शराब से करीब 16,000 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य

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  • मप्र में महंगी होगी शराब …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार इस साल अपनी शराब नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। सरकार नीलामी प्रक्रिया को बदलने की तैयारी कर रही है। पहले दुकानों का ग्रुप बनाकर नीलामी की जाती थी। लेकिन अब से यानी कि साल 2025-26 के लिए एकल दुकान की नीलामी होगी। इससे लोगों के बीच कंपटीशन बढ़ेगा और साथ ही राजस्व का भी फायदा होगा।  
जानकारी के अनुसार सरकार ने इस साल शराब से करीब 16,000 करोड़ रूपए के राजस्व का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए शराब लाइसेंस फीस को 20 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की गई है। वहीं शिवराज सरकार ने 2023 में अहाते बंद करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे तर्क यह था कि अहाते में बैठाकर शराब पिलाने से कानून व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है, झगड़े होते हैं। हालांकि, इस व्यवस्था को बंद करने के बाद दुकान के आसपास लोग शराब पीने लगे हैं, जिससे आमजन को परेशानी भी हो रही है। इसे देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था का प्रविधान किया जा सकता है।
गौरतलब है कि राज्य में कुल 3065 कंपोजिट शराब की दुकानें हैं, जिन्हें 1100 समूह बनाकर नीलाम किया गया था। तय किया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति से ही शराब की दुकानें खोली जाएंगे। वहीं धार्मिक स्थलों पर पहले से मौजूद शराब की दुकानों को बंद किया जाएगा। 2025-26 के लिए प्रस्तावित नीति को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जा सकता है। सूबे में देसी और विदेशी शराब के लिए अलग-अलग दुकानों के स्थान पर कंपोजिट दुकान की व्यवस्था लागू की गई है। वार्षिक मूल्य 20 प्रतिशत बढ़ाकर नवीनीकरण किया गया था। चूंकि दुकानों के समूह बनाकर नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसलिए अधिकतर दुकानें नवीनीकरण में चलीं गईं। वहीं जिनका नवीनीकरण नहीं हुआ, उन्हें वार्षिक मूल्य कम करके दिया गया। लेकिन इस बार सरकार नवीनीकरण की जगह एकल दुकान की नीलामी पर जोर देगी। अधिकारियों का कहना है कि इससे कंपटीशन बढ़ेगा और नए लोगों को भी मौका मिलेगा। राजस्व भी अधिक आएगा। साल 2003 में एकल दुकान नीलामी की व्यवस्था की गई थी।
सिंगल दुकान नीलाम करने से हो सकती परेशानी
बड़े ठेकेदारों की मोनोपॉली को खत्म करने के लिए मप्र सरकार ने वर्ष-2022 में सिंगल ग्रुप सिस्टम को खत्म कर छोटे-छोटे समूह बनाकर नीलामी की शुरुआत की थी। लेकिन अब इस सिस्टम को खत्म कर सिंगल-सिंगल दुकान नीलाम करने की तैयारी हो रही है। इससे सबसे बड़ी परेशानी यह होगी कि जो प्रमुख दुकानें हैं उन पर ठेकेदारों का फोकस रहेगा और जहां बिक्री कम वहां वे नीलामी में शामिल नहीं होंगे। सिंगल दुकान होने से ठेकेदार मनमानी से कीमतों पर शराब बचेंगे, जिससे विवाद की नौबत आ सकती है।
इस बार प्रदेश सरकार ने शराब से करीब 16,000 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा है। इसलिए शराब दुकानों के लाइसेंस में 20 फीसदी बढ़ोतरी की जा रही है। पिछली बार 15 फीसदी वृद्धि के साथ प्रदेश की 3,600 शराब दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया नवीनीकरण-लॉटरी एवं ई-टेंडर के माध्यम से की गई थी। प्रदेश में 3,605 कंपोजिट शराब दुकानें हैं, जिन्हें 1100 समूह बनाकर नीलाम किया गया था। तय किया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति से ही शराब दुकानें खोली जाएंगी। धार्मिक स्थलों के पास स्थित कुछ दुकानों को बंद भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद बदली पॉलिसी
अब पुराने समूह के आधार पर ही मदिरा दुकानों का नवीनीकरण होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गतदिनों वाणिज्यिककर विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान उक्त निर्देश दिए। बताया जाता है कि दो अधिकारी अपनी जिद के कारण सिंगल शॉप पालिसी लाना चाह रहे थे। उन्होंने इसको लेकर किसी से बात भी नहीं की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी से चर्चा के बाद सिंगल दुकान आबकारी नीति को रद्द करने के निर्देश दिए। नई नीति से सरकार की आमदनी कम होने का अनुमान था। उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या मध्यप्रदेश के मुकाबले बहुत अधिक होने के कारण सिंगल दुकान की आबकारी नीति सफल मानी जा रही है।  मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि किसी भी स्थिति में शराब की दुकानों की संख्या नहीं बढ़ेगी। डॉ. यादव ने महाकाल लोक के पास की शराब दुकानों को बंद करने के निर्देश दिए हैं। इससे उज्जैन जिले में शराब दुकानों की संख्या कम हो सकती है। उल्लेखनीय है कि  ठेकेदारों ने सिंगल शॉप की नीति का विरोध किया था और उच्च स्तर तक अपनी बात पहुंचाई थी।  अगली कैबिनेट में नई आबकारी नीति को मंजूरी मिलने की संभावना है। 2003 में सिंगल शॉप की नीति पूरी तरह फेल हो गई थी। शासन को इस प्रकार की नीति से बहुत नुकसान हुआ था। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सिर्फ दो विभागीय अधिकारी इस बार आबकारी नीति बनाने में लगे हैं। किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और ना ही किसी अधिकारी से कोई सुझाव या विचार विमर्श किया गया है। वर्तमान ठेकेदार को 20 प्रतिशत वृद्धि के साथ नवीनीकरण कराना होगा।
मंत्रि-परिषद समिति की बैठक होगी कल
राज्य शासन ने वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी नीति के निर्धारण एवं अनुषांगिक विषयों पर निर्णय लेने के लिए मंत्रि-परिषद समिति का गठन किया है। समिति में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, महिला-बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत को शामिल किया गया था, जबकि प्रमुख सचिव वाणिज्यकर समिति के सचिव हैं।  उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सोमवार 13 जनवरी को मंत्रालय स्थित अपने कक्ष में वर्ष 2024-25 की आबकारी नीति पर चर्चा के लिए मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक बुलाई है। मंत्रिमंडल उप समिति की मंजुूरी के बाद नीति को कैबिनेट में भेजा जाएगा। उज्जैन सहित कुछ अन्य धार्मिक स्थलों के आसपास स्थित शराब दुकानें सरकार बंद कर सकती है। दरअसल, महाकाल लोक बनने के बाद पूरे देश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। शराब दुकानों के आसपास कई बार कानून व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ा जाती है। इससे गलत संदेश जाता है, इसलिए कुछ दुकानें बंद की जा सकती हैं।

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