
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्र सरकार में एक साथ प्रदेश के कोटे से श्रीमंत और धर्मेंद्र प्रधान को दो महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा दिए जाने से प्रदेश की उम्मीदें इन दोनों ही विभागों से बढ़ गई हैं। इनमें श्रीमंत के पास जहां अब नागरिक उड्डयन तो वहीं प्रधान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है। अगर यह दोनों मंत्री अपने-अपने विभागों की योजनाओं को मप्र में लागू करने में दिलचस्पी दिखाते हैं तो इन दोनों ही क्षेत्रों में मप्र बड़ी उड़ान भर सकता है। दरअसल एविएशन में भी मप्र में बहुत संभावनाएं हैं, जबकि उच्च शिक्षा का क्षेत्र तो नई नीति आने के बाद से नवाचारों को तेजी से लागू कर रहा है। इस वजह से दोनों ही क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर के संस्थान या प्रयोग मध्यप्रदेश में किए जाएं तो वह बहुत अधिक लाभकारी हो सकते हैं। दरअसल इसके पूर्व प्रदेश को कांग्रेस शासनकाल में अर्जुन सिंह के मानव संसाधन विकास मंत्री रहने के दौरान अनेक बड़े शैक्षिक संस्थानों की सौगात मिली थी। इसके बाद केन्द्र सरकार में तमाम महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री मप्र के जनप्रतिनिधि रहे हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा की वजह से प्रदेश को बड़े संस्थानों के मामले में उतना महत्व नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था। यही वजह है कि वे मंत्री प्रदेश की जन आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके हैं। अब एक बार प्रदेश की जनता की निगाहें इन दोनों मंत्रियों के विभागों पर लगी हुई हैं।
बड़े संस्थानों की उम्मीदें
धर्मेंद्र प्रधान के पास शिक्षा विभाग है। हाल ही में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है। इससे प्रदेश में कई नवाचारों के शुरू होने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। इसके साथ ही माना जा रहा है कि प्रदेश को नए एनआईटी, आईआईएम या ऐसे बड़े संस्थान मिल सकते हैं। इसके अलावा देश-दुनिया के बड़े गु्रप को लाने की उम्मीद की जा सकती है।
उड्डयन विभाग से उम्मीदें
जबलपुर और ग्वालियर एयरपोर्ट विस्तार के साथ ही नई फ्लाइटों की उम्मीद। इसी तरह से खजुराहो से अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। गुना भी एयर कनेक्टिविटी से जुड़ सकता है, जबकि पचमढ़ी की अधूरी पड़ी हवाई पट्टी का काम पूरा हो सकता है। इसी तरह से श्योपुर में 8 साल से तैयार प्रस्ताव पर अमल होने की संभावना है।
शिक्षा के क्षेत्र में उम्मीद है
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक्सीलेंस और मॉडल स्कूल मिलने के साथ ही सरकारी स्कूलों, कॉलेजों में अधोसंरचना के विकास के लिए उनकी संख्या में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के कद में वृद्धि संभावित है।