
-प्रदेश में नवाचारों को गति देने के लिए स्टार्टअप सेंटर तैयार
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सीएम शिवराज सिंह के प्रयासों से मप्र ऐसा राज्य बन चुका है , जिसकी पहचान अब नवाचारों के राज्य के रुप में होने लगी है। सरकार का अब फोकस पूरी तरह से स्टार्टअप पर है। यही वजह है की अब प्रदेश में ऐसे उद्यमियों को कई तरह की सरकार द्वारा सौगातें दी जाएंगीं। इसके माध्यम से सरकार एक साथ कई तरह के क्षेत्र में अगुवा बनने की मंशा रखती है। यही वजह है की इसमें भी नवाचार को शामिल किया जा रहा है। इससे न केवल प्रदेश में स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा बल्कि नवोदित उद्यमियों को प्रोत्साहन भी मिल सकेगा।
इसके लिए सरकार द्वारा स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च की जा रही है, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 मई को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में लांच करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। प्रदेश सरकार ने इस बार एमपी स्टार्टअप सेंटर के कॉन्सेप्ट को स्टार्टअप नीति 2022 में जोड़ा है। इस क्षेत्र के करीब 50 स्टार्टअप्स में से कई विचारों का चयन किया है, जिसके लिए 11 मई को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। यह स्टार्टअप नीति विशेष रूप से राज्य के युवाओं के उद्यमशीलता के विचारों को मजबूत करने और वास्तविकता में लाने के लिए विकसित की गई है। मध्य प्रदेश स्टार्टअप नीति के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार ने राज्यभर में कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। एमपी स्टार्टअप सेंटर के कॉन्सेप्ट को एमपी स्टार्टअप नीति 2022 में जोड़ा गया। पहले, विभाग द्वारा केवल एक नीति लागू की जा रही थी, लेकिन अब इसे एमपी स्टार्टअप सेंटर के साथ मिलकर लागू किया जाएगा। यह स्टार्टअप सेंटर एक समर्पित कार्यालय होगा, जिसमें प्रत्येक स्टार्टअप के लिए हेड या संरक्षक होगा और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे। इस प्रकार स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च करने वाला मप्र पहला राज्य बन जाएगा।
इस तरह के प्रावधान : ऐसा स्टार्टअप जिसमें सेबी द्वारा अधिमान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान से फंड/ निवेश प्राप्त किया गया हो तो प्राप्त प्रथम निवेश के 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम रुपए 15 लाख की सहायता दी जावेगी। यह सहायता स्टार्ट-अप के जीवन काल में अधिकतम चार चरणों में प्राप्त निवेश पर प्रत्येक के लिए पृथक- पृथक अधिकतम 15 प्रतिशत की दर से देय होगी। महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप्स को अतिरिक्त 20 प्रतिशत की सहायता मिलेगी। स्टार्टअप से संबंधित कार्यक्रम के आयोजन के लिए मप में स्थित इन्क्यूबेटर को रुपए 5 लाख प्रति आयोजन की सहायता जो रुपए 20 लाख प्रतिवर्ष से अधिक नहीं होगी। इसी तरह से इन्क्यूबेटर के उन्नयन हेतु रुपए 5 लाख की एक मुश्त सहायता, किन्तु इस सुविधा का लाभ लेने हेतु प्रत्येक इन्क्यूबेटर को उसकी विद्यमान सीट क्षमता में 20 फीसदी की अतिरिक्त वृद्धि करनी होगी। यह सुविधा इन्क्यूबेटर के सम्पूर्ण जीवन काल में केवल एक बार प्राप्त होगी। स्टार्टअप को लीज पर लिये गये कार्यस्थल हेतु चुकाए गए प्रतिमाह किराए का 50 फीसदी अधिकतम रु. 5 हजार प्रतिमाह की लीज रेंटल सहायता तीन वर्ष के लिये। उक्त सहायता राज्य शासन अथवा राज्य शासन से सहायता प्राप्त औद्योगिक क्षेत्रों,पार्कों, क्लस्टर्स में स्थापित उत्पाद आधारित स्टार्टअप को उनके द्वारा लीज पर लिए गए भू-खण्ड, शेड और निर्मित स्थान पर चुकाए गए लीज रेंट एवं संधारण शुल्क पर भी उपलब्ध होगी। परन्तु उक्त सहायता किसी भी परिस्थिति में उक्त मदों में चुकाई गई राशि के 50 फीसदी अधिकतम रु. पांच हजार प्रतिमाह एवं तीन वर्ष की अवधि से अधिक नहीं होगी। पेटेंट प्राप्त करने हेतु रुपए 5 लाख की अधिकतम सहायता इस शर्त के साथ कि पेटेंट प्रदेश में स्थापित स्टार्ट-अप के लिए प्राप्त किया गया हो।
