- बिजली उत्पादन क्षमता 22730 की जगह 34400 मेगावॉट करने की योजना
- विनोद उपाध्याय

प्रदेश की मोहन सरकार का इन दिनों पूरा फोकस औद्योगीकरण पर है। लगभग हर माह निवेशकों के साथ मुख्यमंत्री सम्मेलन कर रहे हैं, जिसकी वजह से लगातार निवेश के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं। ऐसे में अगर मिल रहे प्रस्तावों पर पूरी तरह से काम होता है, तो उद्योगों के लिए प्र्याप्त मात्रा में बिजली की जरुरत होगी। यही वजह है कि अब सरकार ने तय किया है कि वह हर साल प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता में ढाई से लेकर तीन हजार मेगावाट की वृद्धि करेगी। इसके तहत अगले चार सालों के लिए सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है, उसके मुताबिक बिजली उत्पादन क्षमता 22730 की जगह 34400 मेगावॉट करने की है। इसके लिए मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी काम कर रही है। कंपनी का फोकस बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सोलर एनर्जी वाली परियोजनाओं पर बना हुआ है। अगले पांच साल में 50 फीसदी बिजली आपूर्ति सोलर एनर्जी से करने का लक्ष्य है। इससे न केवल प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि बिजली उत्पादन की लागत भी कम आएगी। प्रदेश में लगातार हो रहे विकास कामों और औद्योगीकरण की वजह से बिजली की डिमांड हर साल लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 12 हजार से 13 हजार मेगावॉट रहती है। गर्मी के दिन में यह डिमांड 15 हजार मेगावॉट तक पहुंच जाती है। यह वो समय होता है जब किसान रबी की फसल लगाते हैं, तब अक्टूबर से नंवबर तक खेतों में सिंचाई के लिए बिजली की डिमांड बढ़ जाती है। तब भी प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 15 से 16 हजार मेगावॉट ही रहती है। प्रदेश में बीते साल 13 जनवरी 2023 को बिजली की डिमांड 17170 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इसके बाद 22 दिसंबर 2023 को बिजली की डिमांड 17714 मेगावॉट तक पहुंर्ची। यह अब तक की सबसे अधिक डिमांड है। इधर, पॉवर जनरेशन कंपनी के पास 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा बिजली उपलब्ध है।
दूसरे राज्यों को सस्ते में बेची जाती है बिजली
बिजली की अधिक उपलब्धता होने की वजह से प्रदेश की पॉवर जनरेशन कंपनी दूसरे राज्यों के उद्योगों को सस्ती दरों में बिजली बेच देती है। दूसरे राज्यों के उद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जाती है। पिछले तीन से चार महीने में पॉवर जनरेशन कंपनी ने करीब 400 करोड़ रुपए की 84 करोड़ यूनिट बिजली बेची है। यह बिजली लगभग 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेची जाती है। जबकि यही बिजली प्रदेशवासियों को मंहगी दर पर दी जाती है।
मप्र में जारी है कई सोलर परियोजनाओं पर काम
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पीपीपी मोड में 8 हजार मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेशन के ज्वाइंट एडवेंचर संबंधी परियोजना पर सहमति बन गई है। इसमें मुरैना, शिवपुरी, सागर और धार में सोलर प्रोजेक्ट लगेंगे, जिनसे जनरेट होने वाली बिजली का उपयोग दोनों राज्यों में सिंचाई के लिये किया जा सकेगा।मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में पीपीपी मोड में 8 हजार मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेशन के ज्वाइंट एडवेंचर संबंधी परियोजना पर सहमति बन गई है। इसमें मुरैना, शिवपुरी, सागर और धार में सोलर प्रोजेक्ट लगेंगे, जिनसे जनरेट होने वाली बिजली का उपयोग दोनों राज्यों में सिंचाई के लिये किया जा सकेगा।
यह होगा फायदा
प्रदेश में सोलर एनर्जी को बढ़ाने का टारगेट है। सोलर एनर्जी बढ़ जाने से बिजली कंपनियों का बिजली कंपनियों का बिजली उत्पादन पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा। अभी प्रदेश कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भर है, जो महंगी पड़ती है। सोलर एनर्जी कोयले से बनने वाली बिजली से सस्ती पड़ेगी। इससे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को भी बिजली बिलों से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही थर्मल एनर्जी भी बढ़ेगी। अभी प्रदेश में थर्मल एनर्जी की उपलब्धता 4570 मेगावॉट है। यह साल 2028-29 तक 5890 मेगावाट हो जाएगी। वहीं अभी प्रदेश में सोलर एनर्जी करीब 6 हजार मेगावॉट है।
मप्र की बिजली से दौड़ती है दिल्ली मेट्रो
रीवा सोलर पावर प्लांट की शुरुआत जून 2014 में बड़वार गांव में 275 हेक्टेयर जमीन आवंटन के साथ शुरू हुई। राज्य सरकार ने अप्रैल 2015 में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की स्थापना का अनुमोदन किया। दो महीने बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसमें मप्र ऊर्जा विकास निगम और एसईसीआई के साथ 50-50 प्रतिशत का जॉइंट वेंचर स्थापित हुआ। इसके बाद बड़वार, बरसेटा देश, बरसेटा पहाड़, इतर पहाड़, रामनगर पहाड़ गांवों में 981 हेक्टेयर जमीन का आवंटन हुआ। वर्ष 2018-19 तक और भी गांव में उपलब्ध बंजर जमीन को परियोजना के लिए आवंटित किया गया। अप्रैल 2019 में दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन को पावर सप्लाई देना शुरू हुआ।