जौहरी को एक्सटेंशन नहीं, सुधीर सक्सेना का नाम तय

जौहरी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पुलिस का नया मुखिया कौन होगा इसको लेकर कयासों का दौर जारी है। डीजीपी विवेक जौहरी के सेवानिवृत्त होने में अब महज एक माह का ही समय बचा है, लेकिन अब तक प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र को नए डीजीपी के नामों का पैनल ही नहीं भेजा गया है। इसकी वजह से अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है।
इस मामले में सरकार की बेहद सुस्त चाल की वजह से पुलिस महकमे में भी बेचैनी देखी जा रही है। हालांकि यह तो तय है कि मौजूदा डीजीपी विवेक कुमार जौहरी को अब एक्सटेंशन देने के मूड में सरकार कतई नही है। नियमानुसार नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को तीन माह पहले एक पैनल बनाकर केन्द्र को भेजना होता है, जिसमें तीन वरिष्ठ अफसरों के नाम होते हैं। जनवरी माह का अंतिम सप्ताह होने के बाद भी अब तक पैनल नहीं भेजा गया है, जबकि मौजूदा डीजीपी विवेक कुमार जौहरी पांच मार्च 2022 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उनकी जगह लेने वाले अफसरों के नामों को लेकर चर्चा खूब हो रही है, जिसमें केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सुधीर कुमार सक्सेना और महानिदेशक होमगार्ड पवन जैन और शैलेश सिंह के नाम शामिल हैं। हालांकि माना जा रहा है कि सुधीर सक्सेना को नया डीजीपी बनाया जा सकता है। पुलिस मुख्यालय की ओर से राज्य सरकार को तीस साल की सेवा पूरी कर चुके करीब दो दर्जन से अधिक आईपीएस अफसरों के नाम भेजे गए हैं। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार को भेजा जाता है। केन्द्र सरकार इसमें तीन नाम छांट कर वापस राज्य सरकार को भेजता है।
इसमें एक नाम का चयन डीजीपी के लिए किया जाता है। अगर प्रदेश के आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता की बात की जाए तो सुधीर कुमार सक्सेना का नाम पहले क्रम पर आता है। वे वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। सक्सेना वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में सचिव सुरक्षा के पद पर पदस्थ हैं। वे पहले प्रदेश में पदस्थ रहने के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी भी रह चुके हैं। उनसे दो माह पहले राज्य सरकार द्वारा डीजीपी बनने के लिए सहमति भी ली जा चुकी है। इसकी वजह से उनका नाम लगभग तय माना जा रहा है। नए डीजीपी बनने के दूसरे दावेदार पवन जैन को माना जा रहा है।  
वे अभी प्रदेश में होमगार्ड में विशेष  महानिदेशक हैं। सक्सेना और जैन 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं। दोनों के आपसी रिश्ते भी बेहद अच्छे हैं। वरिष्ठता क्रम में तीसरा नाम शैलेश सिंह का है। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश के अगले डीजीपी सक्सेना हो सकते हैं, लेकिन इस मामले में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही करना है।
यह है परंपरा
जौहरी को डीजीपी बनाने का आदेश पांच मार्च 2022 को जारी किया गया था, इसकी वजह से वे इस साल 5 मार्च को कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। उनके सेवानिवृत्त होने में अब लगभग  35 दिन बचे हैं। इस अवधि में नया नाम तय किया जाना है। परंपरा के मुताबिक जिसे डीजीपी बनाना होता है, उसे डीजीपी की सेवानिवृत्ति से कम से कम दस दिन पहले ओएसडी पुलिस मुख्यालय बना कर पदस्थ कर दिया जाता है, जिससे की वह विभाग की कार्यप्रणाली को अच्छी तरह समझ लें। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार को नामों का पैनल तक नहीं भेजा है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश बहुत साफ हैं। शीर्ष अदालत ने नामों का पैनल तीन महीने पहले भेजने के निर्देश सभी राज्य सरकारों को दिया है। दूसरा मुद्दा जौहरी की सेवावृद्धि का आता है, जिसकी संभावना नहीं के बराबर है। अगर राज्य सरकार सेवावृद्धि भी देना चाहती है, तो उसके लिए भी प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाता है। यानी अभी तक दोनों प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजे गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता रहा है कि नए डीजीपी को लेकर सरकार द्वारा देरी करने की आखिर वजह क्या है।

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