शिव की दूरदर्शिता : प्रदेश में निवेश बढ़ने से लाखों नौकरियों के अवसर

शिवराज सिंह चौहान

कोरोना काल में भी विकास को गति मिली है, निवेश के लिए लगातार कंपनियों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराए जा रहे हैं …
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदर्शिता ही कहेंगे कि प्रदेश में कोरोना काल में भी विकास को गति मिली है। इस दौरान 14 महीनों में ही निवेशकों ने ग्यारह प्रतिशत नई कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया है। वर्तमान में जहां कुल 55 हजार कंपनियां संचालित हो रही हैं। वहीं 6095 नई आई हैं। इन कंपनियों का पेड अप केपिटल ही करीब तीन सौ करोड़ रुपए है जो बैंकों में जमा हो चुका है। यह आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत है। यह न सिर्फ उद्योग-धंधों के लिए लाभप्रद साबित होगा बल्कि इनसे नए रोजगार भी सृजित होंगे। राज्य का औद्योगिक नीति एवं निवेश विभाग इसके लिए तैयारियों में जुटा है। विकास पर कोरोना का असर नहीं दिखा। कंपनियां लगातार इंक्वायरी कर रही है और जगह मांग रही हैं। राजधानी भोपाल के साथ ही अन्य बड़े शहरों इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा व सागर सहित आठ  क्षेत्रों में निवेश के अवसर बढ़े हैं। इनमें मैन्युफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, फार्मास्यूटिकल, रियल एस्टेट, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, लॉजिस्टिक के साथ ही सर्विस सेक्टर जैसे होटल, फाइनेंस, मार्केटिंग, एफएमसीजी, मानव संसाधन विकास आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कोरोना के बाद जहां पूरा देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है वहीं पिछले महीने यानी मई 2020 में ही करीब तीस लाख लोगों का रोजगार छूट गया।
उद्योगों में पूरी क्षमता से काम शुरू
कोरोना की दूसरी लहर के नियंत्रण में आने के बाद उद्योग जगत में एक बार फिर उत्पादन पूरी क्षमता से शुरू हो गया है। कोरोना के दौरान जहां 20 से 25 फीसदी तक उत्पादन सिमट गया था अब वापस से 80 से 85 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहीं मांग बढ़ने के साथ ही अधिकतर उद्योगों ने पूरी क्षमता से काम शुरू कर दिया है। फूड प्रोसेसिंग, प्लास्टिक, फार्मा सेक्टर के अलावा टेक्सटाइल, आॅटोमोबाइल, मेटल और मशीनरी सेक्टर से भी अच्छी डिमांड देखने को मिल रही है। लॉकडाउन खुल जाने के बाद गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से कच्चे माल की आपूर्ति भी सुधरी है। मंडीदीप, पीथमपुर के साथ ही गोविंदपुरा व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी कुछ सेक्टरों में 90 से 100 प्रतिशत तक उत्पादन हो रहा है। हालांकि औसत उत्पादन 80 प्रतिशत के आसपास है। उल्लेखनीय है कि गोविंदपुरा में 1100 से ज्यादा उद्योग है। वहीं पीथमपुर में 1250 उद्योग हैं। पीथमपुर में जहां एक लाख मजदूर काम करते हुए गोविंदपुरा में पैंतीस हजार और मंडीदीप में पचास हजार से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार से जुड़े है। खास बात यह है कि उद्योगों में पूरी क्षमता से काम चालू हो जाने से श्रमिकों के साथ ही अन्य जुड़े हुए क्षेत्रों में लोगों को भी रोजगार मिला है।
निवेश को प्रोत्साहित करने की रणनीति के साथ बढ़े आगे
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार राज्य में तेजी से आर्थिक विकास की जरूरत को पहचानती है। यही वजह है कि निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष सुविधा और रियायतें भी दी हैं। खास बात है कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश की सुविधा के लिए 231 अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र, 19 विकास केंद्र, चार अधिसूचित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और 12 उत्पाद विशिष्ट औद्योगिक पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। देश के केंद्र में स्थित होने की वजह से मप्र सभी प्रमुख बाजारों, शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी है। यही नहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा निवेशकों के लिए अनुकूल नीतियां बनाई है और एकल खिड़की सुविधा के साथ ही अन्य रियायतें भी दी जा रही हैं। उद्योग विभाग के अनुसार प्रदेश भर में विभिन्न स्थानों पर औद्योगिक उपयोग के लिए 16,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि उपलब्ध है।
कई शहरों में बन रहे इंडस्ट्रियल पार्क
प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर  इंडस्ट्रियल पार्क्स की स्थापना की जा रही है। इसके लिए कार्य प्रारंभ हो चुके हैं। इनमें इंदौर के पास पीथमपुर में एपेरल पार्क, जेम एंड ज्वेवलरी पार्क, साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क एवं हर्बल पार्क, भोपाल में लाइफ साइंसेस इंस्टीट्यूट जबलपुर और कटनी में एपेरल पार्क और स्टोन पार्क, रीवा और सतना में हर्बल पार्क, टीकमगढ़, सागर और छतरपुर में ग्रेनाईट पार्क स्थापित किए जा रहे हैं।
25 लाख से ज्यादा युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर
प्रदेश में लॉकडाउन के बाद भी औद्योगिक निवेश को लेकर गतिविधियां तेज हुई है। कंपनियां लगातार पूछताछ कर रही हैं और जगह मांग रहीं हैं। सूत्रों  की माने तो अगले तीन सालों में यहां कुशल और अकुशल रोजगार के क्षेत्र में करीब 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के मौके मिलेंगे। हालांकि इन लाखों लोगों के बावजूद भी प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर बेरोजगारों की संख्या कम नहीं होगी क्योंकि प्रदेश में कुशल युवाओं की कमी है जबकि बेरोजगारों में से 50 प्रतिशत से भी अधिक अकुशल है। प्रदेश के रोजगार डैशबोर्ड पर कुशल युवाओं की संख्या 5 लाख 38 हजार है। इसमें से करीब तीन लाख युवा ही मात्र 10वीं और 12वीं पास है जबकि डिप्लोमा वाले छात्र चालीस हजार के आसपास हैं। वही तकनीकी रूप से ट्रेंड युवाओं की संख्या बहुत ही कम है। पिछले चार साल के आंकड़े देखें तो इस दौरान ही 29 लाख बेरोजगार दर्ज हुए हैं। इसमें भी 55 से 60 प्रतिशत युवा ऐसे हैं जो पढ़े लिखे तो है लेकिन इनके पास कोई हुनर नहीं है। ऐसे में इन्हें रोजगार से लगाना बड़ी चुनौती है। क्योंकि जो भी कंपनियां आती हैं। उन्हें ट्रेंड स्टाफ की जरूरत होती है।

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