फिर भी चालान पेश नहीं कर सका लोकायुक्त

लोकायुक्त
  • पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा मामला: गवाह है, सबूत है, आरोपी है…

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  मप्र के बहुचर्चित भ्रष्टाचार मामले में आरोपी पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उसके साथियों को जमानत मिल गई है। हालांकि आरोपी अभी जेल में ही हैं। लेकिन विडंबना यह है कि गवाह है, सबूत है, आरोपी है…फिर भी लोकायुक्त साढ़े 8 महीने बाद भी चालान पेश नहीं कर पाया है। दरअसल, किसी भी मामले में अगर 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती है तो आरोपी जमानत का हकदार हो सकता है। जब तक की मामला रासुका या मकोका ना हो। लेकिन आज तक लोकायुक्त चालान पेश नहीं कर पाया है।
    गौरतलब है कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त के छापे पड़े थे। लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी कर 234 किलो चांदी और करोड़ों रुपये कैश बरामद किए थे। इसके बाद सौरभ के एक सहयोगी की कार से आयकर विभाग को 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये नकद मिले थे। इस मामले की तीन एजेंसियां जांच कर रही हैं, जिसमें लोकायुक्त पुलिस, ईडी और आयकर विभाग शामिल है। इस छापे को करीब साढ़े आठ महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक चालान पेश नहीं हो सका है। चालान में देरी के चलते लोकायुक्त प्रकरण में सौरभ और उसके दोनों साथियों चेतन गौर और शरद जायसवाल को विशेष न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय के प्रकरण में सौरभ और शरद अभी जेल में हैं, जबकि तीसरा साथी चेतन 3 सितम्बर तक उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अस्थायी जमानत पर जेल से बाहर है।
    लगातार बढ़ रहीं हैं तारीखें
    गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में एक महीने बाद जुड़ा लेकिन ईडी 8 अप्रैल 2025 को न्यायालय में चालान पेश कर दिया है। ईडी ने चेतन की कार से मिले सोने और नकदी सहित कंपनियों में निवेश राशि को भी सौरभ की काली कमाई बताते हुए न्यायालय में इसकी कुर्की का आवेदन भी किया है। लेकिन सबसे पहले छापा मारने वाली आयकर विभाग की टीम द्वारा न्यायालय में चालान पेश नहीं किए जाने से लोकायुक्त की कार्यशैली पर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। सौरभ और उसके साथियों के मामले में भोपाल जिला न्यायालय में बिना किसी ठोस कार्रवाई या निर्णय के लोकायुक्त और ईडी प्रकरणों में बार-बार न्यायालय में तारीखें बढ़ाई जा रही हैं। पिछली पेशी 30 अगस्त को थी जो बढकऱ 13 सितम्बर हो गई थी। इस दिन शनिवार के साथ-साथ लोक अदालत रहेगी, न्यायाधीशों के लोक अदालत में व्यस्तता के चलते एक बार फिर से पेशी बढ़ सकती है।
    पिछले साल दिसंबर में पड़ा था छापा
    18 दिसम्बर 2024 को सुबह 6 बजे लोकायुक्त टीम ने सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थित दो ठिकानों घर और कार्यालय) पर छापा मारा था। सौरभ के ठिकानों से मिली चल-अचल संपत्तियों को सार्वजनिक किए बिना दिनभर चली कार्रवाई संदेह के घेरे में भी रही। क्योंकि लोकायुक्त की कार्रवाई के बीच सौरभ के ठिकाने से उसके साथी चेतन के नाम पर पंजीकृत एक कार निकल भागी, जिसमें 11 करोड़ नकदी और 52 किलो सोना रखा था। चूंकि आयकर विभाग भी सौरभ के ठिकानों पर कार्रवाई के लिए तैयार बैठा था, लेकिन लोकायुक्त के छापे के बाद उसे पीछे हटना पड़ा था। नकदी और सोने से भरी कार के निकल भागने की सूचना मिलते ही आयकर विभाग की टीम इस कार के पीछे लगी और आखिर मेंडोरी के जंगल में इस कार से 11 करोड़ नकदी और 52 किलो सोना जब्त किया था। यह दोनों ही एजेंसियां की जांच सौरभ की भोपाल में जब्त संपत्तियों तक सिमटी रही। लेकिन एक महीने बाद प्रवर्तन निदेशालय इस प्रकरण में शामिल हुआ और ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में सौरभ, चेतन और शरद के ठिकानों के अलावा परिजनों व कुछ रिस्तेदारों के ठिकानों पर भी छापे मारे। इन छापों में सामने आया कि सौरभ ने उसके रिस्तेदारों, दोस्तों और परिजनों के नाम से फमाँ, कंपनियों और सोसायटी के नाम से बड़ी मात्रा में पैसा निवेश किया है। कंपनियों में डायरेक्टर, चेयरमैन जैसे पदों पर होने के कारण ईडी ने सौरभ, चेतन और शरद के अलावा सौरभ की माँ श्रीमती उमा शर्मा, पत्नी श्रीमती दिव्या तिवारी, साले रोहित तिवारी और मौसेरे जीजा विनय हासवानी को भी आरोपी बनाया। हालांकि सौरभ द्वारा इन संपत्तियों में निवेश राशि स्वयं की होने की बात स्वीकारी इस आधार पर न्यायालय ने ईडी प्रकरण में चारों को जमानत दे दी थी। ईंडीं प्रकरण में सौरभ, शरद, चेतन की जमानत उच्च न्यायालय से भी खारिज हो चुकी है। हालाकि चेतन को बीमार पत्नी और नवजात बच्चों की देखभाल के लिए पहले 14 दिन और फिर 7 दिन की अस्थायी जमानत मिली है।

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