
- प्रदेश में हर माह हो रहे हैँ औसतन एक हजार के करीब संदिग्ध रिटर्न फाइल
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। तू डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर व्यवसायी टैक्स चोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। आलम यह है कि प्रदेश में टैक्स चोरों ने जीएसटी का गणित बिगाड़ दिया है। प्रदेश में संदिग्ध रिटर्न फाइल के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं व्यवसायियों द्वारा कम टैक्स दिए जाने से सरकार को अरबों रूपए की चपत लगी है। जीएसटी के मामले में प्रदेश में राजस्व बढ़ने के बावजूद हालात ठीक नहीं हैं। केंद्र से अभी तक प्रदेश को पिछले वित्तीय वर्ष का पूरा बकाया नहीं मिला है, जबकि केंद्र से प्रतिपूर्ति बंद होने के बाद आगे नुकसान की पूर्ति का रोडमैप तैयार नहीं हो पाया है। इससे सरकार के लिए आगे की राह मुश्किल हो जाएगी। इसका असर आम कारोबारी पर भी पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार, जीएसटी कानून लागू होने के बाद से रजिस्टर्ड व्यापारियों ने या तो भूलवश या जानबूझकर कम टैक्स दिया है। इस पर ब्याज की राशि भी जमा नहीं की। यह स्थिति पूरे देश की है। अब केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लेकर ऐसे व्यापारियों के रिटर्न खंगालना शुरू किए हैं। एसजीएसटी कमिश्नर लोकेश जाटव के अनुसार, प्रदेश में बीते तीन महीने में तीन हजार के करीब संदिग्ध रिटर्न फाइल हुए हैं। 12 प्रतिशत पंजीयन फर्जी पाए गए हैं, इन्हें चिह्नित किया है।
मप्र को लगी 2500 करोड़ की चपत
जानकारी के अनुसार जीएसटी कानून लागू होने के बाद प्रदेश में वर्ष 2017 से 2021 तक करीब 2,500 करोड़ रुपए की जीएसटी की टैक्स चोरी होने का अनुमान सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में यह आंकड़ा 52,000 करोड़ के आसपास है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, विभाग ने ऐसे लोगों को एआई के जरिए रडार पर लेकर उन्हें नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है। चार्टर्ड अकाउंटेंट नवनीत गर्ग का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद से विभाग जिस पैरामीटर पर काम कर रहा है, उसमें ज्यादातर मामले ब्याज के ही सामने आ रहे हैं। इसलिए विभाग अब ब्याज की गणना करके उसकी वसूली के लिए संबंधित व्यापारियों को नोटिस भेज रहा है।
एआई के माध्यम से निकाली जा रही जानकारी
अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से निकाली गई जानकारी को विभाग अब संबंधित क्षेत्र के अधिकारी के पास भेज रहा है। ये अधिकारी करदाता व्यापारी को नोटिस जारी कर रहे हैं। व्यापारी को अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिन का समय दिया जा रहा है। यदि अधिकारी उनके द्वारा (करदाता के) दिए गए जवाब से संतुष्ट होते हैं तो कर (टैक्स) की डिमांड नहीं निकलेगी। ऐसा नहीं होने पर टैक्स, ब्याज एवं 15 प्रतिशत की पैनाल्टी जमा करना होगी। रडार पर आए लोगों को विभागीय अधिकारियों ने नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने हाल ही में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी की है, जिसमें अधिकारियों को वसूली अभियान के बारे में बताया गया है। अफसर कार्रवाई में जुट गए हैं।
प्रदेश में जीएसटी राजस्व में करीब 22 फीसदी बढ़ोतरी
वित्तीय वर्ष-2021-22 के दौरान प्रदेश में जीएसटी राजस्व में करीब 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इससे करीब 22 हजार 206 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिला। वहीं इससे पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 18 हजार 231 करोड़ रुपए का राजस्व था। कोरोना से गड़बड़ाए आर्थिक हालात के बाद जीएसटी राजस्व बढ़ने से सुधार की ओर है, लेकिन प्रदेश को अब तक केंद्र से प्रतिपूर्ति की पूरी राशि नहीं मिल पाई है। जीएसटी प्रतिपूर्ति में साढ़े चार सौ करोड़ से ज्यादा की राशि मध्यप्रदेश को लेना है। उस पर सबसे बड़ी परेशानी ये कि आगे के लिए भी अभी स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र ने जब जीएसटी लागू किया तो राज्य को होने वाले नुकसान की पांच साल तक भरपाई करना तय किया था। भरपाई का यह अंतिम साल है। अब आगे भरपाई किस प्रकार होगी, इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। केंद्रीय जीएसटी काउंसिल के फैसले के मुताबिक, आगे राज्यों को ही इस नुकसान को कवर करना होगा। बढ़ते राजस्व के कारण इसकी उम्मीद भी है, लेकिन अभी राज्य स्तर पर इस प्रतिपूर्ति के बंद होने के बाद भरपाई का कोई रोडमैप नहीं बना है।