मध्यप्रदेश में आईएएस अफसरों की कमी

मध्यप्रदेश
  • काम के बोझ से दबे वरिष्ठ अधिकारी

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की आबादी लगातार बढ़ रही है। जिलों की संख्या भी बढक़र 55 हो गई, पर जिलों और प्रदेश में प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसरों की संख्या बढऩेे के बजाए घट रही है। आलम यह है कि प्रदेश में वरिष्ठ अधिकारियों की कमी इस कदर हो गई है कि उन पर काम का बोझ बढ़ गया है। दरअसल, प्रदेश में अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव रैंक के कुल 49 अफसर, इनमें से 17 मप्र से बाहर हैं। इस कारण अफसरों को अतिरिक्त प्रभार देना मजबूरी हो गया है। गौरतलब है कि मप्र आइएएस कैडर में 459 पद स्वीकृत हैं। इनमें 391 पद भरे हैं, जबकि 68 खाली हैं। केंद्र ने अगस्त 2022 में मप्र आईएएस कैडर की समीक्षा की। तब आईएएस कैडर संख्या 459 थी। उसके बाद से संख्या नहीं बढ़ी। जानकारों की मानें तो जनता को बेहतर सेवाएं देने और प्रदेश को विकास की ओर ले जाने वाली पहली प्रशासनिक धुरी आईएएस होते हैं। इनकी कमी से जनता को मिलने वाली सेवाएं प्रभावित होंगी। मप्र सरकार जल्द ही प्रशासनिक सर्जरी करने जा रही है। इस प्रशासनिक फेरबदल में अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव रैंक के अधिकारियों की नई पदस्थापना की जाएगी। कुछ कलेक्टर भी बदले जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के बीच चर्चा में अफसरों के ट्रांसफर को लेकर सहमति बन गई है। जल्द ही तबादला आदेश जारी किए जा सकते हैं।
अफसरों को अतिरिक्त प्रभार देना मजबूरी
जानकारी के अनुसार प्रदेश में इन दिनों अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव रैंक के अधिकारियों की कमी हो गई है। मुख्य सचिव को छोडक़र एमपी कैडर के अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव रैंक के कुल 49 अधिकारी हैं। इनमें से वर्तमान में 15 अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में और एक यूएसए में पदस्थ है, जबकि एक अधिकारी स्टडी लीव पर है। यही वजह है कि एसीएस और पीएस रैंक के अधिकतर अफसरों के पास अतिरिक्त विभागों का प्रभार है।  दरअसल पिछले तीन-चार वर्षों में बड़ी संख्या में मप्र कैडर के प्रमुख सचिव व सचिव रैंक के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं। ऐसे ही सीनियर आईएएस अधिकारी लगातार रिटायर्ड हो रहे है। इसके अलावा एसीएस रैंक के कुछ बैच में अधिकारियों की संख्या काफी कम है, जिससे अफसरों की कमी हो गई है। ऐसे में सरकार को न चाहते हुए भी अफसरों को एक से ज्यादा विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपनी पड़ रही है। चूंकि अधिकारी अतिरिक्त प्रभार वाले विभागों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं, वे सिर्फ रुटीन की फाइलें आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे इन विभागों में कामकाज प्रभावित हो रहा है। अफसरों की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग का प्रभार नवंबर से एसीएस नीरज मंडलोई के पास हैं। मंडलोई पूर्व से ऊर्जा जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
ये आईएएस मप्र से बाहर
एक तरफ मप्र में आईएएस अधिकारियों का टोटा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी प्रदेश के बाहर पदस्थ हैं। इनमें आईएएस अलका उपाध्याय, मनोज गोविल, पंकज अग्रवाल, आशीष श्रीवास्तव, वीएल कांताराव, नीलम शमी राव, दीप्ति गौड़ मुखर्जी, विवेक अग्रवाल, हरिरंजन राव, पल्लवी जैन गोविल, नितेश व्यास, फैज अहमद किदवई, कैरलिन खोंगवार देशमुख, मनीष सिंह (स्टडी लीव), आकाश त्रिपाठी, निकुंज श्रीवास्तव (वर्ल्ड बैंक) और पवन कुमार शर्मा शामिल हैं।
कई विभाग सचिवों के जिम्मे
एसीएस और पीएस रैंक के अधिकारियों कमी की वजह से कृषि, स्कूल शिक्षा, जेल और परिवहन जैसे बड़े विभाग सचिव रैंक के अधिकारी संभाल रहे है। इन विभागों में एसीएस और पीएस पदस्थ नहीं हैं। आईएएस संजय गोयल सचिव स्कूल शिक्षा और एम. सेलवेन्द्रन सचिव कृषि एवं जीएडी (कार्मिक) के पद पर पदस्थ है, जबकि अपर मुख्य सचिव एनएस मिश्रा के रिटायर्ड होने के बाद से जेल एवं परिवहन विभाग का जिम्मेदारी सचिव रैंक के अधिकारी मनीष सिंह के पास है। एमपी कैडर के 1990 बैच में सिर्फ दो अधिकारी हैं। इनमें से डॉ. राजेश राजौरा अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के पद पर पदस्थ है, जबकि अलका उपाध्याय भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी, मत्स्यपालन मंत्रालय में सचिव के पद पर पदस्थ हैं। 1991 बैच में 3 अधिकारी है। इनमें से अशोक वर्णवाल अपर मुख्य सचिव वन के पद पर और मनु श्रीवास्तव अपर मुख्य सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के पद पर पदस्थ है, जबकि मनोज गोविल भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में सचिव के पद पर पदस्थ है। ऐसे ही 1995 बैच में सिर्फ एक अधिकारी-सचिन सिन्हा है।

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