शिव को मिला साथ, नाथ को नहीं मिला हाथ

शिव-नाथ
  • वाकई गेम चेंजर बनी लाड़ली बहना योजना

     बिच्छू डॉट कॉम/भोपाल। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में मतगणना जारी है। अब तक के रुझानों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। उधर, तेलंगाना में कांग्रेस भारी बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है। यह बात अलग है कि समाचार लिखे जाने तक प्रदेश के कई दिग्गज नेता पीछे चल रहे हैं। इनमें केन्द्रीय मंत्री  से लेकर प्रदेश के कद्दावर मंत्री तक शामिल हैं। इस तरह से मप्र में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनना तय हो गई है। इस बीच मप्र में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है।  
    मामा शिवराज सिंह चौहान ने अपने विरोधियों को करारा उत्तर देते हुए पार्टी को दो तिहाई सीटों पर जीत दिलाकर उत्तर दिया है। अब तक जो रुझान सामने आए हैं , उसके मुताबिक  प्रदेश  के सभी  अंचलों में इस बार भाजपा ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया है। इनमें से पांच अंचल में तो भाजपा को भारी बढ़त मिली है, जबकि महाकौशल में जरूर कांटे की टक्कर बनी हुई है। अगर अंचल के हिसाब से देखें तो ग्वालियर -चंबल में भाजपा 20 पर तो कांग्रेस 13 पर , बुंदेलखंड में भी भाजपा 20 और कांग्रेस छह पर , विंध्य में भाजपा ने एक बार फिर 24 पर और कांग्रेस महज छह सीटों पर ही आगे चल रही है। बीते आम चुनाव में भी यही परिणाम रहे थे। अगर मालवा निमाड़ की बात की जाए तो भाजपा ने बंपर बढ़त बनाते हुए 48 पर तो कांग्रेस ने 17 पर, मध्य भारत के अंचल में भाजपा ने 27 पर तो कांग्रेस ने 9 और महाकौशल में भाजपा 18 पर और कांग्रेस 20 सीटों पर आगे चल रही है। अहम बात यह है कि इस बार भी बीते चुनाव की ही तरह शिवराज सरकार के कुछ कद्दावर मंत्री इस बार भी हारते हुए नजर आ रहे हैं।  
    मोदी के मन में एमपी है: शिवराज
    भाजपा को प्रदेश में मिली शानदार बढ़त पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा में कहा है कि मोदी के मन में मप्र है। यही वजह है कि जनता का साथ भी मोदी के साथ है। हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। चुनाव में जिस तरह से प्रधानमंत्री जी ने सभाएं ली हैं, गृहमंत्री अमित शाह ने रणनीति बनाई,  पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का मार्गदर्शन और संगठन का अथक परिश्रम रहा है। उसका ही परिणाम है कि प्रदेश में भाजपा बेहद शानदार प्रदर्शन करने जा रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना से लेकर लाड़ली बहना तक की योजनाओं के सफर और केंद्र की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन ने प्रदेश की जनता का एक परिवार बना दिया है।  
    शिव का जादू  
    इन फैक्टर्स के अलावा मध्य प्रदेश में 16 साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज वोटर्स के सामने खुद भी ब्रांड बन गए। इस पीरियड में एमपी बीमारू राज्यों की कैटेगरी से बाहर निकला है। कई शहरों का कायाकल्प हुआ है। लोगों ने काम करने के इस तरीके को पसंद किया, उन्हें ब्रांड शिवराज पर भरोसा नजर आया, इसलिए लोगों ने शिवराज को वोट दिया।
    सीएम के चेहरे को लेकर कयास
    मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के रुझानों से अब यह बिलकुल स्पष्ट हो गया है कि मध्य प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। इस सबसे बीच यह सवाल अहम बन गया है कि क्या चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाल चुके शिवराज सिंह चौहान ही फिर सीएम पद की कुर्सी पर काबिज होंगे। हालांकि मप्र में भाजपा के सामने अब मुख्यमंत्री की कुर्सी बनी बड़ी चुनौती बन गई है। इस बार भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपने राष्ट्रीय महासचिव को चुनावी मैदान में उतारा था । जाहिर है सीएम का पद अब कौन संभालेगा ,यह दिलचस्प सवाल बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान प्रबल दावेदार हैं, लेकिन तीन केंद्रीय मंंत्रियों प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और फग्गन सिंह कुलस्ते के मप्र के चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही मुख्यमंत्री का चेहरा कौन को लेकर चर्चाओं का दौर आरंभ हो गया था। जाहिर है ये तीन नेता भी सीएम पद के दावेदारों में शुमार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही दस साल बाद मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में उतरे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी प्रमुखता से सामने आ रहा है। यही स्थिति केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया को लेकर भी है।
    हिन्दुत्व का सिक्का और बुलडोजर का फैक्टर
