विक्रम अवार्डियों को नौकरी दिलाने में खेल विभाग बना हुआ है लापरवाह

विक्रम अवार्डियों

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। खेलों में राष्ट्रीय  व अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले विक्रम अवार्डी इन दिनों खेल विभाग की उदासीनता की वजह से सरकारी नौकरी के लिए परेशान बने हुए हैं। हालात यह हैं कि बीते दो सालों में विभाग इस तरह के दस खिलाड़ियों को नौकरी नहीं दिला पाया है। दरअसल प्रदेश सरकार द्वारा खेल विभाग के माध्यम से खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को  विक्रम पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार  प्राप्त करने वाले को सरकारी नौकरी देने का भी प्रविधान है। खेल विभाग ने वर्ष 2019 के विक्रम पुरस्कार विजेताओं को एक साल बाद दिसंबर 2020 में पुरस्कृत किया था। इसी तरह से खेल विभाग द्वारा वर्ष 2020 के विजेताओं की घोषणा तो की जा चुकी है, लेकिन उन्हें अब तक पुरस्कृत नहीं किया गया है। इन खिलाड़ियों में इंदौर के दो खिलाड़ी पूजा पारखे (साफ्टबाल) और अद्वैत पागे (तैराकी) परिधि जोशी (घुड़सवारी) शामिल थीं। दो साल बीतने के बाद भी इनको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी है। हालात यह हैं कि नए खिलाड़ियों को खेल अलंकरण तक नहीं मिले हैं। इतना जरुर है कि कुछ खिलाड़ियों को कुछ दिन पहले खेल विभाग से एक पत्र जरूर मिला है, जिसमें उनसे शिक्षा संबंधित प्रमाण पत्र की मांग की गई है। यह बात अलग है कि हाकी खिलाड़ी विवेक सागर प्रसाद को सरकारी नौकरी मिल चुकी है, लेकिन उसकी वजह है उनका ओलिंपिक पदक विजेता टीम में शामिल रहना।
नौकरी की जगह बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा मिले : तैराकी में राष्ट्रीय रिकार्ड बनाने वाले अद्वैत के पिता आशुतोष पागे का कहना है कि विक्रम अवार्ड के बाद से हमें सिर्फ उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने का पत्र मिला है। कुछ दिन पहले जरूर जानकारी देने के लिए पत्र आया। इस बीच शासकीय विभाग से कोई संपर्क नहीं हुआ। फिलहाल हमारी सरकारी नौकरी की इच्छा नहीं है। अद्वैत की उम्र भी कम है। हम चाहते हैं कि उसे बेहतर प्रशिक्षण के लिए मदद मिले। अभी हमने उसे कर्ज लेकर अमेरिका पढुने भेजा है ,ताकि वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण मिल सके।
कुछ खिलाड़ियों ने किया इन्कार
भोपाल के घुड़सवार फराज खान ने सरकारी नौकरी के लिए इन्कार कर दिया था। ग्वालियर की करिश्मा यादव ने बताया कि सम्मान मिलने के बाद उनसे चर्चा हुई थी। मगर रेलवे में नौकरी के कारण उन्होंने मप्र सरकार के प्रस्ताव के लिए मना कर दिया था। इंदौर के अद्वैत पागे भी नौकरी के इच्छुक नहीं हैं।
खिलाड़िय़ों का दर्द
भोपाल की चिंकी यादव के पिता महताब सिंह का कहना है कि अभी विभाग से नौकरी नहीं मिली है। फिलहाल निजी बैंक में नौकरी कर रही है। वहीं देवास के साफ्ट टेनिस खिलाड़ी जय मीणा के पिता रामेश्वर ने बताया कि अभी तक न सरकारी नौकरी मिली, न ही कोई पत्राचार हुआ है। इंदौर की पूजा पारखे को भी नौकरी नहीं मिली। उन्हें जानकारी देने के लिए खेल विभाग से एक पत्र कुछ दिन पहले मिला है। भोपाल के थ्रोबाल खिलाड़ी चंद्रकांत ने बताया कि एक बार फोन जरूर आया था, लेकिन तब मौखिक चर्चा हुई थी। नौकरी के संदर्भ में अभी पत्राचार नहीं हुआ है। भोपाल की कैनोइंग-कयाकिंग खिलाड़ी राजेश्वरी कुशराम ने बताया कि हमसे जानकारी मांगी गई है। अभी नौकरी नहीं मिली है।

Related Articles