रियासत पर अपने लोगों की ताजपोशी में सफल रहे श्रीमंत

श्रीमंत

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीते साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में अपने समर्थकों के साथ आने वाले श्रीमंत ने एक बार फिर प्रभारी मंत्रियों के मामले में अपना दबदबा कायम रखने में कामयाबी पायी है। यही वजह है कि उनके पूर्वजों की रियासत के तहत आने वाले जिलों में श्रीमंत अपने समर्थक और करीबी मंत्रियों की ताजपोशी कराने में पूरी तरह से कामयाब रहे हैं। इसमें ग्वालियर – चंबल अंचल के अलावा धार और मंदसौर जैसे जिले भी शामिल हैं। इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि कांग्रेस की ही तरह भाजपा में भी श्रीमंत का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। दरअसल इसी तरह का असर पूर्व में अफसरों की पदस्थापना के साथ ही प्रदेश भाजपा कार्यसमिति में दिख चुका है। दरअसल बताया जाता है कि मंत्रियों को जिला का प्रभार देने में हुई देरी की वजह ही श्रीमंत रहे हैं। वे अपने प्रभाव वाले इलाकों के तहत आने वाले जिलों में अपनी पसंद के हिसाब से ही मंत्रियों को प्रभारी चाहते थे। इसके लिए सत्ता, संगठन और श्रीमंत के बीच लंबे समय तक मंत्रणाओं का दौर चला , जिसके बाद जाकर अब कहीं प्रभारी मंत्री घोषित किए जा सके हैं।
 वह भी तब जब श्रीमंत की पसंद का पूरा ध्यान रखा गया। अगर ग्वालियर -चंबल अंचल के तहत आने वाले जिलों की बात की जाए तो दो जिले छोड़कर शेष सभी में श्रीमंत के करीबी और उनकी पसंद को ध्यान में ही रहकर ही प्रभार दिए गए हैं। यह भी दो जिले केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की वजह से छोड़े गए हैं। इन दोनों जिलों में श्योपुर और मरैना जिला शामिल है। इन दोनों ही जिलों का प्रभार तोमर के करीबी भारत सिंह कुशवाहा को प्रभार दिया गया है।  खास बात यह है कि प्रदेश सरकार में 30 मंत्री है और जिलों की संख्या 52  है जिसकी वजह से 22 मंत्रियों को जहां दो – दो जिलों का प्रभार दिया गया है, वहीं आठ मंत्रियों को सिर्फ एक -एक जिले का ही प्रभारी बनाया गया है। जिन मंत्रियों को एक-एक जिले का प्रभार दिया गया है उनमें गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ,पंचायत मंत्री महेंद्र सिसोदिया ,भूपेंद्र सिंह और ओपीएस भदौरिया शामिल हैं। यह मंत्री सरकार के वरिष्ठ और प्रभावशाली मंत्री माने जाते हैं।
इस तरह से संतुलन बनाने का किया प्रयास
मुख्यमंत्री द्वारा श्रीमंत के दबाब के बाद भी अपनी ओर से शेष मंत्रियों को प्रभार देने में संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। यही वजह है वरिष्ठतम मंत्रियों में शामिल गोपाल भार्गव को जबलपुर के अलावा निवाड़ी का तो वहीं अपने करीबी और विश्वस्त माने जाने वाले मंत्री भूपेंद्र सिंह को भोपाल जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है।
इसी तरह से ग्वालियर चंबल अंचल के जिलों में श्रीमंत के करीबी मंत्रियों में शामिल तुलसीराम सिलावट को ग्वालियर, सुरेश धाकड़ को दतिया और गोविंद सिंह राजपूत को भिंड प्रद्युम्न सिंह तोमर को अशोकनगर व गुना,  महेंद्र सिंह सिसोदिया को शिवपुरी का प्रभारी बनाया गया है। खास बात यह है कि सरकार में तीन-तीन मंत्री वाले जिले सागर का प्रभारी अरविंद भदौरिया को बनाया गया है। उन्हें सागर के अलावा रायसेन जिले की कमान भी दी गई है।
रियासती प्रभाव के लिए दो बार किया भोपाल का प्रवास  
बीते माह अपनी पसंद नापसंद के आधार पर रियासती प्रभाव बनाए रखने के लिए ही श्रीमंत ने बीते माह अचानक दो बार भोपाल का दौरा किया। इस दौरान वे न केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले , बल्कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा , संघ के पदाधिकारियों के अलावा कई नेताओं से भी मिलने गए। इसके पीछे की मुख्य वजह ही अपने मंत्रियों को अपने पसंदीदा जिलों का प्रभार दिलाना था।
कांवरे को दिया पन्ना का प्रभार
प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की पसंद की वजह से रामकिशोर कांवरे को पन्ना जिले का प्रभार दिया गया है। इसी तरह से उनके संसदीय क्षेत्र के दूसरे जिले कटनी का प्रभार मुख्यमंत्री ने अपनी पसंद के हिसाब से जगदीश देवड़ा को दिया है।
अब मनपसंद अफसरों की पदस्थापना की चुनौती
सरकार में मंत्री पद संगठन में समर्थकों को जगह और जिलों में अपनी पसंद के प्रभारी मंत्री बनाने में कामयाब रहे श्रीमंत अब अपने प्रभाव वाले इलाकों में पूरी तरह से अपनी पसंद के अफसरों की पदस्थापना चाहते हैं। इसमें भी भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं का अड़ंगा आड़े आ रहा है। दरअसल कांग्रेस से भाजपा में आए श्रीमंत और उनके समर्थकों को वे ही अफसर पसंद है जो उनके कांग्रेस में रहते बने हुए थे। यह अफसर भाजपा नेताओं की ना पसंद माने जाते हैं। इस तरह के अफसरों की संख्या करीब डेढ़ दर्जन बताई जा रही है। यह अफसर आईएएस और आईपीएस हैं। इन अफसरों को अब श्रीमंत औरउनके समर्थक मंत्री ग्वालियर चंबल शिवपुरी गुना और इंदौर संभाग के जिलों में पदस्थ कराना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि इन अफसरों को पदस्थ कराने के लिए सूची को सीएम के पास भी भेजा जा चुका है, लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी के कुछ दिग्गजों नेताओं के विरोध की वजह से वह जारी नहीं हो पा रही है।

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