
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। उत्तर प्रदेश की तरह ही अगर मप्र में भी जनसंख्या नियंत्रण का कानून बनाया जाता है तो प्रदेश के मौजूदा विधायकों में से करीब एक तिहाई से अधिक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएंगे। खास बात यह है कि प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टी भाजपा व कांग्रेस में लगभग एक जैसा ही इस मामले में आंकड़ा सामने आ रहा है। दरअसल उप्र में इससे संबंधित विधेयक का मसौदा जारी किया जा चुका है। इसके बाद से ही प्रदेश में भी शिव सरकार के कई मंत्री और विधायक इसी तरह का कानून मप्र में भी लागू किए जाने के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उधर, इस बीच कांग्रेस प्रदेश में इसके विरोध में उतर गई है। उसका कहना है कि भाजपा इस मामले में सियासत कर रही है। अगर मौजूदा विधानसभा के मौजूदा सदस्यों के बच्चों की संख्या को उप्र में लाए गए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के प्रावधानों के हिसाब से देखा जाए तो भाजपा के 39 और कांग्रेस के 34 फीसदी विधायक इस दायरे में आ जाएंगे। खास बात यह है कि बच्चों की संख्या के मामले में भाजपा के ही सिंगरौली से विधायक राम लल्लू वैश्य अपने 9 बच्चों के साथ पहले नंबर पर हैं। इसके बाद भी उनका कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। भाजपा विधायकों का कहना है कि सरकार का नारा था, हमारा नारा था हम 2 हमारे 2। क्या ये संभव हुआ। हिन्दुओं को कह देंगे नसबंदी करा लो और दूसरों को इससे दूर रखेंगे। हालांकि यह कानून तत्काल लागू हुआ तो विधानसभा के मौजूदा 227 विधायकों में से 36 फीसदी अयोग्य हो जाएंगे।
इन अयोग्य होने वालों में प्रदेश सरकार के 38 फीसद मंत्री भी होंगे। मप्र विधानसभा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि अभी भाजपा के 49 विधायक ऐसे हैं जिनके तीन या फिर उससे अधिक बच्चे हैं। इनमें 14 विधायकों के चार बच्चे होने की जानकारी दी गई है। इसी तरह से 3 मंत्री ऐसे हैं जिनके पांच या उससे अधिक बच्चे हैं। इसी तरह से कांग्रेस में देखें तो 16 विधायकों के तीन बच्चे और एक दर्जन विधायकों के चार बच्चे हैं, जबकि पांच बच्चों वाले विधायकों की संख्या तीन है। खास बात यह है कि भाजपा की ही तरह कांग्रेस के भी एक विधायक के नौ बच्चे हैं।
दो दशक पहले कांग्रेस सरकार में बना था नियम
दो दशक पहले जब प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार थी तब वर्ष 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारी सेवाओं और पंचायती राज चुनावों में दो बच्चों का नियम बनाया गया था। इस नियम को प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद वर्ष 2005 में वापस ले लिया गया था। यही वजह है कि अब कांग्रेस इस मामले में भाजपा नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रही है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण आज की जरूरत है, लेकिन इसकी नीयत राजनैतिक नहीं होनी चाहिये। उनका कहना है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए दो बच्चों के प्रावधान वाले कानून को कांग्रेस ने लागू किया था , लेकिन भाजपा ने उसे समाप्त कर दिया था। इसी तरह से जब इंदिराजी ने प्रयास किया तो आरएसएस और अटलजी विरोध में खड़े हो गए थे। गौरतलब है कि प्रदेश में मौजूदा जनसंख्या विकास की दर बीस फीसदी से अधिक बनी हुई है।
मंत्री का विवादित बयान
श्रीमंत के बेहद करीबी मंत्रियों में शामिल प्रदेश के पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया का तो इस मामले में यहां तक कहना है कि मुसलमानों में दो-तीन शादियां करने का प्रचलन है और वो दस-दस बच्चे तक पैदा करते हैं। इस पर अंकुश लगना जरूरी है। उनका कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत सारे कानून बने हुए हैं, लेकिन समान नागरिक संहिता कानून लागू होना चाहिए, जिसमें हर जाति के व्यक्ति के लिए बच्चे पैदा करने की संख्या भी तय हो। फिलहाल मुस्लिमों में ये सुनिश्चित नहीं है।