टेंडर में जोड़ी ऐसी शर्तें कि सिर्फ बड़े ठेकेदार ही हो सकेंगे शामिल

टेंडर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने हाल ही में बांधों से गाद निकालने की मंजूरी दी है। जिन बांधों से यह गाद निकाली जानी है उनमें रानी अवंतीबाई सागर, तवा डेम, इंदिरा सागर के साथ ही बाणसागर बांध शामिल हैं। दरअसल सरकार द्वारा इन बांधों की जल भंडारण क्षमता के पुनर्स्थापन के नाम पर इन बांधों से गाद निकालने की मंजूरी दी गई है। लेकिन अफसरों ने गाद निकालने के लिए किए जाने वाले टेंडर में कुछ ऐसी शर्तों को जोड़ दिया है जिससे सिर्फ पांच सौ करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियां ही टेंडर में भाग ले सकेंगी। यही नहीं इससे कम टर्नओवर वाली कंपनियां ज्वॉइंट वेंचर अथवा कंसोर्टियम बनाकर भी टेंडर में भाग नहीं ले सकेंगी। यानी जिन शर्तों को मंजूरी दी गई है उनके मुताबिक पांच सौ करोड़ के नीचे वाली कंपनियों को यह काम नहीं मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने रानी अवंतीबाई सागर से 300 मिलियन घनमीटर, इंदिरा सागर बांध से 550 मिलियन घनमीटर, तवा बांध से 250 मिलियन घनमीटर तथा बाणसागर बांध से 180 मिलियन घनमीटर गाद और रेत निकालने की अनुमति दी है।
खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी गाद
यह भी फैसला लिया गया है कि उपरोक्त बांधों से निकलने वाली गाद किसानों को नि:शुल्क दी जाएगी जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सके। ऐसे में आसपास के किसानों को लाभ होगा।
टेंडर की ये रहेंगीं शर्तें
तकनीकी रूप से अर्हता पूर्ण करने और अधिकतम दर पर प्रस्तुत करने वाले ठेकेदार को ही कार्य आवंटित किया जाएगा। आधार मूल्य का निर्धारण रेत निकालने के लिए सौ रुपए प्रति घनमीटर होगा। ठेकेदार को बांधों से रेत निकालने दस साल और एक साल में बीस लाख टन गाद निकालने का अनुभव होना चाहिए। जलाशयों से गाद निकालने की निविदा अवधि पंद्रह साल रहेगी। हालांकि इसमें पांच साल तक वृद्धि की जा सकेगी। अनुबंध उपरांत ठेकेदार को 12 महीने में कम से कम दस करोड़ रुपए रॉयल्टी खनिज विभाग को जमा करनी होगी। वहीं परफारमेंस गारंटी के रूप में ठेकेदार को पच्चीस करोड़ की राशि जमा करना अनिवार्य होगा। खास बात है कि इसमें घन मीटर मिश्रित रेत निकालने का कार्य करने की शर्त अनिवार्य रहेगी। जबकि ज्वाइंट वेंचर अथवा कंसोर्टियम को निविदा प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं रहेगी।

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