दिसंबर में ही सरकार व शासन की शिवराज करेगें बड़ी सर्जरी

शिवराज सिंह चौहान
  • मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ ही बदले जाएंगे आला अफसरान

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में आम विधानसभा चुनाव होने में अभी भले ही दो साल का समय है , इसके बाद भी सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अभी से चुनावी मोड में आते दिखने लगे हैं। यही वजह है कि उनके इस मोड में बाधा बनने वाले अफसरानों को तो हटाया जाना तय ही है  , साथ ही मंत्रिमंडल का भी पुर्नगठन  किया जाएगा। इसकी तैयारी सरकार के साथ ही शासन स्तर पर शुरू कर दी गई है। दरअसल सरकार नहीं चाहती है कि अगले विस चुनाव में भाजपा की स्थिति बीते चुनाव परिणामों की तरह रहे। इसके लिए सरकार अब अपना पूरा ध्यान विकास और जनकल्याणकारी कामों को जल्द से जल्द पूरा करने पर लगा रही है।  इसके माध्यम से सरकार की मंशा उसके खिलाफ कोरोना काल में बनी एंटी इनकंबेंसी को दूर करना है। यही वजह है कि प्रदेश में भी राज्य सरकार केंद्र की तरह तमाम समीकरणों को साधने के लिए राज्य मंत्रिमंडल का पुर्नगठन करने की तैयारी कर रही है। इस पुर्नगठन के पहले मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करने की योजना है। इसी तरह से तमाम विभागों के आला अफसरानों से लेकर मैदानी अफसरों के बारे में न केवल फीडबैक जुटाया जा रहा है , बल्कि उनकी कार्यशैली की भी जानकारी जुटाई जा रही है , जिससे की उन्हें भी समय रहते बदल कर सुशासन पर तेजी से काम हो सके। इनमें उन अफसरों को हटना तो तय ही माना जा रहा है जिन्हें नकारात्मक सोच का अफसर माना जाता है।
    वर्तमान में प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में 31 सदस्य हैं, जबकि इनकी संख्या तय सीमा के तहत 34 तक हो सकती है। इस हिसाब से देखें तो मंत्रिमंडल में चार नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। माना जा रहा है कि अगर सब कुछ सही रहा तो पुर्नगठन में चार नए सदस्यों को शपथ तो दिलाई ही जाएगी , साथ ही दो से तीन मंत्रियों की छुट्टी कर उनकी जगह नए चेहरों को भी शामिल किया जा सकता है। मंत्रियों की छुट्टी करने से पहले सरकार द्वारा उनके विभागों के कामकाज भी समीक्षा करेगी ।  इसके अलावा पार्टी नेताओं से भी उनके कामकाज के बारे में फीडबैक लिया जाएगा। दरअसल कुछ मंत्री ऐसे हैै, जिनकी अब तक न तो विभाग पर ही पकड़ बन पाई और न ही उनके कामकाज से संगठन से लेकर कार्यकर्ता तक खुश है। इसके लिए सरकार स्तर पर भी जानकारी जुटाने का काम शुरू कर दिए जाने की खबर है। माना जा रहा है कि इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल किया जाएगा। इसके पहले इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मंत्री और प्रमुख सचिव में विवाद के कारण सरकार की नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। इसी कारण मुख्यमंत्री के साथ संगठन स्तर पर भी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। पुर्नगठन में जिन चेहरों को शामिल किए जाने की चर्चाएं शुरू हुई हैं उनमें हाल ही में जोबट से उपचुनाव जीतीं सुलोचना रावत का नाम लगभग तय बताया जा रहा है। इसकी वजह है उनका महिला के साथ ही आदिवासी वर्ग का होना। यही नहीं उनको दलबदल कराते समय मंत्री पद का आश्वासन दिया जाना भी इसकी बड़ी वजह है। इसी तरह से इन नामों में विंध्य अंचल से राजेन्द्र शुक्ल को तो महाकौशल अंचल से भी किसी एक आदिवासी चेहरे को शामिल किए जाने की संभावना है। जातिगत समीकरण साधने के लिए सरकार द्वारा किए एक दलित विधायक को भी शपथ दिलाए जाने की संभावना है। इसकी वजह है इस बार सरकार और उसके संगठन का पूरा फोकस आदिवासी व दलित वोटरों को पार्टी से जोड़ने पर बना हुआ है।
    रिक्त पदों पर भी की जानी है पदस्थापना
    दरअसल अभी प्रदेश के दो संभागों में कमिश्नर के पदों के अलावा कई बेहद महत्वपूर्ण संस्थाओं में प्रशासनिक मुखिया के पद रिक्त चल रहे हैँ। इन खाली पदों के चलते प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। यह पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। इनमें आईएएस अफसरों के अलावा आईपीएस सेवा वाले पद भी शामिल हैं। इन पदों को भरने के लिए भी नामों पर मंथन किया जा रहा है।
    मुख्य सचिव भी रख रहे नजर
    उधर, मंत्रियों के अलावा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज पर सरकार बेहद कड़ी नजर बनाए हुए है। इसके लिए मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैंस किसी भी समय प्रमुख सचिवों से विभागों द्वारा किए जाने वाले कामों की रिपोर्ट तलब कर लेते हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से साफ कह चुके हैं कि नकारात्मक सोच रखने वाले अफसरों को जनता के कामकाज से जुड़े विभागों से दूर ही रखें। यदि ऐसे अधिकारी कहीं किसी विभाग में पदस्थ हैं तो उन्हें तत्काल कहीं दूसरी जगह पदस्थ किया जाए , ताकि आमजन के कामों में कोई रूकावट न हो। इसके साथ ही मंत्रियों से पटरी न बैठने वाले प्रमुख सचिवों से भी मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैंस सीधे बात करने वाले हैं , जिससे यह पता लगाया जा सके कि आखिर उन्हें काम करने में क्यों और क्या परेशानी आ रही है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों से यह जानकारी लेने के बाद ही प्रदेश में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल किया जाएगा। फेरबदल में मैदानी अधिकारियों के साथ विभागाध्यक्ष व प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों के नाम शामिल रहने वाले हैं। दरअसल यह पूरी कवायद मिशन 2023 को ध्यान में रखकर की जानी हैं।

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