
– अब नए मंत्रियों के विभागों पर नजर…
हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार के चौथे एवं अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार में तीन बनाए गए मंत्रियों के विभागों पर अब सभी की नजरें लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि उन्हें कल तक विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा। यह बात अलग है कि अब तक यह तय नहीं हो पाया कि किसे कौन से विभाग दिया जाएगा , लेकिन माना जा रहा है कि जो विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं, उन विभागों को ही नए मंत्रियों को दिया जाएगा। इसके साथ ही इन दो नए मंत्रियों में से किसी एक के विभाग का राज्य मंत्री राहुल लोधी को बनाया जाएगा। उधर, इस विस्तार के माध्यम से सरकार ने जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है, लेकिन इसके बाद भी कई जिले ऐसे हैं जिनमें अब भी कोई मंत्री नहीं हैं। इसके उलट एक ही जिले में अब दो से तीन तक मंत्री हो बन चुके हैं। बीते रोज गौरीशंकर बिसेन के मंत्री बनने से अब महाकौशल अंचल के बालाघाट जिले में दो मंत्री हो गए हैं। फिलहाल मंत्री पदों के मामले में अब भी ग्वालियर-चंबल अंचल पहले स्थान पर बना हुआ है। इस अंचल में भाजपा के 17 विधायकों में से 9 मंत्री हैं, जो मंत्रिमंडल का 53 फीसदी होते हैं। अब सरकार में महज एक ही मंत्री का पद रिक्त है। मौजूदा कैबिनेट में 25 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री हैं।
सात जिले खाली हाथ
बेहद छोटे मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी विंध्य और महाकौशल अंचल में क्षेत्रीय संतुलन के प्रयासों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसकी वजह है विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष के साथ राजेंद्र शुक्ला को मिला लें तो तीन मंत्री हैं, जबकि महाकौशल के आठ जिलों में सिर्फ बालाघाट से ही अब दो मंत्री हो गए हैं। महाकौशल के जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी और छिंदवाड़ा से कोई भी मंत्री नहीं है। कहा जा रहा है कि जातिगत समीकरण तो फिर माने जा सकते हैं, लेकिन क्षेत्रीय असंतुलन अभी भी बना हुआ है। इस अंचल में 38 सीटें हैं। इस कार्यकाल में पहले दो विस्तार में भी जबलपुर को जगह नहीं मिली। यहां से अजय विश्नोई, संजय पाठक, अशोक रोहाणी और जालम सिंह बड़े दावेदार थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जितने कम समय के लिए मंत्री बनाए हैं, इसमेंं मौजूदा मंत्रिमंडल में न तो फेरबदल हो सकता था और न किसी को हटाया जा सकता है। चार पद रिक्त थे, जिसमें से तीन भर दिए। नए मंत्री सिर्फ खुद की सीट को ही मजबूत कर सकते हैं, क्योंकि अब चुनावी आचार संहिता में महज डेढ़ माह का ही समय है।
सीएम के पास कुछ विभाग वे दे सकते हैं
अभी सीएम शिवराज के पास महिला एवं बाल विकास, जनसंपर्क, विमानन, सामान्य प्रशासन और नर्मदा घाटी विभाग हैं। सामान्य प्रशासन में राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार हैं। शुक्ल के पास पूर्व में जनसंपर्क विभाग रहा है। सीएम इनमें से विभाग उन्हें दे सकते हैं। इस बीच शनिवार को सीएम ने ऊर्जा मंत्री तोमर को बुलाया था। इससे ये भी माना गया कि विभागीय बंटवारे को लेकर कोई चर्चा हुई हो।
बिसेन व शुक्ल को देने होंगे अहम विभाग
मंत्री पद की शपथ को हुए करीब 24 घंटे हो चुके हैं , लेकिन अब तक उनके विभागों को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस विस्तार में शामिल बिसेन और शुक्ल का न केवल सियासी कद बल्कि अनुभव भी बहुत है, जिसकी वजह से उन्हें अहम विभाग दिए जाना है। ऐसे में यह मुश्किल बना हुआ है कि उन्हें कौन से विभाग दिए जाएं। यह विभाग भी दूसरे मंत्रियों के पास हैं। इस बीच चर्चा है कि इन्हें सीएम के पास मौजूद विभागों को ही दिया जा सकता है। यह बात अलग है कि बिसेन का पसंदीदा विभाग कृषि और राजेंद्र शुक्ल का ऊर्जा है। इसकी वजह है यह दोनों मंत्री इन विभागों में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। अभी कृषि विभाग कमल पटेल और ऊर्जा विभाग के मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर हैं। ऐसे में सीएम के पास मौजूद विभाग ही देने की मजबूरी है। इसके साथ ही उन विभागों को दिया जा सकता है, जिनमें स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री हैं। दरअसल पूर्व में सातवीं बार के विधायक बिसेन पीएचई, सहकारिता व कृषि मंत्री , जबकि चौथी बार के विधायक राजेंद्र शुक्ल वन, जैव विविधता, खनिज, ऊर्जा, उद्योग, जनसंपर्क मंत्री रह चुके हैं। इसी तरह से पहली बार विधायक बने राहुल लोधी इन में से किसी एक के सहयोगी राज्यमंत्री बनाए जा सके हैं।
एक में दो तो शेष सात जिले खाली
चौथे बिस्तार से पहले तक एक मात्र मंत्री रामकिशोर कांवरे ही थे, लेकिन बिसेन की शपथ के बाद अब मंत्रियों की संख्या बढक़र दो हो गई है। बिसेन के बहाने महाकौशल व ओबीसी को साधने का प्रयास किया गया है। यह बात अलग है कि इस अंचल के सात जिलों को अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। इसी तरह से अब विंध्य में तीन मंत्री हो गए हैं। इस अंचल के रीवा से राजेंद्र शुक्ल को मंत्री बनाकर पूरे अंचल के साथ ब्राह्मण वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है, जबकि लोधी के सहारे बुंदेलखंड के साथ ही पूर्व सीएम उमा भारती की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया गया है।