कान्हा की जगह अब पचमढ़ी में होगा शिव सरकार का चुनावी मंथन

शिव सरकार

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। संगठन के बाद अब शिवराज सरकार भी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है। यही वजह है कि चुनावी साल के एक वर्ष पहले ही सरकार द्वारा चुनावी मंथन करने का फैसला लिया जा चुका है। यह मंथन इसी माह के अंतिम सप्ताह में यानि की 26 और 27 मार्च को अब वन्य जीवों के सुरक्षित आश्रय स्थल कान्हा की जगह सुरम्य पहाड़ियों के बीच स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी पचमढ़ी में किया जाना तय किया गया है।
इस संबंध में मंत्रियों को भेजे संदेश में कहा गया है कि इन दोनों दिनों में पचमढ़ी में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कर लें। गौरतलब है कि विधानसभा का बजट सत्र 25 मार्च को समाप्त हो रहा है। इसी दिन देर रात या 26 को सुबह मंत्रियों को पचमढ़ी पहुंचने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि स्थान परिवर्तन की बढ़ी वजह मौसम में आया बदलाव है। दरअसल पचमढ़ी प्रदेश का सबसे ठंडा इलाका माना जाता है। इसकी वजह से गर्मी के मौसम के अनुकूल पचमढ़ी का अब चयन किया गया है। इस मंथन से निकलने वाले अमृत को सरकार द्वारा अमजन को चखाने का काम किया जाएगा। इस दौरान शिवराज सरकार अपनी फ्लैगशिप योजनाओं को और किस तरह से बेहतर बना सकती है इस पर भी विचार विमर्श करेगी। इस बैठक के पहले सरकारी की प्राथमिकता वाली सभी योजनाओं के लिए मंत्रियों की एक दर्जन समितियों का भी गठन किया जा चुका है। इन समितियों को संबंधित योजनाओं की समीक्षा कर उनके बेहतर क्रियान्वयन के लिए बैठक से एक दिन पहले तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही दो दिवसीय बैठक में चिंतन मनन किया जाएगा। इस मामले में मुख्यमंत्री द्वारा तीन मार्च को कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों के साथ अपने आवास पर अलग से बैठक भी की थी।  इसमें प्रदेश के विकास के लिए तय किए गए रोडमैप और दो दिवसीय चिंतन बैठक को लेकर भी चर्चा की गई थी। इस चिंतन बैठक में उन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन पर विस्तार से बात होगी, जो सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं। अब जिस वर्ग के लिए योजना का संचालन हो रहा है, उसे क्या लाभ मिला और कहीं सुधार की संभावना है, इस पर काम किया जाएगा। समिति के प्रतिवेदन पर विचार करके जो निर्णय लिए जाएंगे, वे नए वित्तीय वर्ष एक अप्रैल 2022 से प्रभावी होंगे। इस चिंतन बैठक के लिए एजेंडा तय करने के लिए भी समिति बनाई गई है। इसमें डॉ. नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और विश्वास सारंग को रखा गया है। चिंतन बैठक का एजेंडा मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और विश्वास सारंग/की समिति तय कर रही है। सीएम ने कर्मचारियों से संवाद के लिए सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की समिति बनाई है। मंत्री कर्मचारी संगठनों से चर्चा करके उनकी समस्याओं को जानेंगे और चिंतन बैठक में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।
विधायकों व हितग्राहियों से लिया जाएगा फीडबैक
मंत्रियों की समिति प्रदेश सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विधायकों और हितग्राहियों से फीडबैक लेगी। इसके आधार पर तय होगा कि योजना में किसी तरह के संशोधन की जरूरत है या नहीं। मुख्यमंत्री ने बैठक में सभी मंत्रियों को  योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के निर्देश भी दिए। जल्द ही हितग्राहियों के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। बता दें कि मुख्यमंत्री ने इससे पहले पांच जनवरी 2021 को कोलार गेस्ट हाउस परिसर और 14 जून 2021 को इछावर स्थिति निजी रिसोर्ट में बैठक की थी।
फ्लैगशिप योजनाओं पर होगी चर्चा
सीएम शिवराज ने अपनी फ्लैगशिप योजनाओं के और बेहतर क्रियान्वयवन के लिए मंत्रियों की एक दर्जन  समितियां गठित की हैं। इन समितियों को पचमढ़ी की बैठक से पहले 25 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देना है। बैठक में सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं के क्रियान्वयन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इन योजनाओं में सुधार की संभावना होगी, तो इस पर काम किया जाएगा। समिति के प्रतिवेदन पर विचार करके जो निर्णय लिए जाएंगे। वे नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होंगे। इन योजनाओं में इनमें मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, तीर्थ दर्शन योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, राशन वितरण , गोवर्धन योजना ,  प्रधानमंत्री शहरी एवं ग्रामीण आवास योजना, जल जीवन मिशन , स्वास्थ्य सेवाओं की योजना शामिल है।
हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार  
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस चिंतन शिविर के बाद मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी तय माना जा रहा है। फिलहाल महिला-बाल विकास, पीएचई, जनसम्पर्क जैसे विभाग सीएम के पास हैं। सीएम अपने मंत्रिमंडल में तीन नए चेहरों को  शामिल कर इन विभागों को नए मंत्रियों को दे सकते हैं। दरअसल कई मंत्री ऐसे हैं जो अपने विभागों में अच्छा काम न हीं कर पा रहे हैं। इस मामले में संगठन से लेकर मुख्यमंत्री तक उनके कामकाज से खुश नहीं बताए जाते हैं।  

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