साक्षरता में छोटे राज्य बड़ों पर भारी

साक्षरता
  • सरकार की कोशिशों के बावजूद मप्र का प्रदर्शन चिंताजनक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शिक्षा की लौ जगाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। लेकिन सरकार की कोशिशों के बावजुद साक्षरता के मापदंड पर मप्र का प्रदर्शन चिंताजनक है। मप्र ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे दर्जन भर बड़े राज्यों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। वहीं मिजोरम और गोवा जैसे छोटे राज्यों ने बड़े राज्यों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए पूर्ण साक्षरता प्राप्त किया है। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में पूर्ण साक्षरता को लेकर शिक्षा मंत्रालय की ओर से उल्लास नाम से शुरू किए गए नव साक्षरता मिशन के दो साल के भीतर ही यह सफलता मिली है। इस साल मई महीने में ही मिजोरम और गोवा को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया है। गौरतलब है कि देश में 37 सालों से छिड़ी साक्षरता की मुहिम में मिजोरम और गोवा जैसे छोटे राज्यों ने पूर्ण साक्षरता का दर्जा हासिल एक नई अलख जगाई है। साथ ही इस बात की उम्मीद भी तेज की है कि 2030 तक देश को पूर्ण साक्षर बनाने का जो लक्ष्य भी रखा गया है, वह भी हासिल होगा।
यह बात अलग है कि इस राह में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे दर्जन भर बड़े राज्यों का ढुलमुल रवैया एक बड़ी बाधा तो है लेकिन यह नामुमकिन भी नहीं है। देश में साक्षरता का मुहिम मई 1988 में शुरू हुई थी।
अब पिछड़ राज्यों पर फोकस
 शिक्षा मंत्रालय ने इस बीच देश के पूर्ण साक्षर होने के लक्ष्य में बाकी बचे पांच सालों को लेकर एक योजना बनाई है। जिसमें इस मुहिम में पिछड़े राज्यों पर खास फोकस किया है। इसमें गैर-साक्षर लोगों की पहचान कर सालाना लक्ष्य लेकर आगे बढऩे को कहा है। इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने अपनी योजना भी मंत्रालय के साथ साझा की है। जिसमें प्रत्येक स्कूली बच्चों और बीएड की पढ़ाई करने वाली बच्चों को साक्षरता की इस मुहिम से जोड़ा गया है। इनमें स्कूली बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में कम से कम दो गैर- साक्षर लोगों को पढ़ाने और बीएड छात्रों को पंद्रह गैर-साक्षर लोगों को पढ़ाने का जिम्मा दिया गया है। हाल ही में मिजोरम व गोवा ने अपने सर्वेक्षण में ही गैर-साक्षर लोगों की पहचान की। इनका रजिस्ट्रेशन नव साक्षरता से जुड़े उल्लास पोर्टल पर कराया। बाद में एनआईओएस के जरिए इनकी परीक्षा ली गई। पास- फेल की घोषणा की गई। इसके तहत राज्य साल में दो बार अपने यहां परीक्षा आयोजित करा सकते है। देश में लंबे समय से यह माना जा रहा था कि केरल देश का सर्वाधिक साक्षर राज्य है, लेकिन हाल ही में जैसे ही मिजोरम को देश का पहला साक्षर राज्य घोषित किया गया तो केरल को लेकर सवाल खड़ा हुआ। मंत्रालय ने यह साफ किया है कि निश्चित ही केरल एक समय देश का सर्वाधिक साक्षर राज्य था। लेकिन साक्षरता के नए मानक बाद यह प्रतिशत घट गया, दूसरा केरल ने हाल के वर्षों में इस ओर ध्यान भी नहीं दिया। मंत्रालय के मुताबिक अभी भी केरल में साक्षरता का प्रतिशत 93 प्रतिशत के आसपास है।
साक्षरता के मापदंड बदले
पहले सिर्फ हस्ताक्षर करने वाले को ही साक्षर मान लिया जाता था, लेकिन 2023 में इसके नए मानक निर्धारित किए। जिसमें साक्षर होने के लिए पढऩा, लिखना व संख्यात्मक ज्ञान होना जरूरी है। इस मुहिम में अब लोगों को उनके जीवन में काम आने वाले उपयोगी ज्ञान से परिचित कराया जा रहा है, जिसमें वित्तीय लेन-देन, चुनाव से जुड़ी जागरूकता, सामान्य कानूनी ज्ञान आदि शामिल है। पूर्ण साक्षरता का मतलब शत-प्रतिशत साक्षरता नहीं बल्कि 95 प्रतिशत साक्षरता होती है। यानी कोई भी राज्य या देश जब 95 प्रतिशत साक्षर हो जाता है तो उसे पूर्ण साक्षर घोषित कर दिया जाता है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक शत-प्रतिशत साक्षरता के असंभव लक्ष्य को देखते हुए यूनेस्को की सहमति से पूर्ण साक्षरता के मानकों में बदलाव किया गया है। रही बात गैर-साक्षर लोगों का पता लगाने की तो प्रत्येक दस वर्षों में होने वाली जनगणना से इसकी सही जानकारी मिलती है। इसके साथ राज्य भी अपने सर्वेक्षण से इसकी जानकारी जुटाते है।

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