
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर काबू पाने के बाद अब प्रदेश की शिव सरकार को वित्तीय मैनेजमेंट की चिंता सताने लगी है। इसकी वजह है कोरोना काल के इन दो माह में सरकार को बड़ी मात्रा में हुआ राजस्व का नुकसान। अब प्रदेश में हालात तेजी से बदलने की वजह से सरकार अपनी दूसरी प्राथमिकताओं को तेजी से पूरा करना चाहती है, जिससे कि आत्मनिर्भर मप्र के तहत तय किए गए लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इसके लिए सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। यही वजह है कि अब सरकार को अपनी आमदानी बढ़ाने की चिंता भी लगी हुई है। दरअसल कोरोना काल के दो माह में सरकार को करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। इधर केंद्र सरकार द्वारा भी प्रदेश को मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की लगभग चार हजार करोड़ रुपए की राशि जारी नहीं की है, जिसकी वजह से शिव सरकार को वित्तीय मैनेजमेंट पूरी तरह से खराब हो चुका है। दरअसल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू के चलते अकेले राज्य सरकार को बीते दो माह में करीब एक हजार करोड़ की चपत लग चुकी है। इसी तरह से अन्य मदों से होने वाली आय में भी कमी आयी है। इसी तरह से इन दो माह में रजिस्ट्री, खनिज और परिवहन से होने वाली आय भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि इस वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा मप्र के लिए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी 52 हजार 246 करोड़ रुपए की तय की गई है।
जीएसटी क्षतिपूर्ति के जारी हैं प्रयास
केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली राशि तमाम प्रयासों के बाद भी अब तक नहीं मिल सकी है। यह राशि 3966 करोड़ रुपए है। राज्य सरकार इस राशि को जल्द हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस मामले को बीते माह जीएसटी काउंसिल की बैठक के समय वित्त और वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा प्रमुखता से उठाया जा चुका है। इस दौरान उनके द्वारा बीते तीन वर्षों की स्थिति का भी हवाला दिया गया था। इसी तरह देखा जाए तो बीते वर्ष प्रदेश को जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत मात्र 5293 करोड़ रुपए ही मिले थे। इसी तरह केन्द्र द्वारा फंड उपलब्ध कराने के लिये बैक-टू-बैक लोन सुविधा के तहत 4 हजार 543 करोड़ की राशि दी गई थी। इन दोनों ही मदों को मिलाकर बीते साल प्रदेश को कुल 9 हजार 836 करोड़ मिले। अब राज्य सरकार फिर से बैक-टू-बैक लोन सुविधा के माध्यम से जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान चाहती है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा तर्क दिया गया है कि कोविड संक्रमण की वजह से राज्य के राजस्व पर असर पड़ना तय है। हालांकि अभी तक प्रदेश सरकार को इस मामले में सहमति नहीं मिली है।