भ्रष्टों पर शिव की वक्रदृष्टि, सुकलीकर व पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी भी आएंगे घेरे में

जल संसाधन विभाग

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। जल संसाधन विभाग में 3,333 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले की जांच अब ईओडब्ल्यू ने तेज कर दी है। इस मामले में हाल ही में नोटिस जारी कर विभाग के मुख्य अभियंता राजीव सुकलीकर को नोटिस जारी कर बयानों के लिए बुलाया गया  है। माना जा रहा है कि उनके बयान दर्ज होने के बाद कभी भी इस मामले में ईओडब्ल्यू एफआईआर दर्ज कर सकती है। इससे सुकलीकर और विभाग के तत्कालीन मुखिया एम गोपाल रेड्डी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दरअसल अब तक की गई पड़ताल में खुलासा हुआ है कि अफसरों ने मनमाने तरीके से कैबिनेट की बैठक में तय शर्तों को बदलकर निजी कंपनियों को 850 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया था। यह भुगतान तब किया गया था, जब विभाग के मुखिया एम गोपाल रेड्डी थे। दरअसल जांच में ईओडब्ल्यू को वह नोटशीट मिल गई है, जिसमें ईएनसी ने लिखा था कि शासन के निर्देशों के आधार पर अग्रिम भुगतान की अनुमति दी जाती है। इसके बाद ही सुकलीकर को बयान देने के लिए बुलाया गया है। इसमें ईएनसी राजीव सुकलीकर से पूछा जाएगा कि शासन मतलब किसके निर्देशों के आधार पर उन्होंने भुगतान की अनुमति दी थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू प्राथमिकी जांच पहले ही दर्ज कर चुकी है।
क्या है मामला
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर ईओडब्ल्यू इस मामले की जांच कर रही है। दरअसल अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच सात सिंचाई प्रोजेक्ट के टर्नकी के आधार पर बांध और हाईप्रेशर पाइप नहर के निर्माण के लिए विभाग ने 3333 करोड़ के टेंडर को मंजूरी दी थी। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने कांग्रेस सरकार में हुए टेंडर की जांच करवाई थी। कैबिनेट की बैठक में तय हुआ था कि काम होने के बाद ही भुगतान किया जाएगा। लेकिन नियमों को शिथिल करते हुए सुकलीकर ने अग्रिम भुगतान कंपनियों को कर दिया था। यह मामला जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास  आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर्स और अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए मंजूरी दी थी, जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद प्राथमिक जांच दर्ज की थी। टर्नकी के आधार पर मंजूर टेंडर्स मुख्य रूप से बांध निर्माण और जलाशय से पानी की आपूर्ति के काम के लिए थे। इसके लिए निर्धारित प्रेशर पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के साथ-साथ नियंत्रण उपकरण लगाकर पानी सप्लाई की जाना थी। उसी दौरान मुख्य अभियंता गंगा कहार रीवा ने सरकार के संज्ञान में लाया था कि गोंड मेगा प्रोजेक्ट के लिए शासन के 27 मई 2019 के आदेश में पेमेंट शेड्यूल की कंडिका 3 को शिथिल कर एडवांस भुगतान कर दिया गया।  इसके बाद शासन ने इसकी छानबीन की तो पता चला शासन ने भुगतान के संबंध में ऐसी कोई छूट नहीं दी थी।
एम गोपाल रेड्डी के समय हुआ था भुगतान…
इस एडवांस भुगतान के प्रकरण में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। विभाग के प्रमुख सचिव बनाए गए एस एन मिश्रा ने इस गड़बड़ी की जानकारी  वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को इसकी जानकारी दी थी। जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास यह मामला आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर्स और अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए मंजूरी दी थी।
इस तरह से नियमों को किया दरकिनार
मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग ने प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता से फाइल बुलवायी थी। यह तथ्य भी सामने आए कि शासन की इजाजत के बिना इस शर्त को खत्म कर चीफ इंजीनियर ने अपने स्तर पर अधीनस्थ अफसरों को पत्र जारी कर दिया था।  जबकि शासन और कंपनियों के बीच कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद किसी भी शर्त को हटाया और जोड़ा नहीं जा सकता है।

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