शिव सरकार का जैविक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने पर जोर

शिव सरकार

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार रासायनिक उर्वरकों से जमीन को मुक्त करने की दिशा में काम कर रही है। दरअसल रासायनिक उर्वरकों से जमीन की सेहत तो खराब हो ही रही है, साथ ही जमीन भी बंजर होती जा रही है। वहीं जैविक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। यही वजह है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने जा रही है। यही नहीं शिवराज सरकार राज्य सहकारी जैविक उर्वरक निर्माता संघ बनाने की कवायद में जुटी है। खास बात है कि यह जिला और राज्य स्तर पर बनेंगे। दोनों स्तरों पर खेती में रासायनिक उर्वरक का उपयोग न्यूनतम और जैविक खेती को बढ़ावा देने पर काम किया जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कृषि लागत मूल्य जरूर कम होगा परंतु यह लाभ तभी होगा जब किसान गाय पालें और स्वयं खेत पर ही खाद और जैविक कीटनाशक बनाएं।
योजना के अंतर्गत किसानों से गोबर और गोमूत्र लिया जाएगा और खाद बनाकर उन्हें दी जाएगी। बड़ी बात यह है कि किसान जो नवाचार करेंगे, उनका पेटेंट कराया जाएगा और व्यवसायिक उपयोग के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के सहकारिता विभाग ने राज्य स्तरीय सात महासंघ बनाने का प्रारूप तैयार किया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए क्षेत्रों में कदम रखने की कार्यशाला बनाने के निर्देश दिए थे विभाग ने इसकी तैयारी की है इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में  नए सहकारिता मंत्रालय का गठन कर क्षेत्र को और बढ़ावा देने का स्पष्ट संदेश दिया है।
बनाया जाएगा जैविक उर्वरक निर्माता संघ
विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में सहकारिता के विस्तार के नए क्षेत्र तलाशे गए हैं। इसमें जैविक उर्वरक निर्माता संघ का गठन करना अहम है। बता दें कि देश में जो प्रामाणिक जैविक उत्पाद होता है, उसमें सर्वाधिक 40% हिस्सा मध्यप्रदेश का है। यही नहीं यह किसानों की आय बढ़ाने का जरिया भी है। वहीं रासायनिक खाद से भूमि को नुकसान हो रहा है और खेती की लागत भी बढ़ रही है। इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक जिले में जैविक उर्वरक निर्माता संघ बनाया जाएगा।
सहकारी समितियों की भूमिका
सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद सिंह भदौरिया के मुताबिक सहकारिता के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में कार्ययोजना बनाकर काम किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक कृषि से जुड़े आयामों पर किसान जो नवाचार करते हैं, उन्हें उचित प्लेटफार्म दिलाया जाएगा। खास बात है कि नई योजना में नवाचारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही उनका पेटेंट भी कराया जाएगा। यही नहीं प्रदेश में अब सहकारी समितियां भी खनन का काम करेंगी। इसके अलावा उद्यानिकी, श्रमिक, ग्रामीण औद्योगीकरण, ग्रामीण परिवहन सेवा प्रदाता संघ का गठन भी किया जाएगा।
खाद तैयार कर किसानों को दी जाएगी
उल्लेखनीय है कि योजना के अंतर्गत जो प्रारूप तैयार किया जा रहा है उसके तहत जैविक उर्वरक निर्माता की राज्य स्तर पर महासंघ के तहत समितियां गठित की जाएंगी। यह किसानों से गोमूत्र और गोबर एकत्र करेंगी। इसके बदले में किसानों को कुछ राशि भी दी जाएगी। इनसे खाद तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।

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