
- घोटालेबाज साथियों की जांच बंद करने के किए जा रहे प्रयास
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। दुग्ध संघ भोपाल के प्रभारी प्रभारी सीईओ आरपीएस तिवारी चाहते हैं कि उनके मातहत घोटाले में फंसे दो अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए। इसका खुलासा उस पत्र से होता है। जो उनके द्वारा विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा गया है। दरअसल यह पूरा मामला है सहकारी दुग्ध संघ के प्लांट में स्टाक से अधिक मात्रा में पाए गए आठ हजार 325 किलो दूध पाउडर का। दरअसल इस मामले में प्रभारी सीईओ होने की वजह से उनकी भी संलिप्तता की बात कही जाती है। यही वजह है कि इस मामले में आरोपी प्लांट के सहायक उप महाप्रबंधक भरत अरोरा और क्रय- विक्रय प्रबंधक विजय अग्रवाल के खिलाफ जारी जांच को बंद कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। एमपी को ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन में किए गए भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी तिवारी ने पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा को अपील की जो फाइल भेजी है, उसमें अरोरा व अग्रवाल के खिलाफ जारी जांच को रोकने की मांग की गई है। तिवारी ने इस पत्र को लिखने के लिए अरोरा व अग्रवाल के अपीलीय आवेदन को आधार बताया है। खास बात यह है कि एमपीसीडीएफ के नियम 48 के तहत विभागीय जांच के खिलाफ अपील करने का नियम ही नहीं है। महज उन मामलों में ही अपील की जा सकती है, जिनमें लघु शास्ति दी जाती है। अगर जानकारों की मानें तो जांच तो बंद नहीं की जा सकती है, बल्कि आरोप पत्र का जवाब नहीं दिया जाता है तो उस पर भी जरुर कार्रवाई करने
का प्रावधान है। दरअसल एमपीसीडीएफ में वर्षों से चुना हुआ संचालक मंडल नहीं है, इसलिए पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव के पास प्राधिकृत अधिकारी की जिम्मेदारी है जो वर्तमान में गुलशन बामरा है। इसके पूर्व यह जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया के पास थी।
यह मानी जा रही है वजह: अधिक दूध पाउडर मिलने के मामले में दुग्ध संघ के प्रभारी सीईओ होने के नाते आरपीएस तिवारी को भी इस घोटाले में बराबर का दोषी माना जा रहा है। यही वजह है कि उन्हें भी एमडी द्वारा नोटिस जारी किया गया है। खास बात यह है कि तिवारी ने भी नोटिस का जवाब नहीं दिया है। जानकारों का कहना है कि अगर जांच बंद की जाती है तो सीईओ को भी इसका लाभ मिलेगा। इधर अरोरा व अग्रवाल ने अपनी विभागीय जांच रुकवाने के लिए जांच अधिकारी एवं एमपीसीडीएफ के सहायक महाप्रबंधक ए अली को 15 मई को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी के माध्यम से प्राधिकृत अधिकारी के पास अपील की है, तब तक जांच न की जाएं।
यह है मामला…
भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के प्लांट में 15 अगस्त 2022 को आकस्मिक जांच की गई थी, तब दूध पाउडर अधिक मात्रा में पाया गया था। इसके बाद एमपीसीडीएफ के प्रबंधक संचालक तरुण राठी ने भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के प्रभारी सीईओ आरपीएस तिवारी को छह से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। तिवारी ने इसके जवाब तक नहीं दिए हैं। इस मामले में जारी नोटिस का अरोरा और अग्रवाल द्वारा जरुर जवाब दिया गया था, जिसमें उनकी भूमिका मिलने पर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कराई गई थी।
तिवारी पर हो सकती है कार्रवाई
प्रदेश के एक पूर्व मुख्य सचिव का कहना है कि विभागीय जांच को किसी भी स्थिति में बंद नहीं कराया जा सकता। यदि ऐसा किया है तो यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है। नियमानुसार जांच के बाद उसके आधार पर दिए गए दंड के खिलाफ जरुर अपील की जा सकती है। जिस अधिकारी के खिलाफ पहले से आरोप हैं, उन्हें तो ऐसे मामलों को आगे बढ़ाने या फारवर्ड करने के अधिकार भी नहीं है। ऐसा करना भी कार्रवाई के दायरे में आता है।