प्रदेश के एक दर्जन जिलों में ‘नगर वन’ तैयार कराएगी शिव सरकार

 शिव सरकार
  • दूसरे चरण के तहत बच्चों के लिए मनोरंजन के साधन जैसे झूले आदि की भी व्यवस्था करने की योजना है

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    मध्यप्रदेश की शिव सरकार ने शहरों में हरियाली बढ़ाने के साथ ही पर्यावरणीय सुधार के लिए एक दर्जन बड़े शहरों में नगर वन विकसित करने की योजना तैयार की है। यह वन ऐसी जमीन पर तैयार कराए जाएंगे, जिसे अतिक्रमण से मुक्त कराया होगा और उस जमीन को लेकर राजस्व व वन विभाग के बीच विवाद की स्थिति है।
    इससे विवाद की स्थिति समाप्त होकर हरियाली में वृद्धि हो सकेगी। इसमें चारों महानगरों के अलावा उन शहरों को शामिल किया गया है, जिन्हें वायु प्रदूषण के मामले में खतरनाक माना जाता है। दरअसल प्रदेश की शिव सरकार इस योजना को केन्द्र सरकार की विशेष योजना के तहत क्रियान्वित करने जा रही है। इसके लिए इन शहरों के प्रस्ताव तैयार करने का काम जारी है। खास बात यह है कि भोपाल व ग्वालियर के प्रस्तावों को तो मंजूरी भी दी जा चुकी है। इसके तहत भोपाल के चंदनपुरा इलाके का चयन किया गया है। यहां पर 50 हेक्टेयर जमीन पर यह वन विकसित करने की योजना है। यह बात अलग है कि यह इलाका बाघ के भ्रमण वाला इलाका है, जिसकी वजह से एनजीटी ने इस इलाके को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अमल न होने पर पहले ही एनजीटी द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। दरअसल इस मामले में निर्देश मिलने के बाद भी अफसरों ने चंदनपुरा की जमीन का चयन कर मामले को उलझा दिया है। इसी तरह से ग्वालियर में 30 हेक्टेयर जमीन पर नगर वन विकसित करने के लिए जमीन का इंतजाम कर लिया गया है।
    हर ‘नगर वन’ के लिए केन्द्र देगा 2 करोड़ 16 लाख रुपए
    प्रदेश में तैयार होने वाले हर नगर वन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2 करोड़ 16 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जबकि प्रदेश सरकार के वन महकमे ने इस पर 3 करोड़ 6 लाख रुपए खर्च का अनुमानित प्रस्ताव बनाया है। इसकी वजह से अब अंतर की राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी। यह वन विकसित करने का काम वन विभाग द्वारा किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग को जमीन प्रदान की जाएगी। प्रदेश के जिन शहरों में यह वन विकसित किए जाने हैं उनमें भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर , देवास, सिंगरौली ,सतना, उज्जैन, कटनी, खंडवा, रतलाम, सागर , रीवा और मुरैना शामिल हैं। इसमें विशेष बात यह है कि इनमें शामिल रीवा और मुरैना में प्रदेश सरकार अब तक पर्याप्त जमीन का इंतजाम नहीं कर पाई , जिससे उसके प्रस्ताव केन्द्र में लंबित पड़े हुए हैं।
    यह होंगी सुविधाएं
    खास बात यह है कि इन नगर वनों में योग-ध्यान की जगह भी विकसित की जाएगी। इसके अलावा इस जंगल में छोटे -छोटे तालाब बनाकर प्राकृतिक रमणीक स्थल का आभास कराया जाएगा। यही नहीं इन वन के विकसित होने के बाद उनमें दूसरे चरण के तहत बच्चों के लिए मनोरंजन के साधन जैसे झूले आदि की भी व्यवस्था करने की योजना है।
    चंदनपुरा में विकसित करने पर सवाल
    राजधानी से दूर होने के साथ ही बाघ प्रभावित इलाका और पूर्व से जंगली इलाका होने की वजह से चंदनपुरा का चयन किया जाने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल चंदन पुरा की दूरी को देखते हुए आम आदमी का वहां जाना संभव नहीं है। यही नहीं माना जा रहा है कि इस इलाके के आसपास प्रदेश के नेताओं व ब्यूरोक्रेट्स की जमीने होने की वजह से उसका चयन किया गया है , जबकि शहर से सटे कई इलाकों में जमीन मौजूद है , जिस पर कई भूमाफिया और रसूखदार लोगों ने कब्जा कर रखा है। अगर ऐसी जमीन का चयन किया जाता तो आम शहरवासियों को इसका फायदा मिलता।

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