चुनाव के लिए नियमित कर्मचारियों का टोटा

कर्मचारियों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में लंबे समय से विभिन्न विभागों में भर्ती नहीं होने से कर्मचारियों की बेहद कमी बनी हुई है। इसका असर अब चुनावी प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है। प्रशासन के पास पर्याप्त नियमित कर्मचारी ही नहीं है, जिसकी वजह से अब प्रशासन चुनाव आयोग से संविदा कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में लगाने की अनुमति मांग रहा है। दरअसल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए करीब पौने तीन लाख नियमित कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन इतनी संख्या में कर्मचारी उपलब्ध ही नहीं है।
यह बात आयोग के संज्ञान में आने के बाद पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में 64 हजार 523 मतदान केंद्र हैं। प्रत्येक मतदान केंद्र पर चार अधिकारी- कर्मचारी तैनात किए जाते हैं। इस प्रकार दो लाख 58 हजार से अधिक कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसके अलावा इस दौरान रिजर्व अमला भी रखा जाता है। जो विशेष परिस्थिति में काम करता है। किसी अधिकारी-कर्मचारी के अचानक बीमार होने अथवा अन्य विषम परिस्थितियों में उनकी ड्यूटी लगाई जाती है। यही नहीं उडऩदस्ता ड्यूटी के लिए भी करीब पंद्रह हजार अधिकारियों और कर्मचारियों की जरूरत अलग से रहती है।
अब तक चुनाव के लिए नियमित कर्मचारियों की ही तैनाती की जाती रही है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिला निर्वाचन अधिकारियों को कर्मचारियों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इन कर्मचारियों को चुनाव प्रक्रिया शुरु होते ही चुनावी प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें मतदान कराने से लेकर मतगणना तक का प्रशिक्षण शामिल होता है। जब इस सूची को तैयार करने का काम शुरू किया गया, तो पता चला कि कई जिलों में तो जरुरत के मुताबिक नियमित कर्मचारी ही नहीं हैं। इसके बाद कई जिलों के अफसरों ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर संविदा कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी में तैनाती करने की अनुमति मांगी है। इनमें  बालाघाट, श्योपुर और खंडवा जिले भी शामिल बताए जा रहे हैं। इन जिलों के अफसरों ने पत्र में दलील दी है कि उनके पास नियमित कर्मचारियों की कमी है। आयोग के स्पष्ट निर्देश है कि संविदा कर्मचारियों को चुनाव कार्य में शामिल नहीं किया जाएगा। अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जिला कलेक्टरों से नियमित कर्मचारियों की उपलब्धता और संविदा कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर प्रतिवेदन मांगा है। ऐसा इसलिए कि उस आधार पर चुनाव आयोग को अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा जाए। संविदा कर्मचारियों में वर्ग एक, दो, तीन और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की स्थिति भी पूछी गई है।
विस चुनाव में भी संविदाकर्मियों की करनी पड़ी थी तैनाती
नवंबर-2023 में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ जिलों में नियमित कर्मचारियों की कमी के कारण आयोग ने संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की अनुमति प्रदान की थी। अफसरों का कहना है कि प्रदेश में लंबे समय से कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है, लिहाजा नियमित कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। पुरानी सरकार ने एक लाख पदों पर भर्ती करने का ऐलान किया गया था, जिसकी प्रक्रिया तो शुरू हुई, लेकिन किसी न किसी वजह से यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पायी है। इस बीच सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए हैं।

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