
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में खनिज विभाग द्वारा पांच हजार छह सौ करोड़ की राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कवायद की जा रही हैं। चूंकि रेत की खदानों से आमदनी कम होने की वजह से जहां चार जिलों में रेत ठेकेदारों ने ठेके सरेंडर करने के आवेदन कर दिए है, वहीं आठ जिलों में कोरोना के कारण रेत खदानों के ठेके निरस्त हो चुके है।
यही वजह है कि अब प्रदेश के एक दर्जन जिलों में रेत खदानों के ठेके फिर से किए जाएंगे। हालांकि इस बीच राज्य सरकार द्वारा खनन से राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कराया जा रहा है। इसके बाद ही नए सिरे से एक दर्जन स्थानों पर रेत खदानों के ठेके किए जाएंगे। इन ठेकों की प्रक्रिया अगले महीने शुरू होने की संभावना है।
आठ जिलों में शुरू ही नहीं हो सकीं खदानें
चार जिलों में रेत के ठेकेदारों ने कम आमदनी के अनुमान से अपनी रेत खदानें सरेंडर कर दी है। जबकि आठ जिलों में कोरोना के चलते खदाने शुरू ही नहीं हो पाई। इन आठ जिलों में अलीराजपुर, मंदसौर, रायसेन, रीवा, शिवपुरी, राजगढ़, धार और छतरपुर जिले शामिल है। यहां के रेत खदानों के ठेके निरस्त हो गए है। अब खनिज विभाग यहां नये सिरे से रेत खदानों के ठेके देने फिर से टेंडर जारी करेगा। बारिश में वैसे भी रेत खनन पर प्रतिबंध रहता है और ठेके की प्रक्रिया पूरी होंने में भी एक से डेढ़ माह का समय लग जाता है। इस बीच सरकार खनन से राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों की नीतियोें का अध्ययन करा रही है। इसके बाद फिर से नये सिरे से एक दर्जन स्थानों पर रेत खदानों के ठेके किए जाएंगे। ये ठेके अगले माह होंने की संभावना है।
रेत नीति में बदलाव के बाद महंगे में गए ठेके
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार को अब तक प्रदेश में रेत खदानों से अधिक आय नहीं होती थी। वहीं वर्ष 2019-20 में ही दो सौ पचास करोड़ रुपए के ठेके हुए थे। इस बार रेत नीति में बदलाव किया गया। उसके बाद जब ठेके हुए तो ठेकेदारों में प्रतिस्पर्धा के चलते प्रदेश में इस बार रेत खदानों के ठेके 11 सौ करोड़ से अधिक में गए है। वहीं वित्त विभाग ने इस बार प्रदेश में खनिज विभाग को पांच हजार 600 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य को पूरा करने में विभाग जतन करने में जुटा है। चूंकि कोरोना संकटकाल में लगाए गए लॉकडाउन व अन्य बंदिशों की वजह से पहले ही राजस्व वसूली कम हो रही है। दूसरी ओर मुनाफा नहीं होने की वजह से रेत समूहों के ठेके ठेकेदार सरेंडर कर रहे है। जिन जिलों की रेत खदानें ठेकेदारों द्वारा कम आमदनी होने के अनुमान की वजह से सरेंडर कर दी गई हैं, उनमें भिंड, शाजापुर, रतलाम और पन्ना जिलों की रेत खदानें शामिल हैं।