    मध्य प्रदेश में हिंदुत्व की जड़ें काफी गहरी हैं। यही वजह है कि कथित सेकुलर कांग्रेस को भी एमपी में सॉफ्ट हिन्दुत्व के सहारे चलना पड़ा। लेकिन मतदाताओं को जब चुनने की जरूरत हुई तो , उन्होंने बीजेपी के ब्रांड वाले हिन्दुत्व को चुना।   शिवराज राज्य में मंदिरों की तस्वीर बदल कर उन्हें आध्यात्मिकता के साथ साथ आधुनिकता का कलेवर देने में लगे हैं। केंद्र की बीजेपी भी इसी नीति पर चल रही है। उज्जैन कॉरिडोर इसी का उदाहरण है। इसके अलावा शिवराज ने राज्य के चार मंदिरों- सलकनपुर में देवीलोक, ओरछा में रामलोक, सागर में रविदास स्मार्क और चित्रकूट में दिव्य वनवासी लोक के विस्तार और स्थापना के लिए 358 करोड़ रुपये का बजट दिया है।
    मोदी मैजिक के साथ लाड़ली बहनाओं ने किया कमाल
    अब तक के रुझानों के अनुसार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाती नजर आ रही है। इस चुनाव में भाजपा द्वारा टिकट वितरण, योजनाओं और रैली और रोड शो भाजपा की जीत में अहम फैक्टर साबित हुए हैं। मध्य प्रदेश का यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा गया, ऐसे में अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के बजाय पीएम मोदी का फेस आगे रखा गया। और एमपी के मन में बसे मोदी और मोदी के मन में एमपी चुनावी गीत के साथ भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास हुआ। विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाड़ली बहन योजना, इस योजना के तहत महिलाओं को हर माह तारीख पर मिलने वाली राशि ने महिलाओं के वोट को भाजपा के पक्ष में करने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा सरकार द्वारा इस योजना का धुआंधार प्रचार भी किया गया।  जिसने महिलाओं के बीच भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया खास तौर पर ग्रामीण महिला क्षेत्र में भी लाड़ली बहन योजना का असर देखा गया। पिछले चुनाव से सबक लेते हुए इस बार कई सीटों पर दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतरा गया। जहां इंदौर के क्षेत्र क्रमांक एक में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिया गया तो इसके साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे केंद्रीय मंत्रियों को भी चुनावी मैदान में उतर गया। इसके साथ ही गणेश सिंह, राकेश सिंह और रीति पाठक जैसे सांसदों को भी विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया था। इसकी वजह सेे भी पार्टी के पक्ष में तमाम अंचलों में माहौल बना।
    मध्य प्रदेश में 161 सीटों पर भाजपा आगे  
    मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 230 सीटों के लिए मतगणना में 162 से ज्यादा सीटों पर भाजपा लगातार बढ़त बनाए हुए है। वहीं कांग्रेस 65 से ज्यादा सीटों पर आगे है। विधानसभा चुनाव में सबकी निगाहें अब बड़े प्रत्याशियों प्रहलाद सिंह पटेल, शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ, नरेंद्र सिंह तोमर, रीति पाठक, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा के रिजल्ट पर है। उधर, जीत का जश्न भाजपा कार्यालय में शुरू हो गया है। प्रदेश कार्यालय में जिला बीजेपी कार्यालय पर कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों, आतिशबाजी और मिठाईयों संग पहुंच चुके हैं।
    कालापीपल में भाजपा ने दर्ज की पहली जीत
    मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का पहला नतीजा आ गया है। भाजपा ने कालापीपल विधानसभा में जीत दर्ज की है। कांग्रेस के कुणाल चौधरी भाजपा प्रत्याशी से हार गए हैं। इसी तरह से भोपाल की हुजूर विधानसभा से रामेश्वर शर्मा 26755 मतों से आगे हैं। नरसिंहपुर से प्रहलाद पटेल 8008 वोट से आगे चल रहे हैं। 9 राउंड की समाप्ति पर भोपाल उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी आतिफ अकील 19,000 वोटों से आगे हैं। सात राउंड के बाद भाजपा के गोपाल भार्गव कांग्रेस की प्रत्याशी ज्योति पटेल से 27413 वोट से आगे हैं। सागर के नरयावली से भाजपा के प्रदीप लारिया कांग्रेस के सुरेंद्र चौधरी से 2776 वोट से 5 राउंड में आगे हैं। दमोह जिले की चारों विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशियों ने लीड बना रखी है। अभी तक चार राउंड खत्म हो चुके हैं, जिसमें जयंत मलैया करीब 9000 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन से आगे चल रहे हैं। वहीं, पथरिया में भाजपा प्रत्याशी लखन पटेल 4000 वोटों से आगे चल रहे हैं। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राव बृजेंद्र सिंह पीछे हैं। हटा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी उमा देवी खटीक ने भी 3 हजार से अधिक मतों से आगे हैं।
    भाजपा का ऐसा रहा बीते चार चुनाव में प्रदर्शन
    अगर मप्र में के बीते चार चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली है। इनमें से सर्वाधिक सीटें भाजपा ने 2003 में जीती थीं, तब भाजपा को 173 सीट मिली  थीं। इसके बाद 2008 में भाजपा को 165 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद उसकी सीटों में कमी आती गई और 2018 में महज 109 सीटों पर ही जीत सिमट गई थी। अब जाकर एक बार फिर से यह आंकड़ा बढक़र करीब डेढ़ सौ सीटों से आगे आ गया है। 

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