विदेशों में हो रहे युद्ध से मध्यप्रदेश में खाद की कमी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद मिलने का दावा किया जा रहा है लेकिन जिलों की रिपोर्ट बताती है कि उन्हें खाद लेने के लिए रतजगा तक करना पड़ रहा है। खाद बिक्री केन्द्रों पर लंबी-लंबी लाइनें लग रही है। एक तरफ यह दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद है और किसानों को जरूरत के हिसाब से वितरण किया जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर चल रहे युद्ध के कारण कच्चा माल महंगा हो गया है। दरअसल इस समय राज्य में खाद की कमी बनी हुई है। रूस-यूक्रन सहित इजराइल जैसे देश युद्ध की चपेट में है। चीन से भी कच्चा माल नहीं आ रहा। इससे खाद की भारतीय बाजारों में कमी हो गई है। खाद में लगने वाले कच्चे माल की कीमत भी आसमानी ऊपर ही आ रहा है। डीएपी की जगह एनपीके को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन इस समय यूरिया की सबसे ज्यादा जरूरत है। मक्का और धान जैसी फसलों के लिए यूरिया की मांग ज्यादा है। प्रदेश में खाद का वितरण मार्कफेड के काउंटरों के अलावा मार्केटिंग सोसायटियों और निजी कारोबारियों के माध्यम से होता है।
यूरिया की समस्या को लेकर कांग्रेस नेताओं ने किया प्रदर्शन
चौरई क्षेत्र में यूरिया संकट को लेकर शुक्रवार को चौरई ब्लॉक कांग्रेस के कांग्रेस नेताओं व किसान खाद वितरण केंद्र के सामने सडक़ पर बैठ गए और प्रदर्शन किया। यूरिया खाद की कमी व कालाबाजारी तथा सहकारी समितियों के माध्यम से नकद खाद की बिक्री की मांग की। साथ ही मूंग व उड़द खरीदी केंद्रों में हो रही अवस्थाओं को दूर करने और पेयजल व अन्य सुविधाओं की भी मांग किसानों ने की। इस आशय का एक ज्ञापन चौरई अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रभात मिश्रा को सौंपा।
क्या कहते हैं आंकड़े
कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस साल 12.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता हुई जिसमें से जुलाई माह में अब तक 9.50 लाख मेट्रिक यूरिया का वितरण हो चुका है। करीब लाख मीट्रिक टन का स्टॉक बचा है। 30 सितंबर तक 9 लाख मेट्रिक टन यूरिया और मिलने की संभावना है। इसी प्रकार डीएपी की खरीफ सीजन में गत वर्ष 3.75 लाख मेट्रिक टन की सेल हुई थी। इस बार अब तक 2.50 लाख मेट्रिक टन की बिक्री राज्य में हुई है। इतना ही मात्रा में इस खाद की उपलब्धता होने की संभावना है।
फसलों पर असर
खाद की कमी की वजह से फसलों पर असर देखने को मिल रहा है। किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रहा। जहां तक किसानों के स्टॉक बनाने की बात है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में खाद मिल ही नहीं रहा तो स्टॉक कहां से बनाएगा। अभी तो राज्य में धान की बोवनी करीब 40 फीसदी बची है।
डिमांड एक साथ बढ़ी
कच्चा माल कम और महंगा मिल रहा है। इंटरनेशनल मार्केट की स्थिति बदली हुई है। सप्लायर पर भी खाद का काफी प्रेशर है। मध्य प्रदेश में धान, मक्का का रका बढ़ने से खाद की डिमांड भी बढ़ी हुई है।

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