
-मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड ने जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अभी तक दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क विद्यार्थियों को नहीं देना होना था , लेकिन अब तिमाही परीक्षा के लिए भी परीक्षा शुल्क जमा करना होगा। इस संबंध में मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर फीस जमा करने के आदेश दे दिए हैं। पत्र में लिखा है कि सत्र 2022-23 की नौवीं एवं 11वीं की तिमाही परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों का मुद्रण एवं जिला स्तर तक वितरण का कार्य मप्र राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल द्वारा किया जाना है। उक्त परीक्षाओं के लिए 100 रुपए प्रति छात्र शुल्क निर्धारित किया गया है। जिसमें से 65 प्रतिशत राशि मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड, पांच प्रतिशत राशि संभागीय संयुक्त संचालक, 10 प्रतिशत राशि जिला शिक्षा अधिकारियों और 20 प्रतिशत राशि संबंधित स्कूल के लिए निर्धारित की गई है। इस परीक्षा के संबंध में मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल की राशि 65 रुपये प्रति छात्र विभाग के खाते में समय-सीमा में जमा करने की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि आप सही कह रहे हैं। सरकारी स्कूल में ज्यादातर गरीब बच्चे पढ़ते हैं। इतनी फीस नहीं ली जाना चाहिए। इसे संशोधित कराया जाएगा। जल्द ही संशोधित आदेश जारी कराएंगे।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने तिमाही परीक्षा में भी कमाई करने का गुणा-भाग लगा लिया है। प्रदेश में पहली बार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों से त्रैमासिक परीक्षा फीस वसूल की जाएगी। प्रत्येक विद्यार्थी से 100 रुपए लिए जा रहें हैं। प्रदेशभर में ऐसे 8 लाख विद्यार्थी हैं, इस मान से मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड 8 करोड़ रुपए वसूलेगा। आश्चर्य की बात यह है कि इसमें से केवल 20 प्रतिशत यानी 1.60 करोड़ रुपए (प्रति छात्र 20 रुपए) ही परीक्षा में उत्तरपुस्तिका खरीदी के लिए प्राचार्यों को दिए जाएंगे। बाकी 80 प्रतिशत यानी 6.40 करोड़ रुपए (प्रतिछात्र 80 रुपए) शिक्षा विभाग प्रश्नपत्र छपवाने के नाम पर खुद लेगा। इस राशि का केवल 10 प्रतिशत ही प्रश्नपत्र छपवाने पर खर्च होगा, बाकी राशि शिक्षा विभाग के खजाने में जमा कर ली जाएगी। इस संबंध में मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं।
सुधार के लिए कोशिश
इसके पहले तक तिमाही परीक्षा के प्रश्नपत्र स्थानीय स्तर पर तैयार होते थे या बोर्ड की ओर से आनॅलाइन अपलोड कर शिक्षा विभाग और शिक्षकों को प्रिंटआउट निकालकर छात्रों को देने के लिए कहा जाता था। इससे बहुत कम खर्च में प्रश्नपत्र छात्रों को उपलब्ध करा दिए जाते थे। प्राचार्यों के मुताबिक 10 रुपए में 6 प्रिंट मिल जाते थे, जिसे छात्रों के मान से प्रत्येक स्कूल स्तर पर प्रिंट कराने की व्यवस्था थी। पिछले साल परीक्षा का सालाना शुल्क 65 रुपए निर्धारित किया था, जिसमें से तिमाही एवं छह माही परीक्षा का खर्च उठाया था। छमाही तिमाही परीक्षाएं औपचारिकता न रह जाएं, इसलिए बोर्ड प्रश्नपत्र छपवाकर भिजवाएगा। मप्र राज्य मुक्त शिक्षा बोर्ड के डायरेक्टर पीआर तिवारी का कहना है कि 100 रुपए प्रति छात्र अधिक नहीं है। बोर्ड 65 रुपए में छपाई के साथ पूरे प्रदेश में वितरण का काम करेगा। छपाई-परिवहन दोनों महंगे हो गए हैं।