
सरकार ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक को अगले साल तक प्रदेश में पूरी तरह प्रतिबंधित करने की तैयारी कर ली है
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार पर्यावरण को लेकर चिंतित है। यही वजह है कि सरकार ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक को अगले साल तक प्रदेश में पूरी तरह प्रतिबंधित करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए दो स्तरीय मॉनिटरिंग व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत एक जिला स्तर पर विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिले के कलेक्टरों को दी गई है कि वे इस काम की मॉनिटरिंग करें और हर महीने की प्रगति रिपोर्ट नगरीय प्रशासन विभाग को भेजें। यही वजह है कि जिला स्तर पर गठित टास्क फोर्स का अध्यक्ष कलेक्टर को बनाया गया है। हालांकि कलेक्टर चाहें तो इसके लिए अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारियों को नामांकित कर सकेंगे। इसके अलावा जिले के एसपी या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि, आयुक्त नगर निगम, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत प्रतिनिधि, एमपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल कार्यालय के अधिकारी या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि टास्क फोर्स के सदस्य होंगे। जिला स्तर बनाए गए टास्क फोर्स के कार्य के लिए संयोजक नगरीय प्रशासन विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों को बनाया है। साथ ही राज्य सरकार ने अनुविभागीय दंडाधिकारी यानी एसडीएम स्तर पर भी टास्क फोर्स गठित करने की तैयारी की है। इसके तहत तहसील और ब्लॉक स्तर पर यानी छोटे कस्बों और शहरों में भी सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगाया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग एसडीएम करेंगे। इस टास्क फोर्स में एसडीएम या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि इसके अध्यक्ष होंगे।
एसडीओपी या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि सीईओ जनपद पंचायत या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि टास्क फोर्स के सदस्य होंगे। सभी नगर पालिका या नगर निगम के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अथवा उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि संयोजक होंगे।
जीएडी ने जारी किए आदेश
उल्लेखनीय है कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत राज्य सरकार के 30 नवंबर 2016 के आदेश के माध्यम से प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग समिति स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की गई कार्रवाई की समय-समय पर समीक्षा भी करेगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश जारी किए जा चुके हैं।
2004 में बना था प्लास्टिक प्रतिबंध का नियम
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में जैव अनाश्य अपशिष्ट नियंत्रण अधिनियम 2004 के तहत प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया है। इस संबंध में कानून बने हुए 15 साल से भी ज्यादा समय हो चुका है लेकिन कभी भी इस पर सख्ती से अमल नहीं किया जा सका। हालांकि राज्य सरकार भी इस कानून को सख्ती से लागू करने के कभी पक्ष में नहीं रही। बता दें कि इस तरह की प्लास्टिक का ज्यादातर उपयोग हाट बाजार और दुकानों में होता है। इस तरह के प्लास्टिक कैरी बैग सामान्यत: सस्ते होते है। यही वजह है कि दुकानदार और हाट बाजार में दुकान लगाने वाले सब्जी विक्रेता सहित अन्य गली मोहल्लों में ठेला दुकान लगाने वाले भी इस तरह के प्लास्टिक बैग का जमकर उपयोग करते हैं। बहरहाल नगरीय निकाय जरूर कभी कभार कार्रवाई के नाम पर प्लास्टिक बैग जप्त कर अपनी जिम्मेदारी की खानापूर्ति कर लेते हैं।
केंद्र सरकार ने तय की डेडलाइन
चूंकि राज्य सरकार ने अब तक इस कानून पर अमल करने में सख्ती नहीं दिखाई। यही वजह है कि अब केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैग के उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए डेडलाइन तारीख तय कर दी है। इसके तहत प्लास्टिक बैग के उपयोग को अगले साल यानी 2022 में पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार के इस फरमान के बाद अब राज्य सरकार भी सक्रिय हो गई है और इसके लिए दो स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए जन जागरूकता के साथ ही अन्य अभियान भी चलाएंगे। प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के लिए जन जागरूकता अभियान को प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय नागरिकों, स्वयंसेवी संगठनों, विद्यार्थियों, स्थानीय इको क्लब के सदस्यों का भी सहयोग लिया जाएगा। यह सभी जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर प्रतिवेदन तैयार कर कलेक्टर को सौंपेंगे। इन प्रतिवेदन को कलेक्टर प्रत्येक महीने नगरीय प्रशासन को भेजेंगे।