
- एक हजार 167 करोड़ की जगह तीन हजार करोड़ का किया लक्ष्य तय …
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की शिव सरकार हर हाल में किसानों को आर्थिक रुप से संपन्न देखना चाहती है। इसके लिए सरकार स्तर से तरह-तरह के कदम भी उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब शिव सरकार ने कृषि उत्पादों के निर्यात पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने नए वित्त वर्ष के लिए कृषि निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। इसके पीछे सरकार की मंशा किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य दिलाने का है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे प्रदेशों में नोडल अधिकारी तैनात करने का फैसला किया है। इन नोडल अधिकारियों के जिम्मे प्रदेशों के निर्यात करने का काम करने वाले व्यापारियों से संपर्क कर मप्र के कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए संपर्क किया जाएगा। दरअसल, प्रदेश से बीते साल एक हजार 167 करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद निर्यात हुए हैं। अब इस साल के लिए इसका लक्ष्य तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का तय किया गया है। इसके लिए अन्य राज्यों के व्यापारियों से संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ उन संस्थाओं से भी अनुबंध किए जाएंगे, जो विदेश भेजे जाने वाले उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का काम करती हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के कृषि उत्पादों की देश के साथ-साथ विदेशों में काफी मांग है, लेकिन निर्यात के लिए पुख्ता व्यवस्था नहीं होने की वजह से इसका लाभ नहीं मिल पाता है। व्यापारियों का पंजीयन नहीं होने कारण गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब सहित अन्य राज्यों के व्यापारी मध्य प्रदेश से उत्पाद ले जाते हैं और प्रसंस्करण करके उत्पाद निर्यात करते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि ऐसी संस्थाओं से अनुबंध किए जाएंगे, जो निर्यात करने का काम करती हैं। इनसे उत्पाद की गुणवत्ता और भुगतान सुनिश्चित करने संबंधी व्यवस्था के बारे में प्रदेश के व्यापारियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इसके लिए निर्यात प्रकोष्ठ भी बनाया है। इसमें जल्द ही विशेषज्ञों की नियुक्ति भी की जाएगी। नोडल अफसरों की तैनाती का काम मंडी बोर्ड को दिया गया है। ये निर्यातकों से संपर्क करेंगे और विदेशों की मांग के बारे में बताएंगे। इसके आधार पर प्रदेश में तैयारी की जाएगी। अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी का कहना है कि कृषि उत्पादों के निर्यात में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। चिन्हित उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की दिशा में तेजी से काम किया जाएगा। प्रदेश की बासमती धान को जीआइ टैग दिलाने की कवायद इसका ही हिस्सा है।
यह है निर्यात में हिस्सेदारी
प्रदेश से कृषि उत्पादों में सर्वाधिक बासमती चावल निर्यात होता है। वर्ष 2020-21 में 840 करोड़ 59 लाख रुपये का एक लाख 27 हजार 86 मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया गया है। वहीं, 98 करोड़ चार लाख रुपये की 13 हजार 438 मीट्रिक टन दाल विदेश भेजी गई। गैर बासमती चावल तीन हजार 107 मीट्रिक टन, दुग्ध उत्पाद 15 हजार 782 मीट्रिक टन, गेहूं 190 मीट्रिक टन और 329 मीट्रिक टन प्रसंस्कृत सब्जियों का निर्यात किया गया। वर्ष 2019-20 में 867 करोड़ रुपये की एक लाख 24 हजार 189 लाख मीट्रिक टन कृषि उपज एवं प्रसंस्कृत उत्पाद का निर्यात हुआ था।