
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर चंबल अंचल तक सीमित रहने वाले श्रीमंत भाजपा में आने के बाद से लगातार सूबे में सक्रियता दिखा रहे हैं। पहले भोपाल और अब मालवा अंचल में जिस तरह से वे न केवल प्रवास पर हैं, बल्कि पार्टी नेताओं के घर पहुंच रहे हैं, उससे अब मालवा अंचल के खांटी भाजपाई हलाकान बने हुए हैं। इसकी वजह है उनके इस दौरे में सात जिलों में ताबड़तोड़ तरीके से दौरा करना। वे इस दौरे में न केवल अपने समर्थकों के घर दस्तक दे रहे हैं बल्कि भाजपा के हर उस नेता के घर भी सुख-दुख बांटने जा रहे हैं, जो पार्टी में स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली माने जाते हंै। उनके इस दौरे की खास बात यह है कि वे पार्टी के जिला दफ्तर पर जाना नहीं भूल रहे हैं। वे पार्टी के शायद ऐसे पहले बड़े नेता हैं जो पार्टी दफ्तर भी जा रहे हैं अन्यथा पार्टी के पुराने नेता और सरकारों में लगातार मंत्री रहने वाले नेता भी जिलों के दौरे के समय पार्टी दफ्तर जाना मुनासिब नहीं समझते हैं। उनकी इस तरह की सक्रियता को पूरे प्रदेश में प्रभाव बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। यह बात अलग है कि उनका और उनके परिवार का मालावा से पुराना नाता है, लेकिन यह नाता इंदौर तक ही सीमित रहा करता था। इस दौरे की शुरुआत श्रीमंत द्वारा नीमच से की गई है। इसके बाद वे इस अंचल के मंदसौर, रतलाम, जावरा, पिपलोदा, बदनावर, धार, उज्जैन, देवास और इंदौर का भी दौरा कर रहे हैं। यह वे इलाके हैं जो उनके पूर्वजों की रियासत का हिस्सा रहे हैं। दरअसल कांग्रेस में राजनीति करने के समय शायद ही श्रीमंत ने कभी इतनी सक्रियता दिखाई हो। उनकी इस तरह की सक्रियता को प्रदेश में भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। मदसौर में उनके द्वारा अपने दौरे की शुरूआत पशुपतिनाथ मंदिर से की गई। इसके बाद वे पार्टी के अलग-अलग संगठनों से जुड़े लोगों के घर पहुंचे।
विधायक और सांसद के यहां तो नेताओं का आना जाना लगा ही रहता है, लेकिन वे जिस तरह से भाजपा और संघ के स्थानीय दफ्तर गए उससे सभी के कान खड़े हो गए हैं। यही नहीं संघ के स्थानीय पदाधिकारियों से उनके द्वारा बंद कमरे में करीब आधा घंटे तक चर्चा की गई। चर्चा में क्या हुआ यह तो सार्वजनिक नहीं है, लेकिन माना जा रहा है उनके द्वारा स्थानीय राजनीति के बारे में जरूर मंत्रणा की गई है। यही नहीं वे इस दौरे में अपने समर्थकों के अलावा भाजपा के पुराने नेताओं को भी अच्छा खासा महत्व दे रहे हैं। यह बात अलग है कि इन जिलों में वे भले ही पूर्व में सक्रिय नहीं रहे हैं, लेकिन उनके समर्थक जरुर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। उनकी इस बढ़ती सक्रियता की वजह से अब इलाकाई के अलावा प्रदेश स्तर पर विभिन्न अंचलों के खांटी और दिग्गज नेताओं में हैरानी परेशानी दिखना शुरू हो गई है। राजनैतिक विश्लेषक इसे मालवा अंचल में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के तौर पर देख रहे हैं।
इस तरह बदल चुकी है कार्यशैली
कांग्रेस में रहने के दौरान श्रीमंत की कार्यशैली पूरी तरह से सॉफस्टिकेटेड राजनेता के रुप में रही है, लेकिन भाजपा में आने के बाद इसमें बड़ा बदलाव आया है। वे अब मदिरों के अलावा दिवगंत नेताओं, विशिष्टजनों के घर शोक संवेदनाओं को जताने के अलावा भाजपा के दिग्गज नेताओं के घर भोजन करने भी लगातार जा रहे हैं। यही नहीं अब वे इस दौरान मौजूद रहने वाले कार्यकर्ताओं से मिलने मिलाने में भी आत्मीयता दिखाने लगे हैं।
भोपाल में बिछा चुके हैं बिसात
श्रीमंत अपने इस तरह के दौरे की शुरुआत करने से पहले भोपाल में पूरी तरह से पार्टी नेताओं के बीच राजनैतिक बिसात बिछा चुके हैं। माना जा रहा है कि योजनानुसार ही वे प्रदेश मत्रिमंडल में शामिल प्रदेश के हर बड़े और प्रभावशाली के भोपाल स्थित आवासों पर दस्तक दे चुके हैं। इनमें,खासतौर पर उन अंचल के नेता शामिल हैं, जहां पर उनके समर्थक नेताओं की कमी मानी जाती है। इनमें नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव से लेकर भूपेन्द्र सिंह तक शामिल हैं।
नाराजगी दूर करने का प्रयास:
दरअसल श्रीमंत अब उन नेताओं से जरुर मिल रहे हैं, जो उनके समर्थकों की वजह से सत्ता व संगठन में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। इसकी बानगी मालवा अंचल के दौरे में साफतौर पर दिखाई दे रही है। दरअसल जिस तरह से हाल ही में प्रदेश कार्यसमिति में उनके समर्थकों को शामिल किया गया है उससे सत्ता के बाद संगठन में भी उनकी ताकत दिखाई दी है। मंदसौर से 218 सदस्यों वाली विशेष आमंत्रित सदस्यों में मंदसौर से एक मात्र शामिल किए गए उनके समर्थक पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह गौतम के नाम को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं में नाराजगी बनी हुई थी। इन नाराज नेताओं से उनके द्वारा मुलाकात की गई है। यही नहीं जिले के प्रभारी मंत्री के तौर पर उनके ही समर्थक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को प्रभार मिला है। जिसकी वजह से श्रीमंत समर्थकों का हस्तक्षेप बढ़ने की संभावनाओं से मूल रुप से भाजपाई नेताओं की नाराजगी बढ़ने की भविष्य की संभावनाओं से भी जोड़कर उनके इस दौरे को देखा जा रहा है। शायद यही वजह है कि स्थानीय भाजपा नेताओं को पूरी तरह से महत्व दिया जा रहा है।