
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा में आने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक बार बार भोपाल के दौरे चर्चा में हैं, जिसे लोग उनमें आए बदलाव के रुप में देख रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे अपने अलम्बरदारों को सत्ता व संगठन में समायोजित कराने के प्रयोजन के लिए ही बार-बार भोपाल आ रहे हैं। खास बात यह है कि जब भी वो भोपाल दौरे पर होते हैं तो सत्ता व संगठन के साकेत पर जाना नहीं भूलते हैं। यही वजह है कि अब तक उनके हाल ही में भोपाल के जितने भी दौरे हुए हैं उनमें वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा संगठन व सत्ता में बड़ा रसूख रखने वाले नेताओं से मिलना नहीं भूलते हैं। दरअसल उनके कुछ खास अलम्बरदार इन दिनों विधानसभा उपचुनाव में खेत रहने के बाद सत्ता में भागीदारी के लिए दबाव बनाए हुए हैं। यह वे नेता हैं जिन्हें श्रीमंत का बेहद खास माना जाता है। यह पूर्व विधायक श्रीमंत के साथ ही कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद उनके द्वारा विधायक पद से इस्तीफा दे दिया गया था। कहने को तो श्रीमंत बीते रोज अपने बेहद करीबी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के यहां शादी समारोह में शामिल होने आए थे, लेकिन पूर्व की तरह उनके द्वारा इस बार भी कई नेताओं से खुद जाकर मिलने का दौर जारी रखा। इस मेल मुलाकात तय करते समय यह जरूर ध्यान रखा जाता है कि पार्टी के अंदर शक्तिशाली माने जाने वाले हर गुट के नेता से मुलाकात की जाए, जिससे सभी तरह के समीकरणों को साधा जा सके। यही वजह है कि बुधवार को भी जब श्रीमंत भोपाल आए तो सबसे पहले वे मुख्यमंत्री से मिलने उनके शासकीय आवास पर गए। उसके बाद बंद कमरे में करीब एक घंटे तक शिव के विरोधी माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा के घर जाकर अकेले में एक घंटे तक चर्चा करते रहे। दोनों नेताओं के बीच अकेले में इतनी लंबी क्या चर्चा हुई यह तो किसी को पता नहीं है,लेकिन जिस तरह से इन दोनों नेताओं ने बाहर निकलकर मीडिया के सामने कोई टिप्पणी नहीं की उसके जरुर कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। कल के अपने दौरे में श्रीमंत द्वारा संघ के बेहद करीबी माने जाने वाले सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के घर जाकर रात्रि भोजन किया और प्रभुराम चौधरी के शादी समारोह में शामिल हुए। इस तरह से अल्पकालीन दौरे में उनकी तीन मंत्रियों के अलावा सरकार के मुखिया और संगठन के प्रदेश के मुखिया से भी मुलाकात हुई। मुलाकात का यह दौर यहीं समाप्त नहीं हुआ, उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर प्रदेश भाजपा के प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत से भी मंत्रणा की। गौरतलब है कि इसके पहले के दौरे में शिव के करीबी रहे भूपेन्द्र सिंह और विरोधी माने जाने वाले गोपाल भार्गव के आवास पर भी जा चुके हैं।
10 दिनों में कर चुके हैं 11 जिलों का दौरा
भाजपा में आने के बाद श्रीमंत अब पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे हैं, इसकी वजह है उनके प्रदेश में लगातार बढ़ रही सक्रियता अगर हाल ही के दस दिनों की बात की जाए तो वे इस दौरान न केवल 11 जिलों का दौरा कर चुके हैं, इस बीच करीब साढ़े तीन सौ लोगों से उनके घरों पर जाकर मुलाकात भी की है। इनमें कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के बड़े नेता तक शामिल हैं। इसे कई लोग उनकी समन्वय की सियासत मान रहे हैं तो कई लोग इसे पार्टी के प्रदेश नेताओं पर दबाव डालने के प्रयास के रुप में देख रहे हैं।
सत्ता और संगठन में चाहते हैं अधिक भागीदारी
श्रीमंत चाहते हैं कि उनके साथ कांग्रेस छोडकर भाजपा में आने वाले उनके समर्थकों को सत्ता व संगठन में पर्याप्त भागीदारी हो। वे कम से कम चार समर्थकों के लिए निगम मंडलों में तो जगह चाहते ही हैं साथ ही अपने कुछ समर्थकों को वे विभिन्न मोर्चा प्रकोष्ठों के अलावा मीडिया और अपने इलाके के जिलों की कार्यकारिणी में भी महत्वपूर्ण पदों पर देखना चाहते हैं। दरअसल कई मोर्चा प्रकोष्ठों की प्रदेश कार्यकारिणी का अभी गठन होना है। इसी तरह से अभी तक पार्टी की मीडिया टीम का गठन भी नहीं हो सका है। यही वजह है कि वे सत्ता व संगठन के महत्वपूर्ण लोगों से लगातार मेल-मुलाकात कर अपना दबाव बनाए हुए हैं। वे अपने जिन पूर्व विधायकों को सत्ता में भागीदारी की इच्छा रखते हैं उनमें इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना, गिरिराज सिंह दंडोतिया आदि नाम शामिल हैं।