एनजीटी की रोक के बाद टाइगर मूवमेंट एरिया में रसूखदार सक्रिय

एनजीटी
  • यदि वनक्षेत्र में मानवीय गतिविधियां बढ़ेंगी तो इससे बाघ व अन्य वन्य प्राणियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    राजधानी भोपाल से सटा चंदनपुरा वन क्षेत्र इन दोनों सुर्खियों में है। वैसे तो यह बाघ भ्रमण का क्षेत्र है लेकिन अब यहां रसूखदारों द्वारा कब्जा जमा जमाने की लगातार कोशिशें की जा रही है। यही नहीं बाघ विचरण वाले इस क्षेत्र में मास्टर प्लान के नियमों को ताक पर रखकर करीब एक किलोमीटर दूर तक नई सड़क बनाई जा रही है। जबकि चंदनपुरा बाघ भ्रमण क्षेत्र में कोलार से घुसपैठ वाली सड़क निर्माण में मास्टर प्लान 2005 में सड़क अलाइनमेंट का उल्लंघन हो रहा है। दरअसल यह सड़क कोलार की ओर से होकर बनना चाहिए लेकिन जंगल की ओर पहाड़ों को काटकर सड़क बनाई जा रही है। यह सब रसूखदारों के रसूख के दम पर किया जा रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि शासन प्रशासन में बैठे अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन सब सांठगांठ से किया जा रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है। बता दें कि चंदनपुरा पहाड़ी क्षेत्र पर लगी निजी जमीनों पर यह सड़क तैयार की जा रही है। इसमें मुआवजे की प्रक्रिया भी नहीं की गई है। ऐसी भी जानकारी मिली है कि यहां करीब 90 एकड़ जमीन रसूखदारों की है। इस सड़क के बन जाने से इन्हें कोलार की सीधी कनेक्टिविटी मिल जाएगी। वहीं व्यवसायिक गतिविधियां भी होने लगेंगी जैसे पहाड़ी पर बाघ भ्रमण क्षेत्र में आने वाली जमीन पर प्लाटिंग आसानी से होगी। उसके बिक्री में भी दिक्कत नहीं आएगी। चंदनपुरा कलियासोत क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर एनजीटी से में लड़ाई लड़ने वाले एक एक्टविस्ट का कहना है कि कुछ रसूखदारों के लाभ के लिए जंगल को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
    जारी है पहाड़ों की खुदाई
    यहां पहाड़ों को समतल जमीन में बदलने का काम पिछले दस महीनों से  जारी है। सीपीए यहां 80 फीट चौड़ा और करीब एक किलोमीटर लंबा रोड बनवा रहा है। सड़क पहाड़ों की खुदाई से निकलने वाला खोपरा सड़क निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। इस सड़क निर्माण की शिकायत शासन स्तर पर की गई थी। उसके बाद सीपीए की ओर से कहा गया कि सड़क का काम बंद कर दिया गया है। जबकि सड़क बनाने के लिए सीपीए ने आनन-फानन में टेंडर निकाला है। सूत्रों की माने तो कांटेक्टर ने सड़क निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट 26 प्रतिशत कम रेट में यह काम लिया है। यही नहीं बिना वर्क आर्डर के काम भी शुरू कर दिया गया। इस सड़क के बन जाने से के बाद यह क्षेत्र सीधे कोलार से जुड़ जाएगा।
    वन्य प्राणियों का जीवन होगा प्रभावित
    बहरहाल इस मामले को लेकर  शिकायतें भी हुई है। जिसमें चंदनपुरा वन एवं बाघ भ्रमण क्षेत्र को नुकसान की आशंका जताई गई है। बताया जा रहा है कि यहां 80 फीट चौड़ी सड़क बनने से मानव हलचल व घुसपैठ बढ़ेगी। इससे वन्य प्राणियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं ऐसी स्थिति में बाघ व वन्य प्राणियों के मानव टकराव की स्थिति बनेगी।
    जिम्मेदारों का गोलमोल जबाव
    दरअसल बाघ भ्रमण क्षेत्र में सड़क बनाए जाने के मामले में सीपीए के अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। सीपीए के अधीक्षण यंत्री रवि मित्तल को सड़क के अलाइनमेंट से लेकर अन्य तकनीकी मामलों पर निगरानी रखना थी वन क्षेत्र में दिक्कत ना हो और वह संरक्षित रहे इसका भी ध्यान रखना था लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया। हालांकि इनकी ओर से कहा गया कि सब कुछ प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है। वहीं सीपीए के कार्यपालन यंत्री राजेश सूद के मुताबिक चंदनपुरा में सड़क निर्माण का कार्य एक हफ्ते पूर्व ही रुकवा दिया गया था और इंजीनियर से जांच कराई जा रही है।
    एनजीटी की रोक के बाद हो रहा निर्माण
    यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि कलियासोत इलाके में स्थित चंदनपुरा बाघ भ्रमण एरिया में शामिल है। एनजीटी ने इस इलाके में किसी भी तरह की मानवीय गतिविधियों पर रोक लगा रखी है। यही नहीं मास्टर प्लान 2031 के ड्राफ्ट में इस इलाके में सड़क प्रस्तावित की गई थी लेकिन इसको लेकर ढेरों आपत्तियां आई थी। उस समय पर्यावरण से जुड़े जानकारों सहित कई लोगों ने यह कहते हुए प्रस्तावित सड़क पर आपत्ति जताई थी कि इस इलाके में सड़क बनाने से मानवीय गतिविधियां बढ़ेंगी जिससे इस क्षेत्र में बाघ व अन्य वन्य प्राणियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

Related Articles