जाट व कुशवाहा समाज को दीं… शिवराज ने सौगातें ही सौगातें

  • गौरव चौहान
शिवराज सिंह चौहान

चुनावी साल होने की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समाजिक समीकरण साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, यही वजह है कि वे तमाम समाजों के होने वाले सम्मेलनों में न केवल पहुंच रहे हैं, बल्कि समाजों को तरह-तरह की सौगातें भी देने में पीछे नही रह रहे हैं। बीते रोज भी मुख्यमंत्री इसी तरह से दो समाजों के सम्मेलन में शामिल हुए और दोनों ही समाजों के लिए कल्याण बोर्ड गठित करने सहित कई अन्य मांगों को पूरा करने की घोषणा कर उनके द्वारा उन्हें सौगात देने का काम किया गया। बीते रोज जिन समाजों को सौगातें दी गई हैं, उनमें जाट व कुशवाहा समाज शामिल है। भोपाल में आयोजित जाट महाकुंभ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मंच साझा किया। मुख्यमंत्री ने यहां वीर तेजाजी बोर्ड और सागर में आयोजित कुशवाहा समाज के सम्मेलन कुशवाहा समाज कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा के साथ ही तेजाजी महाराज के निर्वाण दिवस तेजादशमी पर ऐच्छिक अवकाश और प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में जाट समाज के इतिहास शामिल करने की घोषणा भी की।
गौरतलब है कि इसके पहले एक माह के अंदर ही शिवराज सरकार तेलघानी बोर्ड, रजक कल्याण बोर्ड, स्वर्णकार कल्याण बोर्ड, विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड का गठन कर चुकी है। इन बोर्डों में चार-चार सदस्य भी बनाए जाएंगेे। दरअसल प्रदेश सरकार किसी भी वर्ग और जाति को नाराज नहीं करना चाहती। इस वजह से सभी को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। यह बात अलग है कि इसके पूर्व प्रदेश में  गठित तमाम कल्याण बोर्ड समाज का कितना भला कर सके हैं, सभी जानते हैं। दरअसल भाजपा 2018 जैसी कोई गलती नहीं दोहराना चाहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर समाज को साधने के प्रयास कर रहे हैं। 2018 में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी। वोट प्रतिशत बढऩे के बाद भी भाजपा कुछ सीट कम पडऩे से सरकार बनाने से चुक गई थी। इस बार शिवराज सरकार उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उप-जातियों और छोटे समाजों को भी साध रही है। कांग्रेस भी पीछे नहीं रहना चाहती। इसके पहले आंबेडकर जयंति पर ग्वालियर में आंबेडकर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि अनुसूचित जाति समाज की प्रमुख उप-जातियों के अलग-अलग कल्याण बोर्ड बनाएंगे, जैसे- कोरी कल्याण बोर्ड, जाटव कल्याण बोर्ड। इनके अध्यक्ष और सदस्य भी बनाएंगे। अध्यक्ष को मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। इनकी जिम्मेदारी समाज के बीच दौरा करना और समस्याओं को जानने का होगा।
कुशवाहा समाज कल्याण बोर्ड होगा गठित
सागर में मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशवाहा समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष को मंत्री का दर्जा मिलेगा। 10 करोड़ की लागत से लव कुश मंदिर और धर्मशाला के निर्माण का ऐलान भी उनके द्वारा किया गया। मंदिर और  धर्मशाला के लिए 5-5 करोड़ रूपये राज्य सरकार द्वारा देने की घोषणा करते हुए सीएम ने स्थल चयन के लिए कुशवाहा समाज को जिम्मेदारी सौपी। जो स्थान चयनित होगा, उसी स्थल पर एक छात्रावास भी बनेगा। मुख्यमंत्री ने रहली में उद्यानिकी महाविद्यालय खोलने की भी घोषणा की। इस दौरान सभा में सीएम से मिलने को आतुर एक महिला को जब पुलिस ने रोका तो उसने बेरिकेड के पास अपने बीमार बच्चे को फेंक दिया, जिससे वहां हडक़ंप मच गया। यह बात अलग है कि बच्चे को कोई चोट नहीं आयी। महिला बच्चे के इलाज को लेकर परेशान थी। बाद में सीएम ने उसे पास बुलाकर समस्या का हल कराते हुए भरोसा दिलाया कि उसका सरकार इलाज कराएगी।  सागर में कुशवाहा समाज के संभागीय सम्मेलन में 10 करोड़ रूपये की लागत से लव कुश मंदिर और धर्मशाला निर्माण की घोषणा की। साथ ही मुख्यमंत्री  श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में कुशवाहा समाज कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष को मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री  चौहान बीते रोज सागर में अखिल भारतीय कुशवाहा समाज के संभाग स्तरीय सम्मेलन एवं सम्मान समारोह शामिल हुए।
10 टिकटों पर  नहीं दिया भरोसा
जाट महाकुंभ समाज द्वारा विधानसभा चुनाव में सीएम से विधानसभा में 10 टिकट देने की मांग रखी गई। इस पर सीएम ने ने कहा, यह मेरे बस में नहीं, झूठ नहीं बोलूंगा। अभी हमारे दो विधायक कमल पटेल और नीना वर्मा बहुतों पर भारी हैं। यह पार्टी का मामला है। हम पार्टी में बात पहुंचाएंगे। जाट समाज के शैक्षणिक भवन के लिए भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में जमीन देने के लिए कमल पटेल को अधिकृत किया गया। उधर, इसी कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि ये वीरों का महाकुंभ है । हमारी संस्कृति हमें एक झंडे के नीचे रखती है। आपको इसे बचाना होगा। उन्होंने कहा कि मैंने आपकी मांगें सुनीं, घोषणाएं सुनीं। अब कमल नाथ तो घोषणा मशीन नहीं है। मैं घोषणा नहीं करता, क्रियान्वयन में विश्वास रखता हूं। आपके अगले सम्मेलन में आपको हिसाब दूंगा। घोषणा करना आसान है।

Related Articles