प्रदेश में भाजपा के छह सेनापतियों ने रचा जीत का इतिहास

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार प्रदेश में पूरी तरह से क्लीन स्वीप कर नया इतिहास रचा है। यह जीत ऐसे समय मिली है, जबकि भाजपा का दूसरे हिंदी भाषी राज्यों में प्रदर्शन औसत दर्जे का रहा है। दरअसल प्रदेश में भाजपा संगठन व सत्ता ने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा, जिसे तोड़ पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया था। इसके लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने पांच स्तरीय चुनावी घेरा तैयार किया था। जिसकी कमान पार्टी ने अपने छह  बड़े  सेनापतियों को सौंप रखी थी। इनमें मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन महामंत्री हितानंद और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल थे। दरअसल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद सरकार बनने के बाद सरकार से लेकर संगठन तक कुछ माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया था, जिसका परिणाम अब सामने है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव  
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यूपी, बिहार तक रोड शो और प्रचार-प्रसार किया, लेकिन मध्य प्रदेश में अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी। कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इतिहास रच दिया है। आजादी के बाद से पहली बार ऐसा मौका आया है, जब मध्य प्रदेश में सभी 29 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का इस चुनाव परिणाम से पार्टी में कद बढ़ गया है। सभी सीट को जीतने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कांग्रेस के गढ़ में लगातार सेंध लगाई।  छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह को बीजेपी ज्वाइन कराई गई। इसके बाद महापौर को भी बीजेपी में लाया गया। इतना ही नहीं कांग्रेस के दो और मौजूदा विधायक चुनाव के पहले बीजेपी में शामिल हो गए। इससे लगातार बीजेपी का पलड़ा भारी होता चला गया। यादव ने सत्ता संभालते ही केंद्र सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। लाभार्थी सम्मेलन किए। ब्लॉक और पंचायत लेवल तक विकसित भारत कार्यक्रम कर लोगों को केंद्र की योजनाओं से जोड़ा। चुनाव के दौरान डॉ. यादव 185 विधानसभा सीटों पर गए और बीजेपी प्रत्याशियों के समर्थन में 195 सभाएं लीं। छिंदवाड़ा सीट पर डॉ. यादव ने दो रातें गुजारीं। यहां के कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि वे खुद उनका ख्याल रखेंगे।
प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा खुद खजुराहो से प्रत्याशी थे। यहां से सपा प्रत्याशी का पर्चा निरस्त होने के बाद उनका मुकाबला एकतरफा हो गया था। इसके बाद भी वे अपनी सीट पर लगातार प्रचार करते रहे। इस बीच उनके द्वारा बाकी 28 सीटों पर उन्होंने 148 सभाएं लीं। चारों चरणों के चुनाव के दौरान और मतगणना के दिन वे बीजेपी के चुनावी वॉर रूम से बूथ लेवल के कार्यकर्ता और प्रत्याशियों के सीधे संपर्क में रहे। इसका फायदा यह हुआ की जहां भी कमजोर स्थिति का पता चला उसमें सुधार के लिए कार्यकर्ताओं को लगा दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज  
शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा सहित 21 लोकसभा क्षेत्रों में 66 सभाएं और 16 रोड शो किए। वे तीन लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के नामांकन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। 8 से 11 मई तक खंडवा, खरगोन, देवास, रतलाम, उज्जैन और मंदसौर सीट पर 22 से ज्यादा सभाएं लीं। चौथे चरण के अंतिम दिन शिवराज ने उज्जैन लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी अनिल फिरोजिया के समर्थन में खाचरौद, आलोट और माकड़ौन में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। शिवराज ने मालवा निमाड़ के छह लोकसभा क्षेत्रों का दौरा किया। एक दिन में छह से आठ सभाएं और रोड-शो किए। यह सब उनके द्वारा तब किया गया जबकि वे स्वयं विदिशा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे।
प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद  
प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने विस चुनाव के बाद से ही हारी हुई सीटों पर फोकस करना शुरु कर दिया था। चुनाव प्रचार के दौरान भी उनका पूरा ध्यान इन्हीं सीटों पर लगा रहा। वे  विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के कुछ दिनों बाद ही रतलाम की लोकसभा की सैलाना के तंबोलिया गांव पहुंच थे। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं से पिछले तीन चुनाव के ट्रेंड पर बात की थी। इस बीच उनका पूरा फोकस इस बात पर रहा कि कार्यकर्ता हर उस लाभार्थी परिवार तक पहुंचकर सम्पर्क में रहे, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है।
नरोत्तम मिश्रा
पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को न्यू ज्वॉइनिंग टोली का प्रभारी बनाकर पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी थी। मिश्रा ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भाजपा में लाकर पूरे प्रदेश में कांग्रेस संगठन को कमजोर करने का काम किया। मिश्रा का दावा है कि पूरे प्रदेश से कांग्रेस के करीब 4 लाख कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए। कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी कहते हैं, संगठन मजबूत होने का फायदा भाजपा को मिला है। मध्यप्रदेश कांग्रेस में विधानसभा चुनाव की हार के बाद जिस तरह से नेतृत्व परिवर्तन हुआ उससे कांग्रेस नेता ही खुश नहीं थे।
कैलाश विजयवर्गीय  
पार्टी के बड़े चुनावी रणनीतिकारों में शामिल मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने छिंदवाड़ा में सक्रियता दिखाने के बाद अपना फोकस मालवा निमाड़ पर किया था। यह वो अंचल था, जहां चुनाव के पहले भाजपा को बेहद कमजोर माना जा रहा था। इसकी वजह थी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का इस अंचल में किया गया अच्छा प्रदर्शन। विजयवर्गीय इस दौरान अंचल की हर सीट पर जाकर रणनीति बनाने के साथ ही कार्यकर्ताओं को लगातार उत्साहित करने में लगे रहे। उनकी सक्रियता भी ऐसी दिखी जैसी कि वे खुद के चुनाव में दिखाते हैं।

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