चंबल में…श्रीमंत व गोविंद सिंह की होगी अग्नि परीक्षा

श्रीमंत व गोविंद सिंह

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे में यह पहला मौका है जब सियासी से लेकर सत्ता स्तर तक में ग्वालियर -चंबल अंचल का पूरा दबदबा बना है। इस दबदबे की वजह हैं श्रीमंत। वे भाजपा में आए तो कांग्रेस से अधिक मजबूत बनकर उभरे, तो वहीं कांग्रेस भी उनसे सरकार गिराने का बदला लेने के पूरे मूड में है। यही वजह है कि कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष का पद इसी अंचल से आने वाले पार्टी के अजेय विधायक गोविंद सिंह को सौंप दिया है। अब इन दोनों ही नेताओं की अग्नि परीक्षा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में होना है। यह बात अलग है कि उपचुनाव में श्रीमंत अपने समर्थकों की जीत में भारी पड़ चुके हैं, लेकिन वह चुनाव ऐसे समय हुए थे, जब इस अंचल में कांग्रेस के पास संगठन से लेकर बड़े नेताओं तक का अभाव पैदा हो गया था। अब कांग्रेस की स्थिति व परिस्थिति भी बदल चुकी है। इस अंचल के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में इस अंचल का प्रतिनिधित्व नरेन्द्र सिंह तोमर के अलावा स्वयं श्रीमंत कर रहे हैं। इसी तरह से अगर राज्य की बात की जाए तो प्रदेश में 9 मंत्रियों के अलावा 14 निगम मंडल अध्यक्ष भी इसी अंचल से आते हैं। लगभग यही हाल संगठन में भी है। इसी तरह से अगर कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस सत्ता में नही है , लेकिन अब खुद को भाजपा के मुकाबले में खड़ा करने के लिए इस अंचल पर पूरा फोकस करना शुरू कर दिया गया है। इसकी वजह से ही नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा कोषाध्यक्ष का पद इस अंचल के खाते में आ चुका है। इसके अलावा कांग्रेस ने इस अंचल का प्रभार भी दिग्विजय सिंह को दिया हुआ है। यही वजह है कि अब इस अंचल में अगले विधानसभा चुनाव में बेहद रोचक मुकाबला दिख सकता है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने की वजह दिग्विजय सिंह को माना जा रहा था , जिसकी वजह से ही दिग्विजय सिंह का भी पूरा फोकस इसी इलाके पर बना हुआ है। वे खुद तो दौरे कर ही रहे हैं साथ ही उनके पुत्र और पूर्व मंत्री राजवर्धन सिंह भी इस अंचल में प्रवास कर रहे हैं। इसके अलावा अब नेता प्रतिपक्ष का पद भी उनके करीबी गोविंद सिंह के खाते में आने की वजह से अंचल में उनका दबदवा बढ़ गया है। डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस की एक बड़ी रणनीति श्रीमंत को उन्हीं के गढ़ में घेरने की है। यही वजह है की नेता प्रतिपक्ष बनते ही दूसरे दिन गोविंद सिंह सीधे ग्वालियर पहुंचे, जहां उन्होंने बिना मौका गवाएं सीधा केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित नजर आए. कांग्रेस डॉक्टर गोविंद सिंह को सिंधिया का विकल्प करार दे रही है, वहीं सिंधिया पर हुए हमले के बाद सिंधिया के समर्थक मंत्री भी कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हो गए, सिंधिया समर्थक मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह को सिंधिया के कद के सामने, बेहद बौना और छोटा नेता करार दे रहे हैं। फिलहाल दोनों में से जिस दल को इस अंचल में बढ़त मिलेगी उससे ही श्रीमंत व गोविंद सिंह के कद का पता चल सकेगा। यही वजह है कि अगले विस चुनाव को दोनों ही नेताओं के लिए बतौर अग्नि परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रदेश की सत्ता रास्ता ग्वालियर से खुलता है
डॉ गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अंचल की राजनीति में सियासी मौसम में भी परिवर्तन होता दिखना शुरू हो गया है। इसकी वजह है प्रदेश में सत्ता का रास्ता इसी अंचल से खुलता है। 2018 में ग्वालियर चंबल में कांग्रेस का दबदबा रहा और वह सरकार बनाने में कामयाब रही। 2020 में जब कांग्रेस की सरकार गई उसमें भी इसी अंचल से उसे बेहद महत्वपूर्ण बढ़त मिली थी। यही वजह है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए ग्वालियर चंबल संभाग बेहद महत्वपूर्ण है। इसी कारण से कांग्रेस श्रीमंत को घर में ही घेरने की कोशिश में है ताकि, 2018 के परिणामों को दोहराया जा सके। गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
अभी यह है राजनीतिक समीकरण
इस अंचल के अगर राजनीतिक समीकरण को देखें तो अंचल की 34 सीटों में से 17 कांग्रेस के पास तो 16 सीटें भाजपा के पास और एक बसपा के पास है। श्रीमंत के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। उपचुनाव में कांग्रेस को इस अंचल में दस सीटों का नुकसान हुआ है। इसी तरह अगर लोकसभा सीटों की बात की जाए तो अंचल की चारों लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में है। इसी तरह से भाजपा की एक राज्यसभा सीट भी इसी अंचल के खाते में है।
बीजेपी भी कर रही पलटवार
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सिंधिया के प्रति दिखाए जा रहे तल्ख तेवरों के बाद बीजेपी भी बेहद हमलावर हो गई है,लिहाजा डॉक्टर गोविंद सिंह को मंत्री ओपीएस भदौरिया ने डॉक्टर गोविंद सिंह को चुनौति भरे अंदाज में कहा है कि उनके लिए तो मैं ही काफी हूं, बात यहीं नहीं रुकी इसके बाद मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का रिएक्शन आया । उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यह डॉक्टर गोविंद सिंह की नेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्ति सिर्फ एक व्यक्ति श्रीमंत के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी के लिए की गई है, उन्होंने यह भी दावा किया कि डॉक्टर गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने पर बीजेपी और श्रीमंत को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
कांग्रेस को थी चेहरे की तलाश
दरअसल, श्रीमंत के जाने के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में दिशाहीन हुई कांग्रेस को लंबे समय से सिंधिया की जगह रिक्त हुए स्थान को भरने के लिए एक चेहरे की तलाश थी, कयास लगाए जा रहे थे कि श्रीमंत की जगह दिग्विजय सिंह या फिर उनके बेटे जयवर्धन सिंह लेंगे, लेकिन इन कयासों के उलट कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के सबसे नजदीकी और भरोसेमंद डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ग्वालियर चंबल अंचल में उनका कद सिंधिया के समकक्ष बनाने की कोशिश की। डॉक्टर सिंह भी नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सिंधिया के खिलाफ ही मुखर दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने श्रीमंत को कांग्रेस के लिए कोई चुनौती ना होना करार दिया। कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने यह दावा किया कि डॉक्टर गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद बीजेपी के साथ-साथ श्रीमंत भी बेहद घबरा गए हैं क्योंकि वे श्रीमंत के खिलाफ तब भी मुखर रहते थे जब वह कांग्रेस में थे।

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