के साथ प्रभार के जिले में भी सहयोग निधि के काम में लगाया गया है। प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव प्रति दिन प्रदेश में एकत्र की जा रही सहयोग निधि की जानकारी ले रहे हैं। हालांकि, कई जिलों के अध्यक्ष बड़े लक्ष्य को लेकर परेशान हैं। उन्होंने संगठन के नेताओं से कहा है कि बड़े जिलों को छोटे और छोटे जिलों को बड़े लक्ष्य दिए हैं।
प्रदेश भाजपा दरअसल भाजपा में पुरानी परम्परा है कि पार्टी का खर्च कार्यकर्ताओं और समान विचारधारा वाले लोगों से चंदा लेकर निकाला जाता है। दो साल पहले तक संगठन द्वारा इसके लिए महज 15 से 20 करोड़ तक का ही लक्ष्य तय किया जाता रहा है, पर इस साल इसे अचानक बढ़ाकर 150 करोड़ कर दिया गया है। अब तक समर्पण निधि से जिस जिले से जितनी राशि आती थी, उसका पचास फीसदी हिस्सा उस जिले के संगठन को इसके अलावा 25 फीसदी केन्द्रीय संगठन को और इतनी ही राज्य संगठन अपने पास रखता है। इस राशि से पार्टी कार्यालयों के सालभर के खर्चे चलते थे। इस बार टारगेट एकदम से बढ़ाने के पीछे सोच यह है कि इस 150 करोड़ की राशि को बैंक में जमा किया जाए और इसके ब्याज से खर्च चलाया जाए।
कम लक्ष्य की यह वजह
भोपाल जिला संगठनात्मक रूप से शहर और ग्रामीण में बंटा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भोपाल जिला ऐसा जिला हैं जहां पर बीते कई सालों से लगातार तय किए गए लक्ष्य को पूरा नहीं किया गया है। इसकी वजह से इस बार लक्ष्य कम तय किया गया है। हालांकि इस मामले में अधिक लक्ष्य पाने वाले जिलों के नेताओं का कहना है कि अच्छा काम करने का इसे इनाम माना जाए या फिर कुछ ओर। दरअसल तय लक्ष्य को हासिल नहीं करने के बाद भी प्रदेश संगठन द्वारा भोपाल जिले के संगठन को कभी कोई सजा नहीं दी गई , बल्कि जिले के संगठन की कमान उन नेताओंं को ही दोबार दी जातीर ही है, जो तय लक्ष्य को हासिल करने में फिसड्डी रहे हैं।
भाजपा बढ़ाएगी सोशल मीडिया की ताकत
भाजपा अब प्रदेश मे अपनी सोशल मीडिया के क्षेत्र में भी ताकत बढ़ाने जा रही है। इसके लिए पार्टी द्वारा मंडल स्तर पर नए कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए जाएंगे। बूथ विस्तारक अभियान में हमारे कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर तक काम किया, 65 हजार बूथों में से आज 90 प्रतिशत से अधिक बूथ डिजिटल हो चुके हैं। आगामी समय में 1070 मंडलों में आईटी के एक्सपर्ट खड़े करना है। यह बात भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने पार्टी की आईटी व सोशल मीडिया विभाग की बैठक को संबोधित करते हुए कही। शर्मा ने कहा कि बूथ विस्तारक योजना में आईटी एवं सोशल मीडिया विभाग ने टीम प्रिरिट की भावना से काम किया, जिससे ऐतिहासिक सफलता प्राप्त हुई। बूथ विस्तारक योजना की प्रशंसा न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश के अन्य प्रांतों एवं राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने बूथ ने विस्तारक योजना की सफलता के लिए आईटी एवं सोशल मीडिया विभाग की टीम को बधाई दी।
करें नई टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग : मुरलीधर
भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि मप्र के भाजपा कार्यकर्ताओं का संगठनात्मक अनुभव अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। हम अपने कार्यों और विचारधारा को आगे बढ़ाने में नई टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। बेहतर और अच्छे रिजल्ट देने में टेक्नोलॉजी का हम उपयोग करें। रिजल्ट टाइम पर एक साथ बूथ, मंडल और जिले से सूचनाओं का आदान प्रदान टेक्नोलॉजी से संभव है। इस दृष्टि से आने वाले दिनों में आईटी एवं सोशल मीडिया विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ेगी। राव ने हर कार्यकर्ता द्वारा संगठन एप के अधिक से अधिक उपयोग किए जाने की बात कही। कोविड काल के बाद डिजिटल संवाद बढ़ा है, इस दृष्टि से समय समय पर संगठनात्मक, तात्कालिक व समसामयिक विषयों पर कांफ्रेस आयोजित करें। उन्होंने सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफार्म के लिए टारगेट बनाते हुए टीम तैयार करने की बात कही।