पदोन्नति में बड़े बैच का खामियाजा भुगत रहे एसपीएस अफसर

एसपीएस अफसर
  • छह साल के इंतजार के बाद बन पाए कुछ अफसर आईपीएस

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) का एक बैच ऐसा है जिसके अफसरों को बड़ा बैच होने की वजह से पदोन्नति में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। हालात यह है कि उनके बैच के कुछ अफसर इतने सीनियर हो गए हैं कि वे जब डीआईजी हो जाएंगे जब कुछ अफसर एसपी के पद पर कार्यरत होंगे। इसकी वजह से इस बैच के अफसरों के सामने आजीब स्थिति बन गई है। इसकी वजह है उनके  बैच का एक अफसर उच्च पद पर होगा और दूसरा अफसर उसके अधीनस्थ काम कर रहा होगा। यह बैच इतना बड़ा था कि इस बैच के सभी अफसरों को आइपीएस में पदोन्नत होने में छह साल तक का समय लग गया। इस बैच के शीर्ष पर रहने वाले कुछ अफसरों को 6 साल पहले आईपीएस अवार्ड हुआ था, जबकि इसी बैच के आखिरी क्रम के अफसरों को अब छह साल बाद आईपीएस अवार्ड होने जा रहा है। इधर, इस बैच के सबसे पहले आईपीएस बनने वाले अफसरों को आज 27 दिसंबर को हो रही डीपीसी में सलेक्शन ग्रेड दिया जा रहा है। सिलेक्शन ग्रेड पाने वाले यह अफसर दो साल बाद 2023 में पदोन्नत होकर डीआईजी बनना शुरू हो जाएंगे, जबकि उनके बैच के अन्य अफसर जूनियर आईपीएस अफसर के रुप में काम करेंगे। दरअसल राज्य पुलिस सेवा के 1995 का बैच सबसे बड़ा था। इस बैच के 45 अफसरों को आईपीएस अवार्ड किए जाने का सिलसिला वर्ष 2016 से शुरू हुआ था जो अब जाकर पूरा हो पाया है। एक ही बैच के अफसरों को आईपीएस बनने में 6 साल का अंतर होने के चलते यह स्थिति बनी है। अब एसपीएस के 1995 बैच के शुरू के क्रम के जिन अफसरों  को आईपीएस बनने के बाद अब सलेक्शन ग्रेड मिलने जा रहा है, वे दो साल बाद डीआईजी हो जाएंगे। जबकि उन्हीं के बैच के अंतिम क्रम के अफसरों को आईपीएस अवार्ड होने जा रहा है, जिन्हें डीआईजी बनने के लिए आठ साल का इंतजार करना पड़ेगा। एक ही बैच के सभी अफसरों को आईपीएस अवार्ड होने में छह साल लगने के बाद आगे के बैच के अफसरों को आईपीएस अवार्ड होना मुश्किल हो गया है।
    इस तरह की बन रही थी स्थिति
    एक ही जिले में एक ही बैच के एक अफसर आईपीएस होकर एसपी हैं और उनके ही बैच के एक अफसर उन्हीं के मातहत एएसपी हैं। यह बात अलग है कि अब यह एएसपी डीपीसी होने के बाद इसी साल आईपीएस बन जाएंगे। यह मामला खरगौन जिले का है। यहां पर एसपी सिद्धार्थ चौधरी है जबकि ,एएसपी जितेंद्र पंवार है। वहीं, राकेश सिंह ग्वालियर में कमांडेंट हैं, उनके बैच के मनोहर कुमार मंडलोई डिप्टी कमांडेंट हैं। चारों ही वर्ष 1995 बैच के अफसर है। जितेंद्र पंवार और मनोहर कुमार की डीपीसी बीते सोमवार को हो चुकी है। खास बात यह है कि बड़ा बैच होने की वजह से पदोन्नति में देरी की वजह से कुछ अफसर तो पदोन्नति की तय आयु पूरी हो जाने की वजह से अब ओवरएज तक होने वाले हैं।
    यह रही वजह  
    राज्य पुलिस सेवा का 1995 बैच एमपीपीएससी की दो एग्जाम 1992 एवं 1993 से बना था, जिसमें 1992 में 45 और 1993 में 21 डीएसपी थे। दोनों बैच की ट्रेनिंग एक साथ करवाई गई थी, बाद में दोनों को यह वर्ष आवंटन किया गया। इसमें कुल 66 अफसर थे, मप्र से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद कुछ अफसर छत्तीसगढ़ चले गए, जबकि अधिकांश अफसर यहीं पर रहे। इनकी इतनी संख्या थी कि इन्हें आईपीएस अवार्ड होने में 6 साल लग गए।

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