प्रदेश को मिली 1772 सूक्ष्म खाद्य उद्यम इकाइयों की सौगात

सूक्ष्म खाद्य उद्यम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में जल्द ही सूक्ष्म खाद्य उद्यम की करीब पौने दो हजार इकाइयां लगने वाली हैं। इनके लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खादय उद्यम उन्नयन योजना में ऋण भी स्वीकृत किया जा चुका है। यह योजना शुरु होते ही  उद्यमियोंं में खासतौर पर लोकप्रिय हो रही है। इसे इससे ही समझा जा सकता है कि प्रदेश से योजना में इस योजना में 10664 उदयमियों ने कर्ज के लिए आवेदन किया था। परीक्षण के बाद 1772 को ऋण देने योग्य पाया गया। बाकी आवेदनों पर विभिन्न स्तरों पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवा उदयमियों से आगे बढक़र इस का लाभ उठाने का आग्रह किया है। प्रदेश में जो 1772 इकाइयां लगने जा रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा 116 इकाइयां ग्वालियर में लगेंगी। दूसरे नम्बर पर 100 इकाइयां खरगौन में, रीवा में 47, बालाघाट में 23, टीकमगढ़ में 27 और होशंगाबाद में 22 इकाइयां लगेंगी।
यह है योजना में
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राज्य सरकार की भागीदारी के साथ सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी एवं कारोबार में सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना शुरू की है। इसमें कौशल प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों एवं स्वच्छता के संबंध में तकनीकी जानकारी देने एवं गुणवत्ता सुधार के माध्यम से क्षमता निर्माण किया जा रहा है। इच्छुक लोगों को बैंक ऋण एवं डीपीआर तैयार करने के लिए मदद दी जाती है। पूंजी निवेश, इन्फास्ट्रक्चर तथा ब्रांडिंग एवं विपणन सहायता के लिए स्थापित होने वाले उदयम 35 प्रतिशत पर तक की हो सकती है। लाभार्थी का योगदान 10 प्रतिशत होना चाहिए। बाकी राशि बैंक ऋष्टा होगी। स्व-सहायता समूहों को वर्किंग कैपिटल उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है। इसमें नई इकाइयों को प्राथमिकता मिलेगी।
सर्वश्रेष्ठ सूक्ष्म खाद्य इकाइयों की सूची तैयार
केन्द्र सरकार ने सर्वश्रेष्ठ सूक्ष्म खाद्य इकाइयों की सूची तैयार की है। इसमें मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जमुना स्व-सहायता समूह की सफलता का उल्लेख है। इस समूह के सदस्यों को खाद्य प्रसंस्करण में प्रशिक्षण मिला। समूह ने आम का अचार बनाना शुरू कृषक उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों किया। स्थानीय बाजार में बेचना शुरू किया। इससे समूह को हर वो सहायता दी जा रही है। व्यक्तिगत रूप से महीने 1000 रुपये की आय होने लगी। समूह के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ता गया। आम का अचार बनाने के काम से आगे क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ लेकर कदम बढ़ाते हुए प्राकृतिक कीटनाशक तक तैयार किया जा रहा है।  इसमें अधिकतम सब्सिडी 10 लाख रुपये तक मिल रही है। इसमें नीमास्त्र, दशपर्णी अर्क और जीवनामृत मुख्य कीटनाशक उत्पाद हैं। इससे समूह की आय 5 से 10 हजार रूपये तक बढ़ी है। दो साल पहले जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ने समूह सदस्य लक्ष्मी परते को उत्कृष्ट महिला सम्मान दिया था। अन्य सदस्य श्रीमती ममता धुर्वे को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद किसान विज्ञान केन्द्र बैतूल ने वर्ष 2020- 21 में सर्वश्रेष्ठ महिला कृषक का सम्मान दिया था।

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