
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शिव सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए विनिवेश प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की मुहर लगने से प्रदेश के खजाने को दोहरा लाभ मिला है। निजी हाथों में जमीन मिलने देने की वजह से उसकी कीमत तो सरकार को मिली ही है साथ ही केन्द्र सरकार से भी प्रदेश को पांच अरब रुपए से अधिक की राशि भी अतिरिक्त रुप से मिली है। यह राशि अतिरिक्त कर्ज लिमिट के नए फॉर्मूले के तहत प्रदेश सरकार को मिली है। इनमें से ढाई सौ करोड़ रुपए की राशि राज्य सरकार के खजाने में आ चुकी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना काल के कारण राज्यों को अतिरिक्त कर्ज की लिमिट में छूट प्रदान की है। इसके तहत एक मॉडल तैयार किया गया है, जिसके करीब चार चरण है। इसमें इस योजना के तीसरे भाग के मॉडल के तहत मध्यप्रदेश को यह अतिरिक्त लाभ मिला है। प्रदेश में सरकारी संपत्ति निजी सेक्टर को देने की योजना का प्रेजेंटेशन मध्य प्रदेश सरकार ने बीते दिसंबर में केंद्र को भेजा था। इस प्रेजेंटेशन को मंजूर कर मध्यप्रदेश को यह अतिरिक्त मदद दी गई है। प्रदेश को अतिरिक्त कर्ज की आधा फीसदी लिमिट के अलावा यह मदद है। दरअसल प्रदेश में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के तहत सरकारी संपत्ति को निजी सेक्टर को देकर विकास के काम किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में सरकारी संपत्ति को चिह्नित कर निजीकरण किया जा रहा है। इसके पीछे पीपीपी मॉडल पर विकास करना है। अब भी डेढ़ दर्जन से ज्यादा प्रॉपर्टी इस दायरे में हैं। बीते दिनों कैबिनेट में ग्वालियर और रतलाम की दो सरकारी प्रॉपर्टी को निजी हाथों में देने का फैसला किया गया है। इसमें ग्वालियर की जमीन 65.11 करोड और रतलाम की जमीन 17.76 करोड़ रुपए कीमत की हैं।