‘कमल’ को चुनौती देने एकजुट ‘टीम नाथ’

कमलनाथ
  • पार्टी में इनदिनों बह रही है एकता की बयार

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आगामी विधानसभा चुनाव में अभी भले ही डेढ़ साल का वक्त बाकी है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस अभी मिशन मोड में हैं। भाजपा की चुनावी तैयारियों को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है और उसके लिए उसने वर्ष 2018 के अपने चुनावी फार्मूले को आधार बनाया है। इस फार्मूले के तहत कमलनाथ का पूरा फोकस दिग्गज नेताओं को एक सूत्र में बांधने पर है। वहीं वे क्षेत्रवार दिग्गजों को जिम्मेदारी देने की तैयारी भी कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है की पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी की सभी धड़ों को साधने का एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है, जिससे पार्टी एकजुट हो जाएगी। इस फार्मूले के तहत सभी नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसी के तहत प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ा है। उनकी कोशिश है कि चुनाव से करीब एक साल पहले ही कांग्रेस एकजुट दिखाई देने लगे। कमलनाथ का ही प्रयास है कि इनदिनों कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता सक्रिय हैं और एक-दूसरे से मिलजुल रहे हैं।
दिखने लगा है समन्वय
गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से दूर करने में कांग्रेस की यही एकजुटता कारगर साबित हुई थी। कमलनाथ ने इसकी शुरुआत दिग्विजय सिंह के करीबी डा. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर शुरू कर दी है। उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग पहले से ही उठ रही थी लेकिन कमलनाथ ने गंभीरता से नहीं लिया कुछ दिन पहले अचानक नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया और सात बार के विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह की नियुक्ति हो गई कमलनाथ ने यह पद 20 महीने तक अपने पास रखा माना जा रहा है कि कमलनाथ के तौर-तरीकों पर सवाल उठाने वाले अरुण यादव भी उनका समन्वय बना चुका है यादव बीते दिनों से नाथ के खिलाफ ना मुखर है ना नाराजगी जताई  है। सूत्र बताते हैं कि यादव को राज्यसभा भेजने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। उधर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह ने भी अपने तल्ख तेवरों में नमी दिखाई है। माना जा रहा है कि यादव और सिंह को संगठन में एक शक्ति संपन्न कमेटी बनाकर बड़े मौके दिए जा सकते हैं। कांतिलाल भूरिया के पुत्र विक्रांत के भूरिया प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष हैं। ऐसे में भूरिया को अपने साथ लेने में नाथ को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ रही है। हालांकि भूरिया आदिवासी वर्ग से आने के चलते पार्टी में बदलाव के बीच बड़ी उम्मीद रखते हैं। जहां तक सुरेश पचौरी के साथ आने की चर्चा है, तो उन्हें मैदानी तैयारियों से सक्रिय करने के संकेत हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उच्च स्तरीय बैठक आज
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उच्च स्तरीय बैठक रविवार को होगी। इसमें विधानसभा चुनाव 2023 की रणनीति पर बैठक में चर्चा की जाएगी। बूथ स्तर पर बेहतर मैनेजमेंट को लेकर चर्चा होगी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ की जा रही कानूनी कार्रवाई पर भी सड़क पर उतरकर कार्यकर्ताओं की लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाई जाएगी। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित सभी पूर्व मंत्री शामिल होंगे।
करो या मरो की तर्ज पर तैयारी
दरअसल कमलनाथ बेहतर तरीके से समझते हैं कि मध्य प्रदेश में कई धड़ों में बंटी कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए एकजुटता पहली शर्त है। इसका प्रमाण 2018 के रूप में सामने हैं। हालांकि बाद में धड़ों के फिर से बिखर जाने से ना केवल पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा बल्कि कमलनाथ की सरकार भी गिर गई। माना जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद सरकार गिरने को कमलनाथ ने व्यक्तिगत स्तर पर ले लिया है और वह पूरा दमखम लगा कर 2023 में सत्ता में कांग्रेस की वापसी चाहते हैं। यही वजह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को वे करो या मरो का मान कर चल रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस महासचिव (मीडिया) केके मिश्रा का कहना है कि कमलनाथ जी, कांग्रेस के राष्ट्रीय रणनीतिकारों में शामिल हैं। उन्हें कब और कौन सा निर्णय लेना है, उसमें भी श्रेष्ठता हासिल है। पहले 20 सदस्यीय कोर कमेटी का गठन फिर वरिष्ठ नेताओं के साथ डिनर डिप्लोमेसी, नेता प्रतिपक्ष का चयन, उसी रणनीतिक श्रेष्ठता का संकेत है। आने वाले दिनों में भी ऐसे ही महत्वपूर्ण सामूहिक निर्णय सामने आएंगे।

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