श्रीमंत का दर्द न जानत कोय

ज्योतिरादित्य सिंधिया

मैं, आप, अपनी तलाश में… पीछे बंधे हैं हाथ और शर्त है सफर, किससे कहें कि पांव के कांटे निकाल ले

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में पिछले कुछ दिनों से कई तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में चल रहीं हैं। उनकी खामोशी, बेचैनी और नाराजगी पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। श्रीमंत यानि कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता जो अब भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। वे छह माह से मौन हैं। न उनकी कोई गतिविधियां हैं, न कोई वो प्रतिक्रियावादी हो रहे हैं। उनके हालात भाजपा आलाकमान ने बहुत विचित्र से कर दिए हैं। उन्हें और उनके समर्थकों को समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें। उनके हालात पर रमानाथ अवस्थी का एक गीत मौजू है कि ‘मेरे पंख कट गए वर्ना मैं गगन को गाता।’ ताज भोपाली की भाषा में इसे यूं भी कहा जा सकता है कि ‘पीछे बंधे हैं हाथ और शर्त है सफर, किससे कहें कि पांव के कांटे निकाल ले।’ बहरहाल सिंधिया दिल्ली में अपना समय बिता रहे हैं। इस बीच उन्होंने ग्वालियर और गुना में कोरोना संक्रमित मरीजों की मदद के लिए जरूर प्रयास किए हैं। गुना में उन्होंने सौ बिस्तरों का अस्थाई अस्पताल भी बनवाया है। हाल ही में उन्होंने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर गैल द्वारा प्रदेश में लगाए जा रहे ऑक्सीजन प्लांट्स में से एक प्लांट गुना जिला अस्पताल में लगाने की भी मांग की है।
अब तक नहीं मिली कोई बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल मार्च में भाजपा ज्वॉइन की थी। तब भाजपा नेतृत्व ने उन्हें आश्वस्त किया था कि राज्यसभा में लाकर उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा लेकिन राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बनती गई की मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया। हालांकि भाजपा ने सिंधिया को तुरंत राज्यसभा में भेज दिया था। इसके अलावा उनके समर्थकों को मंत्रिमंडल में भी पर्याप्त संख्या में स्थान दिया गया है। अपने समर्थकों के लिए सिंधिया निगम मंडलों में नियुक्तियां चाहते हैं लेकिन वर्तमान में प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राजनीतिक नियुक्तियां कर पाएं। फिलहाल पूरी प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने, दवाई, इंजेक्शन ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सकीय व्यवस्थाएं बनाने में जुटी है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री राजनीतिक नियुक्तियां कर सकते हैं। वहीं मंत्रिमंडल का विस्तार भी पेंडिंग है। कोरोना की वजह से अभी केंद्रीय नेतृत्व से नियुक्तियों के लिए हरी झंडी भी नहीं मिलेगी। बाकी सभी राजनीतिक मामले विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान ही सुलझ सकेंगे।
ऑक्सीजन प्लांट पर श्रेय लेने की होड़
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा हाल ही में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर गुना जिले में आॅक्सीजन प्लांट लगाए जाने को लेकर राजनीति गर्मा गई है। दरअसल गैल से आॅक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति मिलने के बाद गुना सांसद केपी सिंह यादव ने दावा किया है कि यह प्लांट उनके प्रयासों से गुना में स्थापित हो रहा है। सांसद सिंह का कहना है कि 24 अप्रैल को उन्होंने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा था जिसमें गुना, अशोकनगर और शिवपुरी जिले के लिए ऑक्सीजन सप्लाई के लिए आॅक्सीजन प्लांट लगाया जाए। वही सिंधिया ने भी केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर हूबहू मांग की। यानी अब इस मुद्दे पर श्रेय लेने की होड़ मच गई है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के कई जिलों में आॅक्सीजन प्लांट गैस अथॉरिटी आॅफ इंडिया लिमिटेड द्वारा लगाए जा रहे हैं। इसमें गुना में लगने वाले प्लांट से अशोकनगर और राजगढ़ जिले के लोगों के लिए भी फायदा होगा।
यह भी है चर्चाओं की वजह
सियासी जगत में फिलहाल चर्चा है कि संभवत: सिंधिया नाराज हैं। वे आजकल ट्वीट भी कम करते हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक ऑन रिकॉर्ड या ऑफ द रिकॉर्ड अपनी नाराजगी का इजहार नहीं किया है लेकिन उनकी खामोशी लोगों में चर्चा का विषय जरूर बनी है। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपने सांसद सिंधिया का ज्यादा उपयोग नहीं किया। हालांकि दमोह उपचुनाव, पश्चिम बंगाल और असम चुनाव में पहुंचे और हिस्सा लिया। यह भी माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से उन्होंने अपने दौरे टाल रखे हैं। व्यक्तिगत तौर पर वे अपने समर्थकों के संपर्क में हैं, लेकिन  ज्यादातर समय अपने दिल्ली स्थित घर पर ही रहते हैं।
दूसरे दलों के नेताओं को संदेश
तीन साल पहले मुख्यमंत्री बनने से चूके सिंधिया ने जब भाजपा में अपना भविष्य बनाने का जोखिम लिया था तब उनकी महत्वाकांक्षाओं को भाजपा समझती भी होगी। उस दौरान कुछ अलिखित बातें और वादे भी हुए होंगे जब सिंधिया ने कांग्रेस से अपना नाता तोड़ कर भाजपा ज्वाइन करने की तैयारी थी। भाजपा ने सिंधिया पर हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनावों में जरूर ज्यादा जोर नहीं दिया लेकिन ढाई साल बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में सिंधिया को परफॉर्मेंस दिखाने की चुनौती रहेगी। दरअसल भाजपा को अब परफॉर्मर बाहरी नेताओं से कोई दिक्कत नहीं रही। भले ही भाजपा मूल कैडर के पुराने नेताओं को इससे दिक्कत हो रही हो। यही वजह है कि भाजपा ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अपने व दूसरे दल के महत्वाकांक्षी नेताओं के लिए ओपन चेयर रेस का संदेश जरूर दे दिया है।

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