शिव की सियासी तासीर की धमक… ब्रांड बने

शिवराज सिंह चौहान
  • पचमढ़ी के चिंतन-मंथन से सत्ता और संगठन को मिलेगा नया बूस्टअप डोज

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा की चुनावी राजनीति के पोस्टर ब्वॉय मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ऐसा ब्रांड बन गए हैं जिनकी हर एक रणनीति आदर्श बन जाती है। इसी तरह पचमढ़ी के जंगल में दो दिनों में करीब 21 घंटे की मैराथन चिंतन बैठक में जिस तरह शिव ‘राज’का समन्वय और सामूहिकता दिखी वह अब भाजपा का ब्रांड बनेगा। वैसे तो मप्र में सत्ता और संगठन का समन्वय पहले से ही देशभर में उदाहरण बना हुआ है, पचमढ़ी में दो दिवसीय कैबिनेट चिंतन-मंथन के जरिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मप्र से लेकर दिल्ली तक ब्रांड शिवराज का संदेश दिया है। उनकी आगामी सियासी पारी के लिए यह नया बूस्टअप डोज जैसा है।
प्रदेश के सबसे शीतल स्थल पचमढ़ी में हुए चिंतन-मंथन के कई मायने निकाले गए हैं। इससे शिवराज ने एक बार फिर प्रदेश के फैसलों में संदेश दिया कि वे समन्वय व सामूहिक मंथन के जरिए निर्णयों को लागू करते हैं। दूसरी ओर साफ कर दिया है कि प्रदेश में सत्ता के सूत्र पूरी तरह उनके हाथ हैं। अब 8 अप्रैल को एक बार फिर कलेक्टर- कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मैराथन बैठक करेंगे। इसमें प्रशासनिक प्राथमिकताएं तय होंगी।
जनता के बीच जाकर बनाएंगे सरकार की छवि:  पचमढ़ी में मैराथन चिंतन बैठक के बाद सरकार को अपनी तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाना चाहिए। जनता को बताना होगा कि उसके लाभ की योजनाएं केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार लेकर आई है। यह तय किया गया कि योजनाओं का भरपूर प्रचार-प्रसार किया जाए, प्रदेश से लेकर विकासखंड तक आयोजन किए जाएं, इनमें मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद और संगठन के स्थानीय पदाधिकारी भी शामिल हों। दरअसल, राजधानी की भागम-भाग से दूर एकांत में खुले मन और सकारात्मक सुझावों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पचमढ़ी में बुलाई गई इस कैबिनेट बैठक का मुख्य उद्देश्य डेढ़ साल बाद 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करना ही था। उत्तर प्रदेश में भाजपा दोबारा सरकार बनाने में कामयाब जरूर हुई है, लेकिन पार्टी की इस कामयाबी को लेकर मप्र सरकार सहज नहीं है। चिंतन बैठक को लेकर तमाम मंत्री दो दिन के दौरान यही कहते रहे कि 2023 का चुनाव कोई मुद्दा ही नहीं है, लेकिन कुछ मंत्री ऐसे भी रहे, जिन्होंने अनौपचारिक रूप से यह स्वीकार किया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य जनता के बीच सरकार की कल्याणकारी छवि को कैसे सशक्त बनाया जाए, इस पर ही मुख्यमंत्री ने सुझाव लिए हैं। वजह यह है कि सरकार की तमाम योजनाएं पुरानी हो चुकी हैं और उन्हें लेकर जनता में सरकार के प्रति आकर्षण बनाने की जरूरत है। मंत्रियों ने यह भी कहा कि हालांकि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद एक तरह से खत्म हो गई है, फिर भी जोखिम लेना उचित नहीं होगा।
मप्र में ब्रांड शिवराज के मुकाबले कोई नहीं
पचमढ़ी में जिस तरह पूरा मंत्रिमंडल शिवराज के इर्द-गिर्द रहा और उनके साथ समन्वय और सामूहिकता के साथ प्रदेश के विकास का रोडमैप तैयार करने में जुटे रहे उससे यह संदेश मिला है कि मप्र में ब्रांड शिवराज के मुकाबले में  कोई नहीं है। सीएम ने मैराथन बैठक से साफ कर दिया कि प्रदेश में उनकी ही चलनी है। बार-बार उनके हटने की अफवाहों को लगाम लगाकर संदेश दिया कि उनके हाथ ही सत्ता के सूत्र रहेंगे। निगम-मंडल में, संगठन में भी और नियुक्तियां होनी हैं। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें हैं। ऐसे में सीएम ने साफ कर दिया कि उनकी लाइन पर ही सभी को चलना होगा। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सियासी असर मप्र में दिख रहे हैं। दो साल में बार-बार शिवराज के खिलाफ पार्टी में कई अटकलें चलीं। कुर्सी पर भी खतरा बताया गया, इसलिए शीर्ष नेतृत्व से लाइन मिलने के बाद सीएम ने दो साल पूरे होने पर अफसरों को साफ कहा कि सरकार हमारे हिसाब से ही चलेगी।
हर निर्णय समन्वय व सामूहिकता से
 पचमढ़ी के जंगल में दो दिनों में करीब 21 घंटे की मैराथन चिंतन बैठक का निचोड़ यह निकला कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर निर्णय समन्वय व सामूहिकता से करते हैं। गौरतलब है कि कैबिनेट सब-कमेटियों ने पहले ही विभिन्न योजनाओं के सुधार का खाका तैयार कर लिया था। प्रेजेंटेशन, सुझाव व मंथन के बाद कैबिनेट की मुहर के साथ ऐलान किया। यह भी संदेश दिया कि वे समन्वय में अब भी उनकी कोई जोड़ नहीं है।
10 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोर
भाजपा सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले विधानसभा चुनाव में हारी सीटों पर पूरा ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि हम 90 फीसदी काम पूरा कर देते हैं और जो 10 फीसदी अधूरा रहता है, उसका हल्ला मचता है। इसलिए अब सभी योजनाओं के सौ फीसदी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी विभागीय मंत्री की है। इसके साथ मंत्री जनता के बीच जाएं, सीधे हितग्राही से संपर्क करें, पार्टी कार्यकर्ता से संपर्क करें। मुख्यमंत्री ने सभी योजनाओं को नए सिरे से जनता के बीच उतारने के लिए तारीख तय करने के साथ ही उनके प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने के निर्देश भी दिए। उन्होंने पार्टी कार्यक्रमों में पूरी सहभागिता और संगठन के 10 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ाने में पूरा योगदान देने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल का समय हमारे पास है, इसमें हम इतना काम कर दें कि चुनाव के समय हमें चिंता ही न रहे। कुछ मंत्रियों ने ब्यूरोके्रसी को लेकर भी बात रखी, जिस पर मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार की मंशा के विरुद्ध कोई कार्य स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि सरकार के हिसाब से कोई अफसर नहीं चलता है तो उसे हटा दिया जाएगा।

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