कहीं…1 रुपए किलो तो कहीं 1 रु. की तीन किलो बिक रही प्याज

प्याज
  • किसान कैसे बनेंगे आत्मनिर्भर…?

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। कुछ दिन पहले तक ऊंचे दाम के कारण प्याज लोगों की आंख में आंसू ला रही थी, अब प्याज किसानों को रूला रही हैं। यानी एक सप्ताह पहले जो प्याज आम आदमी को 30 से 40 रुपए किलो में मिल रही थी, वह प्रदेश में कहीं 1 रुपए किलो तो कही 1 रूपए की तीन किलो तक बिक रही है। सैकड़ों रूपए भाड़ा देकर प्याज लेकर मंडियों में पहुंचने वाले किसान उचित भाव ने मिलने पर प्याज फेंक कर जा रहे हैं।
    गौरतलब यह है कि सरकार कृषि को लाभ का धंधा बनाने, किसानों की आय दोगुना करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाओं पर काम कर रही है। लेकिन सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। अब प्रदेश के किसानों को प्याज रुलाने लगी है। जब प्याज की आवक नहीं हुई थी, तब आम आदमी 30 से 40 रुपए किलो में प्याज मिल रही थी।
    इस बार प्रदेश में प्याज की बंपर पैदावार
     अब जब प्याज की खूब पैदावार हुई है, तो किसानों को इसके उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इससे कई मंडियों में तो किसान प्याज को फेंक कर जा रहे हैं यह स्थिति किसानों के साथ हर साल बनती है। अच्छी आवक हो जाए तो किसानों को दाम नहीं मिलते। मंडियों में सक्रिय बिचौलियों की वजह से यह स्थिति बनती है। मंडी सक्रिय दलाल प्याज लहसुन सहित अन्य के दाम निर्धारित कर देते हैं। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिलते। किसानों से कम कीमत में खरीदी कर उसी प्याज लहसुन को बाद में कई गुना महंगा करके बेचा जाता है। इस मुनाफाखोरी पर सरकार लगाम नहीं लगा पा रही है। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
    ट्रैक्टर का भाड़ा अपनी जेब से दे रहे किसान
    किसानों का कहना है कि प्याज उगाने वाले की कमाई तो दूर की बात है, लागत तक नहीं निकल पा रही है। खेत से मंडी तक प्याज लेकर आ रहे किसानों को ट्रैक्टर का भाड़ा भी जेब से देना पड़ रहा है। खंडवा मंडी में थोक में प्याज 3 से 5 रुपये तो चिल्हर में 8 रुपये किलो बिक रहा है।
    समर्थन मूल्य तय करे सरकार
    किसानों का कहना है कि प्याज के बीज से लेकर दवाईयां तक सब चीजें महंगी हैं, जिसमें उन्हें 12 से 14 रुपये प्रति किलो की लागत आती है। अब प्याज 5 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है, जिससे लागत भी नहीं मिल रही है। किसानों का कहना है कि सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य तय करना चाहिए। नहीं तो किसान प्याज उगाना छोड़ देगा।
    बीना में एक रुपए किलो बिका प्याज
    बीना सब्जी मंडी में लहसुन और प्याज का उचित मूल्य न मिलने से किसानों में भारी आक्रोश है। शुक्रवार को किसानों ने सर्वोदय चौराहे पर सड़क पर प्याज फेंककर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की मंडी में लहसुन और प्याज का उचित भाव न मिलने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। किसानों के साथ विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे पूर्व जनपद अध्यक्ष इंदर सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार में किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है। किसान लक्ष्मण पटेल ने बताया कि उन्होंने 38 हजार रुपये में तीन एकड़ जमीन ठेके पर ली थी।  पूरी जमीन में उन्होंने प्याज लगाई थी । फसल तैयार करने में 60 हजार रुपये खर्च हो गए। इस तरह प्याज की फसल तैयार करने में उन्हें एक लाख रुपये खर्च करने पड़े। उन्हें उम्मीद थी कि मंडी में अच्छा भाव मिलने से मुनाफा होगा, लेकिन मंडी में एक रुपये किलो प्याज बिक रही है। इससे किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है। इसी तरह ग्राम मगरधा निवासी किसान अनुराग यादव ने बताया कि उन्होंने चार एकड़ में लहसुन लगाया था। फसल तैयार करने में 1.60 लाख रुपये का खर्च आया है। मंडी में लहसुन 15 रुपये बिक रहा था। इसके चलते किसानों को भारी घाटा हुआ है। विरोध प्रदर्शन के दौरान युवा कांग्रेसी नेता वासु यादव ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। यही स्थिति रही तो किसानों को लहसुन, प्याज की खेती बंद करनी पड़ेगी। उन्होंने लहसुन और प्याज भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की मांग की है।
    खंडवा में एक रुपए में तीन किलो
    खंडवा में इस बार प्याज की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन इस बार किसानों को प्याज रुला रहा है। कारण प्याज के दाम सही नहीं होने की वजह से किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है। किसान प्याज के दाम को लेकर परेशान हैं। मंडी में प्याज लेकर पहुंचने वाले किसान भाव नहीं मिलने पर एक रूपए में दो-तीन किलो किलों बेच रहे है। प्याज की खेती के लिए निमाड़ में खंडवा जिला अपनी विशेष पहचान रखता है, लेकिन इस बार यहां के किसान बेहद निराश हैं। आमतौर पर उपभोक्ताओं के आंसू निकालने वाला प्याज इस साल किसानों को रुला रहा है। प्याज के दाम किसानों की उत्पादन लागत से भी कम है। वहीं सारंगपुर प्याज विक्रेता किसानों को प्याज की उचित कीमत नहीं मिल रही है। इस समय गर्मी में जहां प्याज की बंपर आवक हुई, वहीं प्याज के गिरते दामों से प्याज विक्रेता किसानों को रोना आ रहा है। किसान उम्मीद लगाकर बैठे थे कि बंपर उत्पादन की वजह से अच्छा खासा मुनाफा हासिल कर पाएंगे, लेकिन किसानों कि ये खुशी ज्यादा वक्त तक टिकी नहीं रह सकी। प्याज के दामों में लगातार गिरावट से किसान अब हताश नजर आ रहे हैं।

Related Articles