स्टार्टअप को तकनीकी एवं कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता के दृष्टिगत कौशल विकास एवं प्रशिक्षण हेतु व्यय प्रतिपूर्ति की सहायता प्रति नवीन कर्मचारी रुपए 13 हजार प्रतिवर्ष तीन वर्षों के लिए अधिकतम 25 कर्मचारियों को ही दी जाएगी। यह सहायता केवल मध्यप्रदेश के मूल निवासी कर्मचारियों को प्राप्त होगी। नियोक्ता द्वारा उत्पाद आधारित स्टार्ट-अप इकाई में- वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से प्रथम तीन वर्ष की समयावधि में नियुक्त किए गए समस्त नवीन कर्मचारियों को रुपए 5 हजार प्रति कर्मचारी प्रति माह का लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी। सहायता अवधि अधिकतम 3 वर्ष होगी एवं अधिकतम 25 कर्मचारियों को ही दी जाएगी। यह सहायता इकाई में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से 5 वर्ष की अवधि तक सीमित होगी। इसका आशय यह है कि तीसरे वर्ष में नियुक्त नवीन कर्मचारी को उसकी नियुक्ति दिनांक से अगले दो साल तक रोजगार सृजन अनुदान की पात्रता होगी। सभी पात्र नवीन इकाइयों को विद्युत कनेक्शन लेने के दिनांक से 3 वर्ष के लिए विद्युत शुल्क से छूट। नए बिजली कनेक्शन पर परियोजना में वाणिज्यिक उत्पादन दिनांक से 3 वर्षों हेतु 5 रुपए प्रति यूनिट की स्थिर दर से विद्युत आपूर्ति के प्रावधान किए जा रहे हैं।
इंदौर बनेगा हब
इंदौर में तकरीबन 700 स्टार्टअप आॅन फ्लोर हैं। तीन साल में स्टार्टअप की संख्या में तेजी से बढ़ी है। 2019 के पहले लगभग 250 स्टार्टअप थे। सिंहासा आईटी पार्क को स्टार्टअप के हब के तौर पर बनाया गया है। इसके लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है। फिलहाल इस मामले में इंदौर अभी देश के पहले दस शहरों में शामिल है। माना जा रहा है की नई पॉलिसी आने के बाद यह शहर शीर्ष पांच शहरों में शामिल हो सकता है। इंदौर मे कोरोना के बाद सबसे तेजी से ई सेक्टर के स्टार्टअप शुरू हुए। शहर में इस समय लगभग 300 स्टार्टअप ई सेक्टर में काम कर रहे हैं। वहीं हाल ही में पीथमपुर में ई व्हीकल बनाने के भी 3 स्टार्टअप शुरू हुए हैं। खास बात यह है कि इंदौर में काम कर रहे 700 स्टार्टअप में से करीब 100 ऐसे स्टार्टअप है जिनका निवेश लगभग 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो चुका है। वहीं शहर में ऐसे स्टार्टअप की संख्या भी बड़ी है जिनका वैल्यूएशन या टर्न ओवर 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो चुका है। शहर में 2 स्टार्टअप ऐसे भी है जिनकी फंडिंग 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा से की हो चुकी है। जो जल्द ही यूनिकॉर्न की लिस्ट में शामिल हो सकते है। शहर में संचालित हो रहे 700 स्टार्टअप ने इंदौर में ही 10 हजार से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रुप से रोजगार दिया है। जबकि अप्रत्यक्ष रुप से करीब 5 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
100 करोड़ का वेंचर, कैपिटल फंड और बैंक गारंटी भी मिलेगी
नई स्टार्टअप पॉलिसी में ई-स्टार्टअप पॉलिसी के तहत प्रदेश के स्टार्टअप के लिए करीब 100 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड स्थापित किया जाएगा। साथ में बैंक को गारंटी भी सरकार ही देगी। स्टार्टअप ओनर्स को बैंकों के चक्कर काटे बिना आसानी से ऋण मिल पाये, इसके लिए विभाग एक नवाचार चुनौती कार्यक्रम शुरू करेगा। वेंचर कैपिटल फंड का फायदा लेने के लिए स्टार्टअप्स को इस नवाचार चुनौती कार्यक्रम में आवेदन करना होगा। इसमें चयनित स्टार्टअप्स और नवाचारी को एक करोड़ रुपये की विशेष प्रोत्साहन सहायता दी जाएगी।मप्र में स्टार्टअप को मिलेगी… कई तरह की सरकारी सौगातें