
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही अभी खंडवा लोकसभा उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस का पूरा फोकस इस सीट के उपचुनाव पर हो चुका है। इस सीट पर लगभग कांग्रेस की ओर से अरुण यादव का प्रत्याशी बनना तय है, तो वहीं भाजपा की ओर से चार नेताओं की दावेदारी बनी हुई है। इनमें से एक दावेदार हर्ष चौहान भी हैं। वे पूर्व सांसद स्व.नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हैं। उनके निधन की वजह से ही यह सीट रिक्त हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर्ष चौहान को ही अरुण के मुकाबले में उतारना चाहते हैं। इस मामले में चौहान के अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी हर्ष के पक्ष में बताए जा रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि संगठन उनके नाम पर सहमत नहीं है। अगर भाजपा के दावेदारों की बात की जाए तो पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे भी पूरी ताकत के साथ अपनी दावेदारी में लगे हुए हैं। यह वे नेता हैं जिन्हें अब तक संगठन व सत्ता मिलकर कई मौके देकर महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ करती रही है। इनमें से चिटनीस को अपने दिल्ली के पुराने संबंधों पर भरोसा है तो वहीं मोघे संघ के पूरे भरोसे पर हैं। इन तीनों ही नेताओं के बीच टिकट को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच पार्टी अब किसी ऐसे नेता की तलाश कर रही है जो न केवल नया चेहरा हो बल्कि विपक्षी प्रत्याशी को चुनौती देने में भी सक्षम हो। दरअसल मोघे पहले एक बार खरगौन से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं।
सत्ता व संगठन मोघे के पक्ष में नहीं हैं। इसकी वजह है संघ के पूर्व प्रचारक होने के बाद भी उनकी पद लोलुपता। इसी तरह से चिटनीस बीते विधानसभा के आम चुनाव में मंत्री रहते हार चुकी हैं। गौरतलब है कि इस सीट पर तीन विधानसभा सीटों जोबट (अलीराजपुर जिला), पृथ्वीपुर (निवाड़ी जिला) और रैगांव (सतना जिला) पर भी उपचुनाव होना है। इसके बाद भी भाजपा और कांग्रेस का पूरा फोकस खंडवा लोकसभा सीट पर ही बना हुआ है। पार्टी के तीन दावेदारों के सामने आने के बाद मंत्री विजय शाह भी लोस उपचुनाव में पूर्व महापौर हर चुकीं अपनी पत्नी भावना शाह को टिकट दिलाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इस बीच पार्टी ने नए चेहरे के रूप में बुरहानपुर निवासी ज्ञानेश्वर पाटिल के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है। वे जिला पंचायत खंडवा के अध्यक्ष रह चुके हैं। यह बात अलग है कि इस सीट पर इन नामों के अलावा कई अन्य नेता भी दावेदारी करने में लगे हुए हैं। इनमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर, पूर्व कृषि मंडी अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के नाम भी शामिल हैं। दरअसल, यहां कांग्रेस से पूर्व सांसद अरुण यादव की उम्मीदवारी लगभग तय है। वे बेहद मजबूत माने जा रहे हैं। इसकी वजह से भाजपा के सामने इस सीट को अपने पास रखने की चुनौती बनी हुई है।
अरुण की पसंद का रखा जा रहा है पूरा ध्यान
जिस तरह से खंडवा लोकसभा क्षेत्र में संगठन की ओर से अरुण यादव की पसंद ना पसंद को ध्यान में रखकर नियुक्तियां की जा रही हैं उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस ने अरुण यादव को प्रत्याशी बनाने का तय कर लिया है। माना जा रहा है कि उनकी उम्मीदवारी की औपचारिक रूप से घोषणा होना ही रह गया है। इसके संकेत संगठन द्वारा की जा रही नियुक्तियों से साफतौर पर मिलने लगा है। इन नियुक्तियों में भी अरुण यादव की पसंद के अलावा जातीय समीकरणों को भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हाल ही में अरुण यादव के समर्थक असद उद्दीन को खंडवा लोकसभा के लिए सोशल मीडिया विभाग का प्रभारी बनाया गया है। इसके साथ ही जल्द ही यादव की पसंद को ध्यान में रखकर मंडलम और सेक्टर में कुछ पदाधिकारियों की भी नियुक्तियां करने की तैयारी की जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस सीट पर संगठन द्वारा कराए गए सर्वे में भी अरुण यादव का नाम सबसे मजबूत प्रत्याशी के तौर पर बताया गया है। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही संगठन ने यादव को उम्मीदवार बनाए जाने का मन बना लिया है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में अपनी दावेदारी पुख्ता करने के लिए अरुण यादव ने कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कई आला नेताओं से भी मुलाकात की थी। यादव खंडवा लोकसभा से तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ चके हैं। वर्ष 2009 में पहली बार इस सीट से वे चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बने थे। इसके बाद उन्होंने 2014 और 2019 में भी इस सीट से चुनाव लड़ा हैं , लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।