
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार अगर राज्य पुलिस सेवा संगठन की मांग को मान लेती है तो फिर मध्यप्रदेश में भी दूसरे चार राज्यों की ही तरह राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को जिलों में पुलिस कप्तान के रुप में कमान देने की राह खुल जाएगी। यही नहीं उन्हें बटालियनों में बतौर कमांडेंट भी बनने का मौका मिल सकेगा। इसके साथ ही इन पदों पर पदस्थापना के लिए उन्हें आईपीएस अवार्ड होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह बात अलग है कि प्रदेश में यह व्यवस्था लागू नहीं होने के बाद भी कई बार शासन द्वारा राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को जिलों की कमान दी जा चुकी है। यह कमान उन अफसरों को ही दी गई है, जिनको छह माह के अंदर ही आईपीएस अवार्ड होना तय था। बताया जा रहा है कि इस संबध में हाल ही में राज्य पुलिस सेवा के संगठन के पदाधिकारियों द्वारा एक मांग पत्र शासन तक पहुंचाया गया है। इस पत्र में उन्होंने मांग की है कि प्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को नौकरी के 26 साल बाद आईपीएस अवार्ड हो रहा है, ऐसे में राज्य पुलिस सेवा के सबसे सीनियर कुछ अफसरों को जिलों और बटालियनों की कमान सौंपी जाए। इसके लिए उन चार राज्यों का भी हवाला दिया गया है, जहां इस तरह की व्यवस्था लागू है।
इनको एसपी बनाने की मांग
प्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के अफसर चार श्रेणी में आते हैं। इनमें कनिष्ठ श्रेणी, वरिष्ठ श्रेणी, प्रवर श्रेणी और वरिष्ठ प्रवर श्रेणी शामिल हैं। राज्य पुलिस सेवा संगठन की पिछले कई सालों से मांग है कि इन अब चार की जगह पांच श्रेणी में अफसरों को किया जाए। सबसे सीनियर अफसरों को सुपर सीनियर श्रेणी देने की भी मांग की गई है।
इन राज्यों में बनाए जाते हैं एसपी
संगठन द्वारा अपनी मांग के साथ जिन राज्यों का हवाला दिया गया है उनमें असम, उड़ीसा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। इन चारों राज्यों में राज्य पुलिस सेवा के सबसे सीनियर अफसरों को पुलिस अधीक्षक और बटालियन में कमांडेंट बना कर पदस्थ किया जाता है। पंजाब में तो राज्य पुलिस सेवा के अफसर आईजी तक बनाए जाते हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर में डीआईजी तक बनाए जा रहे हैं।