
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। काशी से मोदी मंत्र लेकर लौटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब पूरी तरह से एक शिक्षक के तौर पर नजर आना शुरू हो गए हैं। भोपाल लौटते ही जिस तरह से उनके द्वारा पहले आला अफसरों व अपने कबीना मंत्रियों के साथ बैठक की गई और अब राज्य नीति एवं योजना आयोग की बैठक ली उससे साफ है कि अब शिव पूरी तरह से लोगों को योजनाओं का लाभ त्वरित पहुंचने में लापरवाही बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।
यही वजह है कि अब वे पहले से अधिक सख्त दिखना शुरू हो गए हैं। उन्होंने बैठक में अफसरों से साफ कर दिया है कि प्रदेशवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए राज्य नीति आयोग कम समय में पूरी होने वाली योजनाएं बनाएं, नीतियां निर्धारित करे, उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कर जल्द से जल्द परिणाम सामने लाएं। इस उद्देश्य से सर्वोच्च प्राथमिकता के कुछ कार्यक्रम एवं योजनाएं तय कर उनके लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। कार्यों का प्रभाव आगामी दो वर्ष में परिलक्षित होना चाहिए, मुझे परिणाम चाहिए। नीति एवं योजना आयोग की इस बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी, वित्त एवं योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की प्राप्ति के लिए विभागों की कार्य-योजना, रणनीति एवं समय-सीमा को स्पष्ट होना चाहिए। प्रदेश में आईएमआर, एमएमआर, माल न्यूट्रिशन, स्टंटिंग के साथ सहकारिता आंदोलन, जल प्रबंधन, फसल विविधीकरण, महिला नीति, सतत पर्यटन और मत्स्य निर्यात की दिशा में प्रभावी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सकारात्मक परिणाम मिलने पर पूरा फोकस होना चाहिए।
गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर से लेकर जन-प्रतिनिधि, दीनदयाल अंत्योदय समिति, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तक की जिम्मेदारी और समय-सीमा तय की जाए तथा मासिक आधार पर इनकी समीक्षा हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक आकांक्षी विकासखंड की जिम्मेदारी एक-एक अधिकारी को सौंपी जाए। इससे तय लक्ष्य की समय-सीमा में प्राप्ति में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने में मध्यप्रदेश अधिक से अधिक योगदान कैसे दे सकता है, इस पर भी राज्य नीति आयोग को फोकस करना होगा। यह निर्धारित करना होगा कि हम देश की फाइव ट्रिलियन इकॉनामी और सौर ऊर्जा में राष्ट्रीय स्तर पर कितना योगदान कर सकते हैं। सोच और कार्य के इस तरीके से ही डबल इंजन की सरकार प्रभावी रूप से कार्य कर सकेगी। मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग को जन-साधारण से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि जन-धन का दुरूपयोग न हो। नीति निर्माण में हितग्राहियों के फीडबेक, कार्यक्रमों और योजनाओं से जुड़े सभी समूहों से परामर्श लिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विभिन्न गतिविधियों की प्रतिमाह समीक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस पर भी दे चुके जोर
मुख्यमंत्री ने बुधवार की बैठक में विकास के लिए रोडमेप बनाकर लक्ष्य निर्धारित कर समय-सीमा में पूरा करने और पीएम गति शक्ति प्रोजेक्ट पर तेज गति से कार्य करने को कहा था। उनका कहना था कि बेहतर समन्वय एवं इन्फ्रा-स्ट्रक्चर के क्षेत्र में केन्द्र सरकार के साथ साझा विजन से काम किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ कार्डधारियों को दिलाए जाने के लिए प्रभावी ढंग से काम किया जाए। इसी तरह से उनके द्वारा कौशल विकास के क्षेत्र में जरूरत के हिसाब से और तेजी से काम करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने रोड कनेक्टिविटी, पीने का पानी, उज्जवला गैस कनेक्शन, बिजली, आयुष्मान कार्ड तथा रोजगार के प्रयासों पर पूरा फोकस करने के निर्देश देते हुए कहा था कि आत्मनिर्भर परिवार बनाने की क्रांति के प्रयास किए जाएं। वे पीएम स्वनिधि योजना पर भी फोकस करने के लिए कह चुके हैं।
इन पर दिया जोर
प्रदेश में आईएमआर, एमएमआर, मॉल न्यूट्रिशन, स्टंटिंग के साथ सहकारिता आंदोलन, जल प्रबंधन, फसल विविधीकरण, महिला नीति, सतत पर्यटन और मत्स्य निर्यात की दिशा में प्रभावी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सकारात्मक परिणाम दिखाई दे सकते हैं। इसलिए इन पर विशेष ध्यान दिया जाए। सीएम ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक आकांक्षी विकासखंड की जिम्मेदारी एक-एक अधिकारी को सौंपी जाए। इससे तय लक्ष्य समय पर पूरे होंगे।