
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। अगर प्रदेश की शिव सरकार द्वारा केन्द्र से मांगी गई एक फीसदी कर्ज सीमा में वृद्धि की अनुमति केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान कर दी जाती है तो मप्र को एक साल में मौजूदा कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ रुपए बढ़ जाएगी। अच्छी बात यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष की इस तिमाही में अब तक सरकार ने कोरोना काल की दूसरी लहर से प्रभावित होने के बाद भी कोई कर्ज नहीं लिया है। यह बात अलग है कि बीते एक साल में सरकार की आय में न केवल कमी आयी है, बल्कि उसके खर्च में भी वृद्धि हुई है। सरकार पर अभी अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और वेतन वृद्धि का भुगतान करने का बड़ा खर्च तो है ही साथ ही विकास और अधोसंरचना जैसे कामों के इंतजाम करने की भी मुश्किल बनी हुई है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र सरकार से एफआरबीएम की घोषित लिमिट से एक फीसदी और अधिक कर्ज लेने की छूट देने के लिए आग्रह किया गया है। अगर केंद्र से यह 1 फीसदी की छूट मिल जाती है तो राज्य सरकार 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज और ले पाएगी। इस वित्त वर्ष में सरकार ने पहला कर्ज दो हजार करोड़ रुपए का 6 जुलाई को लिया था। इसके बाद इस माह की तीन अगस्त को भी एक नए कर्ज लेने की तैयारी थी, लेकिन बाद में नया कर्ज नहीं लिया गया। अब सरकार द्वारा इस माह के अंत में करीब दो हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने की तैयारी की जा रही है। इस नए कर्ज की वजह वित्त विभाग द्वारा बाढ़ की वजह से बिगड़े हालातों को बताया जा रहा है। दरअसल प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के आठ जिलों में बाढ़ की वजह से सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। वैसे भी राज्य सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक का कर्ज बाजार से ले सकती है। मप्र के मामलों में कुछ शर्त रखकर केंद्र सरकार ने तीन प्रतिशत की इस लिमिट में वृद्धि करते हुए उसे 4.5 प्रतिशत कर दिया है। अब सरकार इसमें भी एक फीसदी की वृद्धि और चाहती है। उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष में प्रदेश सरकार ने अपनी पूरी लिमिट का उपयोग करते हुए एक साल में 45 हजार करोड़ का कर्ज लिया है।
इस साल 4 हजार करोड़ की अधिक लिमिट
मप्र सरकार को इस वित्त वर्ष में बीते साल की तुलना में 4 हजार करोड़ रुपए अधिक यानि कि 49 हजार करोड़ का कर्ज लेने की पात्रता है। अगर इस कर्ज सीमा के अलावा केन्द्र द्वारा एक फीसदी कर्ज की लिमिट और बढ़ाने पर सहमति दी जाती है तो इस साल प्रदेश सरकार की कर्ज सीमा में 10 हजार करोड़ की वृद्धि होकर वह 60 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। फिलहाल वित्त वर्ष की शुरूआत होने की वजह से अभी बैंक सस्ता कर्ज दे रहे हैं। छह जुलाई को लिया गया कर्ज भी 7 फीसदी ब्याज पर मिला है। आने वाले समय में ब्याज दर वृद्धि की संभावना है। गौरतलब है कि राज्य सरकार के कर्ज लेने का पूरा कार्यक्रम बनाया जाता है, जिसकी जानकारी रिजर्व बैंक को भी होती है।
यह मानी जा रही है वजह
आर्थिक महारथियों की माने तो अगर मौजूदा परिस्थितियों में भी कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी तो इसे अच्छे संकेत के रुप में देखा जाना चाहिए। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि बीते वित्त वर्ष के जीएसटी कंपंसेशन का कुछ पैसा केंद्र सरकार द्वारा वर्ष के अंत में दिया जाता है, जिसकी वजह से ही कर्ज की जरुरत नहीं रही होगी।
यह रही बीते साल खजाने की हालत
वर्ष 2018 से पहले तक जिस राज्य सरकार के खजाने में 7-8 हजार करोड़ रुपए हमेशा होते थे , उसी सरकार को अब पैसे-पैसे के लिए पेरशान होना पड़ रहा है। मार्च 2020 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के अपदस्थ होने के बाद राज्य में बनी शिवराज सरकार अपने कार्यकाल के पहले ही माह में कर्ज लेने को मजबूर हो गई थी। हालत यह बनी कि पहले 7 महीनों में ही सरकार ने 10 हजार करोड़ का कर्ज ले लिया था। तेजी से कर्ज लेने की वजह से ही इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक राज्य पर कुल कर्ज 2 लाख 10 हजार 538 करोड़ रूपए हो चुका था, जो नए साल में वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 2 लाख 50 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है। हालत यह है कि प्रदेश सरकार पर अब हर साल 30 से 40 हजार करोड़ का कर्ज औसतन रुप से बढ़ता जा रहा है। कर्ज वृद्धि की वजह से प्रदेश सरकार को हर साल इसी औसत से अधिक ब्याज का भी भुगतान करना पड़ रहा है। हालत यह है कि हर साल चुकाए जाने वाले ब्याज की रकम में भी लगभग 3 से 4 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि हो रही है। वर्ष 2019-20 के वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक राज्य सरकार कर्ज के मूल धन के रूप में 14 हजार 403 करोड़ रुपए और ब्याज के रूप में 14 हजार 803 करोड़ रूपए चुका रही थी, जिसका आंकड़ा अब और बढ़ चुका है।
बीते साल कब कितना लिया कर्ज
01 अप्रैल 500 करोड़
30 मई 500 करोड़
06 जून 500 करोड़
03 जुलाई 1000 करोड़
08 जुलाई 1000 करोड़
13 जुलाई 1000 करोड़
07 अगस्त 1000 करोड़
05 सितंबर 1000 करोड़
15 सितंबर 1000 करोड़
03 अक्टूबर 1000 करोड़
08 अक्टूबर 1000 करोड़
15 अक्टूबर 1000 करोड़
29 अक्टूबर 1000 करोड़
05 नवंबर 1000 करोड़
12 नवंबर 1000 करोड़
18 नवंबर 1000 करोड़
18 दिसंबर 2000 करोड़।
इस साल अब तक लिया जा चुका है 10 हजार करोड़ का कर्ज
राज्य सरकार जनवरी के बाद से अभी तक पांच बार में 10000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है।16 फरवरी को राज्य सरकार ने 10 साल के लिए 3000 करोड़ का कर्ज लिया था। 9 फरवरी को राज्य सरकार ने 3000 करोड़ का कर्ज लिया था, यह कर्ज भी